दोस्ती
दोस्त बनना और बनाना बहुत आसान है,
दोस्त तो खुदा का भेजा मेहमान है।
दोस्ती सभी रिश्तों से पाक होती है,
दोस्ती हर किसी से नहीं होती है।
दोस्त तो वह रिश्ता निभा जाते हैं,
जो आपके अपने पूरी उम्र नहीं कर पाते हैं।
दोस्ती एक ऐसा अनमोल रिश्ता है,
जो न देखे जात-पात और नहीं छोटा-बड़ा।
दोस्त ऐसे होते हैं जो बिन फायदे के आपका साथ देते हैं,
चोट लगती है दोस्त को तो दोस्त रो देते हैं।
दोस्ती एक ऐसा नशा है जो चढ़े तो नहीं उतरता,
सच्चा दोस्त अपने दोस्त के लिए सब कुछ है करता।
सच्चे दोस्त आपके चारों ओर साये की तरह रहते हैं,
दोस्त की खातिर हर दर्द वे सहते हैं।
क्या सही, क्या गलत वे बताते हैं,
गलत राह पर चले दोस्त तो उसे रोक लेते हैं।
दोस्त की खुशी में वह खूब नाचते हैं,
अगर है दोस्त दुखी तो वे कुछ पल के लिए मायूस हो जाते हैं।
अगले पल वह दोस्त के दुख को बाँट लेते हैं,
फिर उसको खुश करने के लिए सब कुछ कर जाते हैं
ऐसे ही दोस्त सच्चे दोस्त कहलाते हैं।
रचयिता
शिराज़ अहमद,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय ददरा,
विकास खण्ड-मड़ियाहूं,
जनपद-जौनपुर।
दोस्त तो खुदा का भेजा मेहमान है।
दोस्ती सभी रिश्तों से पाक होती है,
दोस्ती हर किसी से नहीं होती है।
दोस्त तो वह रिश्ता निभा जाते हैं,
जो आपके अपने पूरी उम्र नहीं कर पाते हैं।
दोस्ती एक ऐसा अनमोल रिश्ता है,
जो न देखे जात-पात और नहीं छोटा-बड़ा।
दोस्त ऐसे होते हैं जो बिन फायदे के आपका साथ देते हैं,
चोट लगती है दोस्त को तो दोस्त रो देते हैं।
दोस्ती एक ऐसा नशा है जो चढ़े तो नहीं उतरता,
सच्चा दोस्त अपने दोस्त के लिए सब कुछ है करता।
सच्चे दोस्त आपके चारों ओर साये की तरह रहते हैं,
दोस्त की खातिर हर दर्द वे सहते हैं।
क्या सही, क्या गलत वे बताते हैं,
गलत राह पर चले दोस्त तो उसे रोक लेते हैं।
दोस्त की खुशी में वह खूब नाचते हैं,
अगर है दोस्त दुखी तो वे कुछ पल के लिए मायूस हो जाते हैं।
अगले पल वह दोस्त के दुख को बाँट लेते हैं,
फिर उसको खुश करने के लिए सब कुछ कर जाते हैं
ऐसे ही दोस्त सच्चे दोस्त कहलाते हैं।
रचयिता
शिराज़ अहमद,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय ददरा,
विकास खण्ड-मड़ियाहूं,
जनपद-जौनपुर।
Beautiful thoughts weaved in words.. Weldone Shiraj sir
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