तितली रानी

प्यारी-प्यारी रंग बिरंगी,
लगती हो तुम कितनी न्यारी।
रंग-बिरंगे पंख तुम्हारे,
लाल, हरे और काले, पीले।
मन करता है छू लूँ तुमको,
जी भर खेलूँ साथ तुम्हारे।
जैसे तुमको हाथ लगाऊँ,
क्यों डर जाती तितली रानी।
सुन्दर अपने पंख हिलाकर,
क्यों उड़ जाती तितली रानी।
रंग-बिरंगे फूलों पर ही,
क्यों मंडराती तितली रानी।
कोमल इतने पंख तुम्हारे,
क्यों नहीं थकती तितली रानी।
बागों में तुम क्यों रहती हो,
मेरे घर में आ जाओ न।
मिलकर खेलेंगे हम दोनों,
दोस्त हमारी बन जाओ न।
नहीं करूँगा परेशान मैं,
आ भी जाओ तितली रानी।
 संग हमारे तुम खेलो न,
क्यों डरती हो तितली रानी।

रचयिता
ओमकार पाण्डेय,
सहायक अध्यापक,
उच्च प्राथमिक विद्यालय किरतापुर,
विकास क्षेत्र-सकरन,
जनपद सीतापुर।

Comments

  1. सुन्दर, बालोपयोगी रचना।
    --सतीश चन्द्र"कौशिक"

    ReplyDelete

Post a Comment

Total Pageviews