३५६~ वीरेंद्र कुमार शुक्ला उ०प्रा०वि० बझेड़ा, वि०क्षे०--बिजुआ जिला--खीरी

🏅अलमोल रत्न🏅

मित्रों आज हम आपका परिचय मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से जनपद- खीरी से अनमोल रत्न शिक्षक साथी भाई वीरेन्द्र कुमार शुक्ला जी से करा रहे हैं। जिन्होंने अपनी सकारात्मक सोच और समर्पित व्यवहार कुशलता से अपने विद्यालय को सामाजिक विश्वास का केन्द्र बना दिया है। जो हम सभी के लिए अत्यंत प्रेरक, अनुकरणीय और प्रेरणा के स्रोत हैं।


आइये देखते हैं आपके द्वारा किए गये प्रेरक, अनुकरणीय और कुछ विशिष्ट प्रयासों को:-

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वीरेंद्र कुमार शुक्ला
उ०प्रा०वि० बझेड़ा, वि०क्षे०--बिजुआ
जिला--खीरी

प्रथम
नियुक्ति तिथि--29-12-2005
विद्यालय में नियुक्ति तिथि--27-09-2011

वर्ष-2011 में मेरी नियुक्ति के समय विद्यालय अत्यंत जर्जर व जीर्ण अवस्था में था तथा 1 से 8 तक कुल 266 छात्र नामांकित थे पर वर्तमान में ये संख्या 501 हो गयी है। मैंने विभागीय सहायता से सर्वप्रथम चाहरदीवारी निर्मित कराई। नामांकन वृद्धि हेतु मैंने जन सम्पर्क प्रारंभ किया तथा ग्रामप्रधान से विद्यालय सुधार हेतु सहयोग लिया। 2015 में प्र०अ० का चार्ज मिलने के पश्चात मैंनें अपना कार्य युद्ध स्तर पर प्रारम्भ कर दिया। मैनें पिछले 5 वर्षों में अपने प्रयासों से विद्यालय को जनपद से लेकर प्रदेश स्तर तक महत्वपूर्ण स्थान दिलाने में कामयाबी हासिल की। पिछले 3 वर्षों से उ०प्रा०वि० बझेड़ा, जनपद- खीरी का सर्वश्रेष्ठ विद्यालय बना हुआ है।


1- 👉विद्यालय में विभागीय प्रयासों द्वारा हुए कार्य:-
1- चाहरदीवारी का निर्माण।
2- अंग्रेजी माध्यम से चयन 1से 8 तक।
3- कम्प्यूटर लैब (3 कम्प्यूटर वाला)।
4- इन्सीनरेटर एवं चार शौचालयों का निर्माण।
5- पुस्तकालय की स्थापना व उच्चीकरण (1000 पुस्तकें)।
6- पूरे कैम्पस में विद्युतीकरण(सभी 8 कक्षाओं का) में।
7- 4 कक्षों में छात्रों हेतु फर्नीचर की व्यवस्था।
8-समस्त प्रकार की खेल सामग्री व् खेलने की ब्यवस्था।


2- 👉ग्राम प्रधान एवं पंचायत के सहयोग से निम्न कार्य किए गये:-

1-- मॉडल शौचालय का निर्माण।
2-- M.D.M शेड व डायनिंग टेबल का निर्माण।
3-- गेट पर इंटर लॉकिंग कार्य।
4-- दो सोलर लाइटें एवं स्टोर रूम का निर्माण।



