राजा फूलों का
मैं हूँ राजा फूलों का,
मेरा शरीर है शूलों का।
मेरा नाम है गुलाब,
मुझको पाने को हर कोई बेताब।
मैं हूँ सबसे अलबेला,
सबसे प्यारा और निराला।
मुझमें होती है प्यारी सुगंध,
मुझको करते हैं सब पसंद।
मुझको देख सब लेते पहचान,
बच्चे, बूढ़े और जवान।
मेरे भाई हैं अनेक,
नीला, पीला और गुलाबी लाल।
मैं तो सब जगह मिल जाता हूँ।
सब अवसर पर काम आता हूँ।
मैं हूँ राजा फूलों का,
मेरा शरीर है शूलों का।
रचयिता
शिराज़ अहमद,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय ददरा,
विकास खण्ड-मड़ियाहूं,
जनपद-जौनपुर।
मेरा शरीर है शूलों का।
मेरा नाम है गुलाब,
मुझको पाने को हर कोई बेताब।
मैं हूँ सबसे अलबेला,
सबसे प्यारा और निराला।
मुझमें होती है प्यारी सुगंध,
मुझको करते हैं सब पसंद।
मुझको देख सब लेते पहचान,
बच्चे, बूढ़े और जवान।
मेरे भाई हैं अनेक,
नीला, पीला और गुलाबी लाल।
मैं तो सब जगह मिल जाता हूँ।
सब अवसर पर काम आता हूँ।
मैं हूँ राजा फूलों का,
मेरा शरीर है शूलों का।
रचयिता
शिराज़ अहमद,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय ददरा,
विकास खण्ड-मड़ियाहूं,
जनपद-जौनपुर।
Nice
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