वर्षा ऋतु
सावन - सावन आया।
साथ अपने हरियाली लाया।।
पौधे, वृक्ष सब लहलहा उठे।
सबने जीवनदान है पाया।।
पक्षियों ने कलरव कर, प्रेम का राग है गाया।
प्राणियों ने कंठ भर नीर है पाया।।
मोर ने पंख फैलाकर,
नृत्य है दिखाया।
कोयल ने कूककर,
हृदयों को रसाया।।
नदियों, नहरों, तालाबों ने अपना विस्तार है बताया।
झरनों ने झिर-झिर कर करतब है दिखाया।।
बच्चों की करतल ध्वनि में बारिश का आनंद है समाया।
कागज की कश्ती को जल में खूब डुबोया।।
धरती ने सलोना रूप धर, सबको पुलकाया।
हमने भी वृक्ष लगाकर, इसका सौंदर्य है बढ़ाया।।
रचयिता
नीलम जैन,
प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय कंचनपुरा,
विकास खण्ड-कल्यानपुरा बिरधा,
जनपद-ललितपुर।
साथ अपने हरियाली लाया।।
पौधे, वृक्ष सब लहलहा उठे।
सबने जीवनदान है पाया।।
पक्षियों ने कलरव कर, प्रेम का राग है गाया।
प्राणियों ने कंठ भर नीर है पाया।।
मोर ने पंख फैलाकर,
नृत्य है दिखाया।
कोयल ने कूककर,
हृदयों को रसाया।।
नदियों, नहरों, तालाबों ने अपना विस्तार है बताया।
झरनों ने झिर-झिर कर करतब है दिखाया।।
बच्चों की करतल ध्वनि में बारिश का आनंद है समाया।
कागज की कश्ती को जल में खूब डुबोया।।
धरती ने सलोना रूप धर, सबको पुलकाया।
हमने भी वृक्ष लगाकर, इसका सौंदर्य है बढ़ाया।।
रचयिता
नीलम जैन,
प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय कंचनपुरा,
विकास खण्ड-कल्यानपुरा बिरधा,
जनपद-ललितपुर।
Nice
ReplyDeleteBhut khub Nilam ji
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