३४०~ रीतू पोरवाल (प्र०अ०) EMPS बरमूपुर, औरैया, उत्तर प्रदेेश

     🏅अनमोल रत्न🏅

मित्रों आज हम आपका परिचय मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से जनपद- औरैया की अनमोल रत्न शिक्षिका बहन रीतू पोरवाल जी से करा रहे हैं। जिन्होंने अपनी सकारात्मक सोच और समर्पित व्यवहार कुशलता से अपने विद्यालय को बहुत ही कम समय में समाज के लिए आकर्षण केन्द्र बनाने का प्रेरक काम किया है।

जहाँ एक ओर हमारे शिक्षक साथी बेसिक शिक्षा के शिक्षकों के प्रति समाज में बन रहे नकारात्मक विचारों पर चिंता व्यक्ति करते नजर जाते है। वहीं जब कुछ शिक्षक साथी इस नकारात्मक माहौल का समर्पित होकर अतिरिक्त समय और प्रयास करके सामना करने एवं विचार परिवर्तन से व्यवहार परिवर्तन की कोशिश करते हैं तो सबसे अधिक परेशानी हम सभी के बीच के साथियों अथवा विभाग से ही शुरू होती है। जो नितांत दोहरा चरित्र उजागर करता है एक तरफ सम्मान, स्वाभिमान, सामाजिक और शिक्षा उत्थान की चिंता, दूसरी ओर वेतनभोगी के रूप में सुरक्षित आरामगाह की तलाश करना। शायद यही कारण है कि आज हम सभी सामाजिक विश्वास के साथ, सही को सही और गलत को गलत कहने का भी साहस खोते जा रहे हैं। लेकिन इन्हीं सब विपरीत परिस्थितियों के बीच अपनी सकारात्मक सोच, समर्पित मेहनत से जो शिक्षक साथी बहन जी की तरह समाज में शिक्षा और शिक्षक के प्रति विश्वास को मजबूत करने का काम करते हैं उन्हें हम मिशन शिक्षण संवाद परिवार की ओर शत-शत नमन करते हैं।

आइये देखते हैं बहुत ही अल्प समय में आपके द्वारा किए गये कुछ प्रेरक और अनुकरणीय प्रयासों को:-

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=2361917117419205&id=1598220847122173

प्राथमिक विद्यालय बरमूपुर में मैं रीतू पोरवाल 4 मई-2018 को प्रधानाध्यापक के पद पर आई लेकिन पहले ही दिन में देख कर स्तब्ध रह गई, फटी चटाइयां, चटकी दीवारें, टूटे फर्श, टूटी रैंप, खराब हैंडपंप, न लाइट न पंखे, खराब ब्लैकबोर्ड, दूसरे ही दिन स्टोर रूम को खोलते ही, पत्रकार के सामने ही सांप का निकलना, बुरी तरह से पड़ा हुआ सारा सामान सब कुछ बयां कर गया। भोजनावकाश में बच्चों को पूरे स्कूल में कहीं भी खड़े होकर, बैठ कर, चल कर खाना खाने का तरीका देखकर अनुशासन का भी एहसास हो गया। बच्चों का शैक्षिक स्तर भी अत्यंत निम्न था 90 बच्चों के सापेक्ष मात्र 25% ही लगभग उपस्थिति थी।

📋भौतिक परिवेश सुधारने हेतु प्रयास📋

5 मई से लेकर 20 मई- 2018 तक ग्राम प्रधान व विभागीय अधिकारियों को सूचित किया लेकिन कुछ आशा न देखते हुए जून की छुट्टियों में ही मैंने अपने परिवार सहित संपूर्ण समय स्कूल की टूट-फूट, दीवारों की मरम्मत पुट्टी, POP, बिजली के पंखे, लाइट व अन्य छोटी-छोटी व्यवस्थाओं पर खर्च कर दिया जिससे जुलाई में विधिवत कक्षाएं चल सकें।








👉MDM व्यवस्था में सुधार हेतु किये गये प्रयास👈

90 बच्चों के सापेक्ष मात्र 22 थालियां होने के कारण मध्यावकाश से लेकर छुट्टी तक का समय एमडीएम में ही निकल जाने के कारण मैंने अपने पास से ही स्कूल को 100 थालियां व 100 चम्मचें 6 जुलाई-2018 को माननीय बीएसए महोदय के हाथों से बच्चों को वितरित करवा दीं। जिससे बच्चे अनुशासित सुव्यवस्थित बैठकर एक साथ एमडीएम ग्रहण करने लगे।



👉बच्चों की उपस्थिति व नामांकन में सुधार के लिए किए गए प्रयास👈

अभिभावक संपर्क व समय-समय पर पुरस्कार वितरण, लेकिन सबसे ज्यादा उपस्थित तब बढ़ी जब मैंने देखा कि छोटे -छोटे बच्चे बड़े ही दयनीय नजरों से उन बच्चों को देख रहे हैं जिन्हें लाने व ले जानेे के लिए छोटी-छोटी गाड़ियाँ आती हैं मैंने पूछा कि आप लोग स्कूल क्यों नहीं आते हो तब बच्चों ने कहा कि मेरे सरकारी स्कूल में यह व्यवस्था क्यों नहीं है मैडम जी ?
पिछले 3 साल से मैं पुराने स्कूल में भी बच्चों को स्कूटी से लाती व ले जाती थी, वही सिलसिला मैंने यहाँ भी शुरू कर दिया फिर क्या था मेरे गांव पहुंचने से पहले बच्चे कतार में लगे दिखते। समय से आधा घंटा पहले और बाद में छोटे-छोटे बच्चों को विद्यालय छोड़ने लगी ऐसा करने से स्कूल के प्रति बच्चों का लगाव हो गया उपस्थित कई गुना बढ़ गई और नामांकन 90 से बढ़कर 127 हो गया।