3- 👉अपने निजी संसाधनों से किए गये कार्य:-
1-- जलभराव व बाढ़ से मुक्ति हेतु 100 ट्राली मिट्टी पूरे कैम्पस में डलवाई।
2-- सम्पूर्ण चाहरदीवारी को 2 फिट ऊँचा कराया एवं मरम्मत कार्य तथा काँच लगवाए।
3-- सम्पूर्ण भवन जो जर्जर था, उसकी मरम्मत का कार्य, फर्श व एप्रेन का नवीन निर्माण कराया।
4-- पुराने जर्जर शौचालयों को तुड़वाकर मूत्रालयों का निर्माण कराया।
5-- नया गेट व प्रवेशद्वार बनवाया।
6-- पूरे कैम्पस में (30'000 वर्ग फिट) पक्की क्यारियों का निर्माण, सुनियोजित ढंग से वृक्षारोपण व सुन्दर लॉन का निर्माण।
7-- किचन गार्डन का निर्माण व प्रांगण का सौन्दर्यीकरण।
8-- सम्पूर्ण कैम्पस को वॉलपुट्टी एवं प्लास्टिक पेंट से आकर्षक पुताई व वॉल पेंटिंग बनवाई।
9-- सभी कक्षाओं में 2-2 पंखें, लाइट व इन्वर्टर की व्यवस्था की।
10--स्मार्ट क्लास की व्यवस्था की तथा 43' की L.E.D TV क्रय की।
11-- सम्पूर्ण कैम्पस में cctv सर्विलांस हेतु 12 कैमरे लगवाए (with power backup solar)
13-- मॉर्निंग असेम्बली हेतु माइक व साउंड सिस्टम की भी व्यवस्था की गई।
14-- रैन वॉटर, हारवेस्टिंग एवं अन्डर ग्राउंड वाटर लॉगिंग की व्यवस्था (शोकपिट)
15-- वेस्ट मैनेजमेंट (कचरा प्रबंधन) की व्यवस्था।
16-- पानी पीने हेतु फिल्टर वॉटर, हैण्ड वॉश हेतु 25 वाटर टैप, समर्सिबल की व्यवस्था, पानी की टंकी 1000 ली., रनिंग वॉटर सप्लाई (सभी शौचालयों एवं क्यारियों तक), प्रॉपर हैण्ड वाश हेतु साबुन बैंक की स्थापना।
16-- कम्प्यूटर शिक्षण हेतु एक प्राइवेट शिक्षक की व्यवस्था।









उपरोक्त समस्त कार्यों में मैंने 5,00,000 रुपये अपने वेतन एवं निजी संसाधनों से व्यय किये हैं तथा 50,000₹ पूर्व प्रधान श्री चरन पाल सिंह के सहयोग से प्राप्त किये हैं।
👉4-- विद्यालय में विशेष सहयोग हमारे पूर्व खण्ड शिक्षाधिकारी श्री अनुराग मिश्रा, पूर्व प्रधान एवं वर्तमान प्रधान प्रतिनिधि श्री चरन पाल सिंह तथा मेरे छोटे भाई श्री रविन्द्र शुक्ला जो जयपुर में इंजीनियर हैं का भी रहता है।
👉5-- मेरी ग्राम पंचायत में चार मजरे हैं जिसमें तीन मजरे शारदा नदी की दो धाराओं के मध्य हैं जो मेरे विद्यालय से 7-8 कि.मी. दूर हैं तथा नाव के द्वारा ही जाना सम्भव होता है, ऐसी स्थिति में वहाँ के 180 छात्र जो ड्राप आउट थे उनका प्रधान जी की सहयोग से एक अस्थायी शिक्षण केन्द्र बनाकर वहीं पर शिक्षा देने का कार्य किया जा रहा है।
प्रेरक, आँगनवाड़ी, रिटायर्ड अध्यापक के माध्यम से केन्द्र चलता है। वहाँ एक स्थानीय प्राइवेट शिक्षक भी नियुक्त है। मैं स्वयं 15 दिन में एक बार नाव से वहाँ जाकर, सुबह से शाम तक उपस्थित रहकर शिक्षक कार्य तथा अभिभावकों से सम्पर्क करता हूँ जिससे ये छात्र भी शिक्षा की मुख्य धारा से जुड़ गए हैं। इसका छात्र उपस्थिति पर भी सकारात्मक परिणाम हुआ है।
स्मार्ट क्लासेज तथा ICT के प्रयोग एवं कम्प्यूटर शिक्षा व नियमित जन सम्पर्क का बच्चों के ठहराव और उपस्थिति पर सर्वाधिक प्रभाव पड़ा है। वर्तमान में कुल 500 छात्र नामांकन में 75% से 80% तक उपस्थिति रहती है।
👉6-- मैनें नियमित जन सम्पर्क TLM का अधिकाधिक प्रयोग, नवीन शिक्षण विधियों एवं गतिविधियों का प्रयोग, सामुदायिक सहभागिता, PTM, बाल संसद का गठन, बाल फिल्मोत्सव, खेलकूद प्रतियोगिता, सांस्कृतिक प्रतियोगिता, शैक्षिक प्रतियोगिता, स्वच्छता पखवाड़ा, जन-जागरूकता अभियान आदि के प्रयोगों ने उपरोक्त कार्यक्रम को सफल बनाया है।











