परिवार राष्ट्र की थाती

सुबह जहाँ होती है प्यारी,

शाम जहाँ होती है न्यारी।

रहें जहाँ सब मिलजुलकर, 

आती हैं  खुशियाँ सारी।।


दुःख नहीं रह पाता पल भर, 

खुशियों के लग जाते पंख।

बड़े चैन से  रहता मानव,

कभी नहीं लग पाता पंक।।


दादा-दादी  से सुनते हैं, 

बच्चे जहाँ  कहानी। 

प्यार  जहाँ  होता अमिट,

यही है  जीवन की  निशानी।।


चाचा-चाची  की बाँहों में, 

बच्चे झूलते - झूले।

जीवन पथ की किसी बुलन्दी पर,

प्यार कभी न भूले।।


हो एकाकी या संयुक्त, 

परिवार राष्ट्र की थाती।

एका का जब जलता दिया,

बुझे न प्यार की बाती।।


छोटी इकाई  समाज की,

रखना है  इसे सँभाल। 

तभी हम कर पायेंगे, 

कोई बड़ा कमाल।।


रचयिता

सरिता तिवारी,

सहायक अध्यापक,

कम्पोजिट विद्यालय कन्दैला,

विकास खण्ड-मसौधा, 

जनपद-अयोध्या।



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