रक्षा बंधन पर्व

रक्षा पर्व मनाएँ हम सब, रक्षा धर्म निभाएँ हम,
रक्षा बंधन सही अर्थ में, मिलकर आज मनाएँ हम,
आओ मिलकर आज शपथ लें, रक्षा धर्म निभाएँगे,
हर माँ, बेटी, हर पत्नी, बहना, की लाज बचाएँगे,
देश की हर नारी के हम, सम्मान में शीश झुकाएँगे,
आओ पर्व मनाएँ हम, मिल-जुल कर पर्व मनाएँ हम....
रक्षा सूत्र में बँधकर सब, खुशियों के दीप जलाएँ हम.....

सही अर्थ में रक्षा बंधन, का उद्देश्य सुरक्षा है,
देश की हर महिला के मन में,  हर क्षण भाव असुरक्षा है
यही भाव परिवर्तित कर, विश्वास का दीप जलाना है
नर- नारायण भी हो सकता, ये विश्वास दिलाना है
पुरूष की छवि नारी के मन में, अमिट बनी है भक्षक की,
कोमल नारी हृदय में, है छाप बनानी रक्षक की।
आओ मिलकर आज शपथ ले, रक्षा धर्म निभाएँगे...... 

जीव-जंतु, नर-नारी, जल-थल, नभ की करनी रक्षा है,
जीवन हेतु जो भी उपयोगी, करनी उसकी सुरक्षा है,
गर धरती को स्वर्ग बनाने की, जो मन में ठानी है,
तो पर्यावरण संग जीव-जन्तु, सबकी करनी रखवाली है,
आज उठा लो बीड़ा, हम रक्षा अभियान चलाएँगे ,
धरा को स्वर्ग बनाएँगे, हम रामराज्य फिर लाएँगे।


आओ मिलकर आज शपथ लें, रक्षा धर्म निभाएँगे
हर माँ, बेटी, हर पत्नी, बहना की लाज बचाएँगे,
आओ पर्व मनाएँ हम, मिल-जुल कर पर्व मनाएँ हम....
रक्षा सूत्र में बँधकर सब, खुशियों के दीप जलाएँ हम.....

रचयिता
सुप्रिया सिंह,
इं0 प्र0 अ0,
प्राथमिक विद्यालय-बनियामऊ 1,
विकास क्षेत्र-मछरेहटा,
जनपद-सीतापुर।

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