👉7-- विशिष्ट सम्मान

1-- 2016 में तहसील स्तर पर '"गोला गौरव" सम्मान।
2-- 2017 में MHRD द्वारा जनपद का सबसे स्वच्छ व सुन्दर विद्यालय पुरस्कार जिलाधिकारी महोदय द्वारा।
3--2018 में भी शिक्षक दिवस पर मा० मंत्री श्रीमती अर्चना पाण्डेय, BSA sir द्वारा उत्कृष्ट शिक्षक पुरस्कार।
4--2018 में भी जनपद में दूसरा स्थान प्राप्त किया व DM, CDO, SP व BSA sir द्वारा सम्मान।
5--1 July 2019 को जनपद स्तर पर मा० जन प्रतिनिधियों एवं जनपदीय अधिकारियों द्वारा "उत्कृष्ट शिक्षक पुरुस्कार"
6-- स्कूल चलो अभियान की जनपदीय रैली में मा० बेसिक शिक्षा मंत्री श्रीमती अनुपमा जयसवाल द्वारा भी सम्मानित होने का अवसर मिला।
7--2019 में राज्य स्तरीय उत्कृष्ट शिक्षक पुरस्कार मा० निदेशक बेसिक शिक्षा एवं सचिव महोदया के द्वारा दिया गया।
8--2018 में ही मा० सहकारिता मंत्री द्वारा उत्कृष्ट शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
9-- विद्यालय के छात्र ब्लॉक स्तर, जनपद स्तर पर होने वाली खेलकूद प्रतियोगिता एवं क्विज प्रतियोगिता में विगत कई वर्षों से प्रतिभाग करते व विजयी होते रहें हैं। मण्डल स्तर पर भी छात्रों द्वारा प्रतिभाग किया गया है।
10-- मेरी नियुक्ति के समय इस गाँव में कोई भी व्यक्ति इण्टर पास नहीं था किंतु अब करीबन 60 छात्र हाईस्कूल, इण्टर मीडिएट व स्नातक कक्षाओं में पढ़नें जातें हैं।























👉मेरा लक्ष्य:-
यदि लक्ष्य बनाकर कार्य किया जाए तो कार्य काफी आसान हो जाता है और सफलता शत् प्रतिशत् मिलती ही है। मेरा लक्ष्य----
*मेरा विद्यालय मेरी पहचान*।
*मेरे बच्चे मेरी शान* ।।

इस पुनीत कार्य में यदि बच्चों के साथ -साथ अभिभावकों की भी भागीदारी आप सुनिश्चित करतें हैं तो सफलता आपके कदमों में होगी। मेरा मानना है तभी शिक्षक अपने खोये सम्मान व प्रतिष्ठा को पुनः प्राप्त कर सकेंगें।

कुछ नहीं असम्भव होगा, सब संकल्प लिए जाते हैं,
संकल्पों को ही साहस के गतिमान चरण दिए जाते हैं।
बाधाओं की क्या बिसात फिर,
रुख तूफान बदल सकता है।

संकलन: आशीष शुक्ला
टीम मिशन शिक्षण संवाद

नोट: मिशन शिक्षण संवाद परिवार में शामिल होने एवं अपना, अपने जनपद अथवा राज्य के आदर्श विद्यालयों का अनमोल रत्न में विवरण भेजने तथा मिशन शिक्षण संवाद से सम्बंधित शिकायत, सहयोग, सुझाव और विचार को मिशन शिक्षण संवाद के जनपद एडमिन अथवा राज्य प्रभारी अथवा 9458278429 अथवा 7017626809 और ई-मेल shikshansamvad@gmail.com पर भेज सकते हैं।

विमल कुमार
टीम मिशन शिक्षण संवाद
12-08-2019

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