ईद और पर्यावरण का संगम
ईद और पर्यावरण का,
हुआ अनोखा संगम है
चाँद-सितारों की महफ़िल में,
प्रकृति का अभिनंदन है।
आपसे बैर-भाव भुलाकर,
सब एकजुट हो जाओ,
एक बार गले मिलो और,
साथ दो-दो वृक्ष लगाओ।
हिन्दू-मुस्लिम का द्वेष मिटाकर,
ईद-दीवाली साथ मनाओ,
सिवइयाँ और गुझियाँ खाकर,
जल संरक्षण का बिगुल बजाओ।
मस्जिद जाओ, मंदिर जाओ,
नमाज़ पढ़ो, पूजा कर आओ,
धरती के संरक्षण की खातिर,
पॉलिथीन मत हाथ लगाओ।
मनु से मनु का मिलन जब होगा,
हाथ से हाथ तब जुड़ जाएँगे,
एक और एक ग्यारह होकर,
पर्यावरण बचाएँगे।
रचयिता
पूजा सचान,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय मसेनी(बालक) अंग्रेजी माध्यम,
विकास खण्ड-बढ़पुर,
जनपद-फर्रुखाबाद।
हुआ अनोखा संगम है
चाँद-सितारों की महफ़िल में,
प्रकृति का अभिनंदन है।
आपसे बैर-भाव भुलाकर,
सब एकजुट हो जाओ,
एक बार गले मिलो और,
साथ दो-दो वृक्ष लगाओ।
हिन्दू-मुस्लिम का द्वेष मिटाकर,
ईद-दीवाली साथ मनाओ,
सिवइयाँ और गुझियाँ खाकर,
जल संरक्षण का बिगुल बजाओ।
मस्जिद जाओ, मंदिर जाओ,
नमाज़ पढ़ो, पूजा कर आओ,
धरती के संरक्षण की खातिर,
पॉलिथीन मत हाथ लगाओ।
मनु से मनु का मिलन जब होगा,
हाथ से हाथ तब जुड़ जाएँगे,
एक और एक ग्यारह होकर,
पर्यावरण बचाएँगे।
रचयिता
पूजा सचान,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय मसेनी(बालक) अंग्रेजी माध्यम,
विकास खण्ड-बढ़पुर,
जनपद-फर्रुखाबाद।
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