पुरातन छात्र सम्मेलन गीत
ऐ विद्यालय! तुम्हें नमन
ऐ गुरुजन! तुम्हें नमन,
यहीं से सीखा लिखना पढ़ना,
यह अपना उद्यान है,
इसकी सीखों संदेशों से,
मिला अमित सम्मान है,
जितनी करूँ प्रशंसा इसकी
लगती मुझको कम,
ऐ विद्यालय! तुम्हें नमन,
ऐ गुरुजन! तुम्हें नमन,
शुरू-शुरू में डर लगता था,
फिर यह जी को अति भाया,
दंड प्रेम से गुरुजनों ने
जीवन के हर सबक सिखाया,
गढ़कर जिसने खड़ा किया
यह जीवन अनुपम
ऐ विद्यालय! तुम्हें नमन,
ऐ गुरुजन! तुम्हें नमन,
आज जहाँ पर हम बैठे हैं,
श्रेय इसी को जाता है,
इसके अनंत उपकारों को मन,
कभी भूल न पाता है,
इसके ऋण से उऋण नही
कहता है यह मन,
ऐ विद्यालय! तुम्हें नमन,
ऐ गुरुजन! तुम्हें नमन,
Poet
Ramnarayan Ranaday,
EMPS Baglai Chitrakoot,
District-Chitrakoot.
ऐ गुरुजन! तुम्हें नमन,
यहीं से सीखा लिखना पढ़ना,
यह अपना उद्यान है,
इसकी सीखों संदेशों से,
मिला अमित सम्मान है,
जितनी करूँ प्रशंसा इसकी
लगती मुझको कम,
ऐ विद्यालय! तुम्हें नमन,
ऐ गुरुजन! तुम्हें नमन,
शुरू-शुरू में डर लगता था,
फिर यह जी को अति भाया,
दंड प्रेम से गुरुजनों ने
जीवन के हर सबक सिखाया,
गढ़कर जिसने खड़ा किया
यह जीवन अनुपम
ऐ विद्यालय! तुम्हें नमन,
ऐ गुरुजन! तुम्हें नमन,
आज जहाँ पर हम बैठे हैं,
श्रेय इसी को जाता है,
इसके अनंत उपकारों को मन,
कभी भूल न पाता है,
इसके ऋण से उऋण नही
कहता है यह मन,
ऐ विद्यालय! तुम्हें नमन,
ऐ गुरुजन! तुम्हें नमन,
Poet
Ramnarayan Ranaday,
EMPS Baglai Chitrakoot,
District-Chitrakoot.
Comments
Post a Comment