आज अच्छे हैं

आज अच्छे हैं
कल बुरे भी होंगे
इन दिनों का क्या
कभी सिरफिरे भी होंगे
साफ नभ है
हवाएँ हैं शीतल अभी
श्रम के बाद है
भूमि ये समतल अभी
कभी बादलों के
अन्धेरे भी होंगे
भूमि पर खूब पत्थर
बिखेरे भी होंगे।
मन न थकना
तू चलना सही राह पर
रात के बाद
उज्ज्वल सबेरे भी होंगे।
                             
रचयिता
शीला सिंह,
सहायक अध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय विशेश्वरगंज,
नगर क्षेत्र-गाजीपुर,
जनपद-गाजीपुर।

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