आ जाओ भगवान कृष्ण अब
आ जाओ भगवान कृष्ण अब,
देर बहुत लगा दी है,
बाट तुम्हारी जोहते जोहते,
थक गयीं अँखिया सारी हैं।
चीर हरा जब दु:शासन ने,
चल कर दौड़े आ गये,
पल- पल चीर हरण हो रहा,
मोहन अब तुम कहाँ गये ।
भ्रष्ट आचरण देख इंद्र का,
उठा पहाड़ तुमने लिया,
अब तो भ्रष्टाचार चरम है,
केशव क्यों न मान लिया।
चोरी कर सीना ताने हैं,
खरबों डकार, फिर भी न माने हैं,
उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे है,
ये कैसी रीति न्यारी है,
आ जाओ भगवान कृष्ण अब,
थक गयीं अँखिया सारी हैं।
रचयिता
डॉ0 ललित कुमार,
प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय खिजरपुर जोशीया,
विकास खण्ड-लोधा,
जनपद-अलीगढ़।
देर बहुत लगा दी है,
बाट तुम्हारी जोहते जोहते,
थक गयीं अँखिया सारी हैं।
चीर हरा जब दु:शासन ने,
चल कर दौड़े आ गये,
पल- पल चीर हरण हो रहा,
मोहन अब तुम कहाँ गये ।
भ्रष्ट आचरण देख इंद्र का,
उठा पहाड़ तुमने लिया,
अब तो भ्रष्टाचार चरम है,
केशव क्यों न मान लिया।
चोरी कर सीना ताने हैं,
खरबों डकार, फिर भी न माने हैं,
उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे है,
ये कैसी रीति न्यारी है,
आ जाओ भगवान कृष्ण अब,
थक गयीं अँखिया सारी हैं।
रचयिता
डॉ0 ललित कुमार,
प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय खिजरपुर जोशीया,
विकास खण्ड-लोधा,
जनपद-अलीगढ़।
Nice verses
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