स्वतंत्रता अमर रहे

तिरंगा झूमता रहे
ओ राष्ट्र के प्रतीक तू
आसमा को चूमता रहे
      ये धरा है खून से सनी
      तिरंगा सब दिखा रहा
      धरोहर है स्वतंत्रता
      तिरंगा सब बता रहा 
लहू में तैरती हुई
धरा ये डोलती रही
आजादी की उम्मीद में
पलकों को खोलती रही
       आशा की एक किरण जगी
        गांधी डगर पर चल पड़े
        भारत के शेर जग गए
         घरों से सब निकल पड़े
घड़ी वह भी आ गई
दुश्मन गिरा था मुँह के बल
गाँधी जवाहर का सपना
वीरों ने कर दिया सफल।           

रचयिता
मोहम्मद अहमद,
सहायक अध्यापक,
रा0 आ0 प्राथमिक विद्यालय बीरोंखाल,
जनपद-पौड़ी गढ़वाल,
उत्तराखण्ड।

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