हाॅकी का जादूगर
उत्तर प्रदेश का एक सपूत हुआ
प्रयागराज में जन्म लिया
एक सिपाही की कुटिया में
1905 की संध्या में
16 बरस की उम्र में ही
भर्ती हुआ वो सेना में
एक लगन थी उसके सीने में
खेला चाँदनी रात की बेला में
साथियों ने उसके फिर नाम दिया
ध्यान सिंह से मेजर ध्यानचंद हुआ
अभ्यास करे वो रातों में
हाॅकी के खेल में मग्न हुआ
तीन बार ओलम्पिक खेलों में
गोल्ड मेडल से विजयी हुआ
देखकर उसके अद्भुत खेल को
तानाशाह हिटलर भी चकित हुआ
भारत के रत्नों में मोती सा
अपनी प्रतिभा से कहलाया
यूँ ही नहीं दुनिया ने
हाॅकी का जादूगर बतलाया
भारत का सच्चा सपूत है वो
जिद्दी हिटलर को समझाया
अपनी प्रतिभा का दुनिया के
दिग्जजों से लोहा मनवाया
खेलों में खेल है हाॅकी का
राष्ट्रीय खेल यह कहलाया
29 अगस्त जन्म दिवस पर उनके
राष्ट्रीय खेल दिवस है कहलाया
प्रयागराज में जन्म लिया
एक सिपाही की कुटिया में
1905 की संध्या में
16 बरस की उम्र में ही
भर्ती हुआ वो सेना में
एक लगन थी उसके सीने में
खेला चाँदनी रात की बेला में
साथियों ने उसके फिर नाम दिया
ध्यान सिंह से मेजर ध्यानचंद हुआ
अभ्यास करे वो रातों में
हाॅकी के खेल में मग्न हुआ
तीन बार ओलम्पिक खेलों में
गोल्ड मेडल से विजयी हुआ
देखकर उसके अद्भुत खेल को
तानाशाह हिटलर भी चकित हुआ
भारत के रत्नों में मोती सा
अपनी प्रतिभा से कहलाया
यूँ ही नहीं दुनिया ने
हाॅकी का जादूगर बतलाया
भारत का सच्चा सपूत है वो
जिद्दी हिटलर को समझाया
अपनी प्रतिभा का दुनिया के
दिग्जजों से लोहा मनवाया
खेलों में खेल है हाॅकी का
राष्ट्रीय खेल यह कहलाया
29 अगस्त जन्म दिवस पर उनके
राष्ट्रीय खेल दिवस है कहलाया
रचयिता
अर्चना अरोड़ा,
प्रधानाध्यापिका,
प्राथमिक विद्यालय बरेठर खुर्द,
विकास खण्ड-खजुहा,
जनपद-फ़तेहपुर।
अर्चना अरोड़ा,
प्रधानाध्यापिका,
प्राथमिक विद्यालय बरेठर खुर्द,
विकास खण्ड-खजुहा,
जनपद-फ़तेहपुर।
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