संकल्प

हरी भरी हो धरा हमारी
नन्हें-नन्हें, मन ने यह ठानी है
धरती माँ के दामन में हो हरियाली
ख्वाहिश मन में यह पाली है
नन्हीं चिड़िया जो बन गई
किस्से -कहानियाँ
उनके फिर से घरोंदे सजाने हैं
बहुत हो चुकी नाराज प्रकृति
उसको भी हमें मनाना है
डाली-डाली हो मतवाली
एक दिन फिर से झूमेंगी
पंचम सुर में चहक उठेगी कोयल
हो चुकी देर बहुत बस अब
हमें हमारी धरती माँ बचानी हैं
नन्हें-नन्हें पौधों को पेड़ बनाएँगे
हम अपने कल के रखवाले
करते हैं संकल्प यही
हम खूब पेड़ लगाएँगे।

रचयिता
कविता शिखरवाल,
प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय पाली,
विकास खण्ड-पुंवारका,
जिला-सहारनपुर।

Comments

  1. Very nice poem to make children aware of Green Earth❤️

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