तुम विचारो तनिक
अंधेरा है दीपक जलाओ जरा,
हो उजाला अब, सुनहरा सुनहरा।
है चुनौती ये देता, अंधेरा हमें,
खल रहा है बहुत, ये घेरा हमें।
कुछ जतन आज करते चलो,
नींव मजबूत हो वो बनाते चलो।
आ जाएगा दिन उजालों भरा,
तुम संवारों सभी राष्ट्र की ये धरा।
अंधेरा है दीपक जलाओ जरा।
हो उजाला- - -
नई ज्ञान किरणें जगमगाने लगे,
अब जागरण स्वर सुनाने लगे।
है महत दायित्व ये सोचो तनिक,
राष्ट्र हित में तुम विचारो तनिक।
सभी हम समर्पित बताओ जरा
सृजन भाव अपना जगाओ जरा।,
अंधेरा है दीपक जलाओ जरा।
हो उजाला अब---------------
आस में विश्वास भर, तुम चलो,
प्रेरणा दीप से तुम, निरन्तर जलो।
सृजन हो नया, ये कहता समय,
समस्या हो कोई, है पाना विजय।
तप में तपकर, बनता सोना खरा,
तुम जोश अपना जगाओ जरा।
अंधेरा है दीपक जलाओ जरा,
हो उजाला अब, सुनहरा सुनहरा।
रचयिता
सतीश चन्द्र "कौशिक"
प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय अकबापुर,
विकास क्षेत्र-पहला,
जनपद -सीतापुर।
हो उजाला अब, सुनहरा सुनहरा।
है चुनौती ये देता, अंधेरा हमें,
खल रहा है बहुत, ये घेरा हमें।
कुछ जतन आज करते चलो,
नींव मजबूत हो वो बनाते चलो।
आ जाएगा दिन उजालों भरा,
तुम संवारों सभी राष्ट्र की ये धरा।
अंधेरा है दीपक जलाओ जरा।
हो उजाला- - -
नई ज्ञान किरणें जगमगाने लगे,
अब जागरण स्वर सुनाने लगे।
है महत दायित्व ये सोचो तनिक,
राष्ट्र हित में तुम विचारो तनिक।
सभी हम समर्पित बताओ जरा
सृजन भाव अपना जगाओ जरा।,
अंधेरा है दीपक जलाओ जरा।
हो उजाला अब---------------
आस में विश्वास भर, तुम चलो,
प्रेरणा दीप से तुम, निरन्तर जलो।
सृजन हो नया, ये कहता समय,
समस्या हो कोई, है पाना विजय।
तप में तपकर, बनता सोना खरा,
तुम जोश अपना जगाओ जरा।
अंधेरा है दीपक जलाओ जरा,
हो उजाला अब, सुनहरा सुनहरा।
रचयिता
सतीश चन्द्र "कौशिक"
प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय अकबापुर,
विकास क्षेत्र-पहला,
जनपद -सीतापुर।
बहुत बढ़ियाँ रचना 👌🙏
ReplyDeleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteआभार,आपका।नाम लिख दिया कीजिए।
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