हे! चित्रकार

भारत के भावी पट के,
हे चित्रकार तुम आओ।
शिक्षा किरण उजाली लाने,
तुम दीप स्वयं बन जाओ।

समय माँगता योग तुम्हारा,
अब फैलाने को उजियारा।
नई ज्ञान की किरण जगाने,
आवश्यक सहयोग तुम्हारा।

सृजन भावना सपने सुन्दर,
निज अन्तर में भर आओ।
विस्तृत होवे किरण नवेली,
सब अंशुमान बन जाओ।

अभी शेष है समर यहाँ पर,
संघर्ष अनेकों करने।
अँचल अँचल अभी अँधेरा,
ज्योति कलश हैं रखने।

नयी क्रांति के तुम्हीं सृजेता,
कुछ बीज नये बो जाओ।
परिवर्तन की इस बेला में,
वह पौरुष बल दिखलाओ।

रचयिता
सतीश चन्द्र "कौशिक"
प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय अकबापुर,
विकास क्षेत्र-पहला, 
जनपद -सीतापुर।

Comments

Total Pageviews