बादल आया बरसा पानी
बादल आया बरसा पानी,
चारों ओर फैली हरियाली।
गड्ढे भर गए,
लबालब हुई नदियाँ और नाली।
गर्मी में धूल उड़ रहे थे
जिस खेत-खलिहान में,
पानी भर गए खेतों-तालाबों में,
घास उग आए चारों ओर मैदान में।
बच्चे हुए मगन,
कागज की नाव बना तैरा रहे पानी में।
कितना प्यारा था मेरा भी बचपन,
याद आ रहा अब जवानी में।
बचपन में जब पानी गिरे ड्योढ़ी से,
हम रोके थाली में।
अब तो जितना बरसे पानी,
सब बह जाता है नाली में।
जब होती बारिश औरत-मर्द हो मगन,
गाते गीत रोपे धान।
बच्चे और जवान खेलें खूब कबड्डी,
जहाँ मिले खाली मैदान।
बादल आया बरसा पानी,
चारों ओर फैली हरियाली।
रचयिता
शिराज़ अहमद,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय ददरा,
विकास खण्ड-मड़ियाहूं,
जनपद-जौनपुर।
चारों ओर फैली हरियाली।
गड्ढे भर गए,
लबालब हुई नदियाँ और नाली।
गर्मी में धूल उड़ रहे थे
जिस खेत-खलिहान में,
पानी भर गए खेतों-तालाबों में,
घास उग आए चारों ओर मैदान में।
बच्चे हुए मगन,
कागज की नाव बना तैरा रहे पानी में।
कितना प्यारा था मेरा भी बचपन,
याद आ रहा अब जवानी में।
बचपन में जब पानी गिरे ड्योढ़ी से,
हम रोके थाली में।
अब तो जितना बरसे पानी,
सब बह जाता है नाली में।
जब होती बारिश औरत-मर्द हो मगन,
गाते गीत रोपे धान।
बच्चे और जवान खेलें खूब कबड्डी,
जहाँ मिले खाली मैदान।
बादल आया बरसा पानी,
चारों ओर फैली हरियाली।
रचयिता
शिराज़ अहमद,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय ददरा,
विकास खण्ड-मड़ियाहूं,
जनपद-जौनपुर।
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