लड़कियाँ हम पढ़ाएँगे

इस जहां में नारी का मान हम बढ़ाएँगे।
जो हैं अभी दबी हुई उन्हें हम उठाएँगे।
पिछड़ गईं जो लड़कियाँ उन्हें हम बढ़ाएँगे।
पढ़ सकीं न जो लड़कियाँ उन्हें हम पढ़ाएँगे।
चेतना के दीप जहाँ जले ही नहीं,
उन घरों को ज्ञान के दीप से सजाएँगे।
पिछड़ गई जो लड़कियाँ उन्हें हम बढ़ाएँगे।
पढ़ सकी न लड़कियाँ उन्हें हम पढ़ाएँगे।
इस जहां में नारी का मान हम बढ़ाएँगे।
जो हैं अभी दबी हुई उन्हें हम उठाएँगे
जिन घरों में माऐं अभी पढ़ी-लिखी नहीं,
उन घरों की मांओं को साक्षर बनाएँगे।
पिछड़ गई जो लड़कियाँ उन्हें हम बढ़ाएँगे।
पढ़ सकी न लड़कियाँ उन्हें हम पढ़ाएँगे।
इस जहां में नारी का मान हम बढ़ाएँगे।
जो हैं अभी दबी हुई उन्हें हम बढ़ाएँगे।
बोझ मान माँ ने जिनको जन्म ही दिया नहीं।
ऐसी भ्रूण हत्याओं पर रोक हम लगाएँगे।
पिछड़ गई जो लड़कियाँ उन्हें हम बढ़ाएँगे।
पढ़ सकी ना लड़कियाँ उन्हें हम पढ़ाएँगे।
लड़कियाँ जो शालाओं में अभी गईं नहीं।
कस्तूरबा शालाओं का रास्ता दिखाएँगे।
पिछड़ गई जो लड़कियां उन्हें हम बढ़ाएँगे।
पढ़ सकी ना लड़कियां उन्हें हम बढ़ाएँगे।
इस जहां में नारी का मान हम बढ़ाएँगे।
जो है अभी दबी हुई उन्हें हम उठाएँगे।
पिछड़ गई जो लड़कियाँ उन्हें हम बढ़ाएँगे।
पढ़ सकी न लड़कियाँ उन्हें हम पढ़ाएँगे।

रचयिता
रीता सेमवाल,
राजकीय प्राथमिक विद्यालय नीलकंठ, 
विकास खण्ड-यमकेश्वर,
जनपद-पौड़ी गढ़वाल।

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