👉शैक्षिक स्तर सुधारने के लिए किए गए प्रयास👈

कक्षा 1 - 2 के बच्चों को पजल की सहायता से खेल- खेल में गिनती, कहानी के माध्यम से हिंदी सिखाना और 3-5 के बच्चों को टीएलएम के माध्यम से रोचक ढंग से पढ़ने के लिए प्रेरित किया।
राष्ट्रीय वृक्ष, फल, जानवर, पक्षी व अन्य ज्ञानवर्धक, प्रेरक फ्लेक्स लगवाये। स्कूल समय के बाद अभिभावकों से लगातार संपर्क कर बच्चों की प्रगति व कमियों पर समीक्षा करने से अभिभावकों और बच्चों का स्कूल से जुड़ाव हो गया।
महापुरुषों की जयंतियों को मूर्तरूप देकर उनके जीवन चरित्र का नाटकीय रूप में प्रस्तुतिकरण।
1-2 के बच्चों की कॉपी में चित्र बनाकर उनका नाम लिखने से लेखन में रूचि बढ़ी।








👉सकारात्मक प्रयास के परिणाम👈

3 महीने में छात्र संख्या 90 से बढ़कर 127 हो गयी।

रो-रो कर आने वाले बच्चे हंसकर अध्यापकों से पहले स्कूल आने लगे।

Good Morning, Good Night, Good Afternoon, Thankyou , Welcome, Sorry, Excuse me जैसे magic words
आपस में बोलने लगे।

कई छात्र प्राइवेट स्कूल से नाम कटाकर प्रा०वि० बरमूपुर में पढ़ने लगे। विद्यालय स्टाफ ने नवाचार का प्रयोग करते हुए पढ़ाई के प्रति रुचि को बढ़ाया।

राष्ट्रीय पर्व व सामाजिक पर्व आने से पहले ही उचित तरीके से तैयारी शुरू करना एवं सादगी, समर्पण के साथ मनाना।




📋विद्यालय की उपलब्धियां 📋

विद्यालय की सबसे बड़ी उपलब्धि बच्चों का अंग्रेजी के छोटे-छोटे शब्दों को आपस में बोलकर कान्वेंट जैसा ही महसूस करना।

पेड़ों की सुरक्षा के लिए Red Tape Movement मुहिम में हिस्सा लेने पर विद्यालय को प्रशस्ति पत्र मिला।

मिशन शिक्षण संवाद शैक्षिक उन्नयन कार्यशाला में माननीय BSA sir व CDO sir द्वारा उत्कृष्ट शिक्षक सम्मान प्राप्त।





👉विद्यालय की विशेषताएं👈

विद्यालय की सबसे बड़ी विशेषता विद्यालय प्रांगण में विशाल बरगद का वृक्ष जिसके नीचे ही दैनिक प्रार्थना सभा में सामान्य ज्ञान के प्रश्नों से ही दिन की शुरुआत होती है।
लंबी आयु का वरदान लिए वृक्ष के नीचे सभी बच्चों में नियमित योगाभ्यास। 100% बच्चे यूनिफार्म में ही आते हैं। माइक / म्यूजिक सिस्टम द्वारा प्रार्थना सभा। शनिवार को बाल सभा के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन। रुचिकर टीएलएम द्वारा गतिविधि आधारित शिक्षण कार्य। सभी कक्षा-कक्षों में पंखे व लाइट की व्यवस्था। समय-समय पर विभिन्न खेल, सुलेख, कला, रंगोली व नृत्य प्रतियोगिताओं का आयोजन।

▪संदेश ~
बदलाव करना मुश्किल है, असंभव नहीं।


साभार -🙏🏽
रीतू पोरवाल (प्र०अ०)
EMPS बरमूपुर, औरैया, उत्तर प्रदेेश

संकलन - ज्ञानप्रकाश
टीम मिशन शिक्षण संवाद

नोट: मिशन शिक्षण संवाद परिवार में शामिल होने एवं अपना, अपने जनपद अथवा राज्य के आदर्श विद्यालयों का अनमोल रत्न में विवरण भेजने तथा मिशन शिक्षण संवाद से सम्बंधित शिकायत, सहयोग, सुझाव और विचार को मिशन शिक्षण संवाद के वाट्सअप नम्बर-9458278429 & 7017626809 और ई-मेल shikshansamvad@gmail.com पर भेज सकते हैं।

विमल कुमार
टीम मिशन शिक्षण संवाद
19-06-2019

Comments

  1. Incredible! ...Keep rocking 👍

    ReplyDelete
  2. लगन और समर्पण की बेमिशाल कृति...
    आप की मेहनत और लगन ने परिवर्तन की स्वर्णिम आभा संजोये परिषदीय विद्यालय में ऊर्जा का नव संचार करके दिखा दिया की सपने सच करने कोई मुश्किल काम नहीं बस संकल्प दृढ़ होना चाहिये।।।।

    ReplyDelete

Post a Comment

Total Pageviews