स्वतंत्रता हमारी है
स्वतंत्रता हमारी है, देश भी हमारा है।
हर किसी को अपना देश जन्नत से प्यारा है।
जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसि ।
माँ भारती की पावन भू विश्व भर में स्वर्ग सी।
माँ भारती की दिव्य भूमि को शत् शत् नमन हमारा है।
विविध संस्कृति, विविध वेश है,
पर एक देश का नारा है
दैहिक रक्षा और धार्मिक मान्यता हर मानव का अधिकार है।
निज स्वतंत्रता व निजता मानव का जन्मसिद्ध अधिकार है।
विदेशियों ने किये अत्याचार भारतीयों पर भारी।
माँ भारती की दुर्दशा देख रोती रही जनता सारी।
यूनानी, शक, कुषाण,हूण, आये अरबी - ईरानी।
गजनी तुर्क शासन आया, आया तुर्क मोहम्मद गौरी,
कुतुबद्दीन ऐबक आया, गुलाम वंश को भारत में बसाया।
खिलजी आया तुर्किस्तान से, दिल्ली में पैर जमाया।
खिलजी वंश के अवसान करने को तुगलक वंश भारत आया।
पागल बादशाह मुहम्मद तुगलक जैसा शासक आया।
आये सैयद, लोदी, मुगल और अफगान
लूटते रहे सब एक - 2 कर हिन्दुस्तान।
डच पुर्तगाली और आखिर में आये यहाँ अंग्रेज।
लूट खसोट कर सारा धन दिया इग्लैण्ड को भेज।
सोने की चिड़िया को लूट खसोट कर बना दिया कंगाल।
हरे भरे देश को लूट और फूट की नीति से बाँट दिया बंगाल.
भारत माँ के अनमोल धन से आक्रान्ता बने मालामाल।
आए थे व्यापारी बनकर वे, बन गए यहां सरदार।
किया विरोध भारत माँ के सपूतों ने,
राजा पुरु, चन्द्र गुप्त मौर्य, पृथ्वी राज चौहान ने।
लोहा पर लोहा लेते गये, दुश्मनों को खदेड़ते गये।
महाराणा, शिवाजी, गुरु गोविंद ने सैकड़ों बलिदान दिये।
गुरु गोविंद सिंह के पुत्रों को जिन्दा ही दीवारों में चिनवा गये।
आयी क्रान्ति, भारत माँ के सपूतों ने यह प्रण ठाना।
भारत आजाद था, आजाद रहेगा।
अंग्रेजों को बाहर होगा जाना ही जाना.।
आजाद, भगत सिंह, सुभाष, आदि ने लिया ऐसा संकल्प
भारत को आजादी के अलावा कोई न दूजा विकल्प
चारों तरफ चिंगारी जल गयी,
भारत माँ को आजाद करने की ठन गयी
भारत माँ की पुण्य धरा पर, चारों ओर बलिदान हुए।
रक्त रंजित भारत भू ने कोटि - 2 अन्याय सहे।
मजबूर किया फिरंगियों को, करो या मरो के नारे ने,
अंग्रेज भाग खड़े हुए तब,
जब ललकारा नेता बोस जैसे प्यारे ने।
कर याद उन शहीदों को, नमन करें हम बारम्बार।
जिनके कारण हरेक भारतीय मनाता यह राष्ट्रीय त्यौहार
तेरा वैभव अमर रहे माँ, तेरा मान सदा बड़े माँ।
तेरा मस्तक कभी झुके ना, तेरा शीश कभी झुके ना।
जय हिन्द
'जय भारत
रचयिता
माधव सिंह नेगी,
प्रधानाध्यापक,
राजकीय प्राथमिक विद्यालय जैली,
विकास खण्ड-जखौली,
जनपद-रुद्रप्रयाग,
उत्तराखण्ड।
हर किसी को अपना देश जन्नत से प्यारा है।
जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसि ।
माँ भारती की पावन भू विश्व भर में स्वर्ग सी।
माँ भारती की दिव्य भूमि को शत् शत् नमन हमारा है।
विविध संस्कृति, विविध वेश है,
पर एक देश का नारा है
दैहिक रक्षा और धार्मिक मान्यता हर मानव का अधिकार है।
निज स्वतंत्रता व निजता मानव का जन्मसिद्ध अधिकार है।
विदेशियों ने किये अत्याचार भारतीयों पर भारी।
माँ भारती की दुर्दशा देख रोती रही जनता सारी।
यूनानी, शक, कुषाण,हूण, आये अरबी - ईरानी।
गजनी तुर्क शासन आया, आया तुर्क मोहम्मद गौरी,
कुतुबद्दीन ऐबक आया, गुलाम वंश को भारत में बसाया।
खिलजी आया तुर्किस्तान से, दिल्ली में पैर जमाया।
खिलजी वंश के अवसान करने को तुगलक वंश भारत आया।
पागल बादशाह मुहम्मद तुगलक जैसा शासक आया।
आये सैयद, लोदी, मुगल और अफगान
लूटते रहे सब एक - 2 कर हिन्दुस्तान।
डच पुर्तगाली और आखिर में आये यहाँ अंग्रेज।
लूट खसोट कर सारा धन दिया इग्लैण्ड को भेज।
सोने की चिड़िया को लूट खसोट कर बना दिया कंगाल।
हरे भरे देश को लूट और फूट की नीति से बाँट दिया बंगाल.
भारत माँ के अनमोल धन से आक्रान्ता बने मालामाल।
आए थे व्यापारी बनकर वे, बन गए यहां सरदार।
किया विरोध भारत माँ के सपूतों ने,
राजा पुरु, चन्द्र गुप्त मौर्य, पृथ्वी राज चौहान ने।
लोहा पर लोहा लेते गये, दुश्मनों को खदेड़ते गये।
महाराणा, शिवाजी, गुरु गोविंद ने सैकड़ों बलिदान दिये।
गुरु गोविंद सिंह के पुत्रों को जिन्दा ही दीवारों में चिनवा गये।
आयी क्रान्ति, भारत माँ के सपूतों ने यह प्रण ठाना।
भारत आजाद था, आजाद रहेगा।
अंग्रेजों को बाहर होगा जाना ही जाना.।
आजाद, भगत सिंह, सुभाष, आदि ने लिया ऐसा संकल्प
भारत को आजादी के अलावा कोई न दूजा विकल्प
चारों तरफ चिंगारी जल गयी,
भारत माँ को आजाद करने की ठन गयी
भारत माँ की पुण्य धरा पर, चारों ओर बलिदान हुए।
रक्त रंजित भारत भू ने कोटि - 2 अन्याय सहे।
मजबूर किया फिरंगियों को, करो या मरो के नारे ने,
अंग्रेज भाग खड़े हुए तब,
जब ललकारा नेता बोस जैसे प्यारे ने।
कर याद उन शहीदों को, नमन करें हम बारम्बार।
जिनके कारण हरेक भारतीय मनाता यह राष्ट्रीय त्यौहार
तेरा वैभव अमर रहे माँ, तेरा मान सदा बड़े माँ।
तेरा मस्तक कभी झुके ना, तेरा शीश कभी झुके ना।
जय हिन्द
'जय भारत
रचयिता
माधव सिंह नेगी,
प्रधानाध्यापक,
राजकीय प्राथमिक विद्यालय जैली,
विकास खण्ड-जखौली,
जनपद-रुद्रप्रयाग,
उत्तराखण्ड।
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