शिक्षा का उपवन

आओ अक्षय ज्योति जलाएँ।
शिक्षा का उपवन महकाएँ।।

नाम रहे सदियों तक जग में।
आओ कुछ ऐसा कर जाएँ।।

छात्र हमारा संचित धन हैं।
आओ मन से इन्हें पढ़ाएँ।।

छात्र नहीं ये रत्न हैं यारों।
आओ मिलकर इन्हें तराशें।।

आस बहुत है इनको हमसे।
पथ इनका आलोकित कर जाएँ।।

ये वंचित वर्ग से हैं आते।
इन्हें प्रेम से हम अपनाएँ।।

ये शिक्षण है परम पुनीत कार्य।
इसे ढंग से सम्पादित कर धन्य हो जाएँ।।

ये हैं अपनेपन के भूखे।
प्रेमामृत इन पर बरसाएँ।।

अपने निरीक्षक स्वयं बनें हम।
निष्ठा से कर्तव्य निभाएँ।।

रचयिता
प्रदीप कुमार चौहान,
प्रधानाध्यापक,
मॉडल प्राइमरी स्कूल कलाई,
विकास खण्ड-धनीपुर,
जनपद-अलीगढ़।

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