पापा मैं भी स्कूल जाऊँ
सुबह सुबह मैं ही क्यों पापा!
मम्मी जी का हाथ बटाऊँ
भैया को बोलो ना पापा
घर का वो भी काम करे
साथ चले स्कूल वो मेरे
खेले साथ ना इंकार करे
भैया को दूध और फल क्यों?
मैं ही क्यों रूखा सूखा खाऊँ?
सुन्दर कपडे मैं भी पहनूँ
आँगन में अपने नाचूँ गाऊँ
मैडम जी कहती हैं पापा
लडके-लडकी में भेद नहीं
दोनों को समान ही अवसर
मिलना चाहिए हर कहीं
मुझे भी पढ़ने दो ना पापा
पैरों पर अपने खड़ा हो जाऊँ।।
पढ़-लिख कर इस जहां में
नाम तेरा रौशन कर पाऊँ।।।
रचयिता
शीला सिंह,
सहायक अध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय विशेश्वरगंज,
नगर क्षेत्र-गाजीपुर,
जनपद-गाजीपुर।
मम्मी जी का हाथ बटाऊँ
भैया को बोलो ना पापा
घर का वो भी काम करे
साथ चले स्कूल वो मेरे
खेले साथ ना इंकार करे
भैया को दूध और फल क्यों?
मैं ही क्यों रूखा सूखा खाऊँ?
सुन्दर कपडे मैं भी पहनूँ
आँगन में अपने नाचूँ गाऊँ
मैडम जी कहती हैं पापा
लडके-लडकी में भेद नहीं
दोनों को समान ही अवसर
मिलना चाहिए हर कहीं
मुझे भी पढ़ने दो ना पापा
पैरों पर अपने खड़ा हो जाऊँ।।
पढ़-लिख कर इस जहां में
नाम तेरा रौशन कर पाऊँ।।।
रचयिता
शीला सिंह,
सहायक अध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय विशेश्वरगंज,
नगर क्षेत्र-गाजीपुर,
जनपद-गाजीपुर।
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