कबीर स्मरण
सहज पंथ जीवन चलो,
होवै सरल स्वभाव।
सुमिरन आतम राम का,
आत्म तुष्ट सब भाव।।
नयन दृष्टि पावन रहे,
होवै चित अभिराम।
साँस-साँस में राम हैं,
जीवन यदि निष्काम।।
कर्म सुकृत करिए सदा,
मानुष जीवन पाय।
साँची जीवन रीति हो,
कर्तव्य नहीं बिसराय।।
पढ़ि पढ़ि शास्त्र तमाम जग,
तत्व ज्ञान नहिं होय।
सदगुर साँई सत मिलत,
तत्वबोध फिरि होय।।
बिनु श्रद्धा बिनु भाव के,
पूजा सब है व्यर्थ।।
साँची पूजा सत सत करो,
जीवन आत्म समर्थ।।
ऊपर ऊपर गैरिक वसन,
माया चित में चौर।
सम्मुख प्रतिमा ईश की,
चित में चाहत और।।
छल प्रपंच पाखंड तजि,
करिए साँची प्रीति।
कौशिक"जीवन साँच का,
यही भक्ति की रीति।।
मानुष सकल जहान के,
जन्मे एक समान।
भेद न कछु मन कीजिए,
करिए नहिं अभिमान।।
रचयिता
सतीश चन्द्र "कौशिक"
प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय अकबापुर,
विकास क्षेत्र-पहला,
जनपद -सीतापुर।
होवै सरल स्वभाव।
सुमिरन आतम राम का,
आत्म तुष्ट सब भाव।।
नयन दृष्टि पावन रहे,
होवै चित अभिराम।
साँस-साँस में राम हैं,
जीवन यदि निष्काम।।
कर्म सुकृत करिए सदा,
मानुष जीवन पाय।
साँची जीवन रीति हो,
कर्तव्य नहीं बिसराय।।
पढ़ि पढ़ि शास्त्र तमाम जग,
तत्व ज्ञान नहिं होय।
सदगुर साँई सत मिलत,
तत्वबोध फिरि होय।।
बिनु श्रद्धा बिनु भाव के,
पूजा सब है व्यर्थ।।
साँची पूजा सत सत करो,
जीवन आत्म समर्थ।।
ऊपर ऊपर गैरिक वसन,
माया चित में चौर।
सम्मुख प्रतिमा ईश की,
चित में चाहत और।।
छल प्रपंच पाखंड तजि,
करिए साँची प्रीति।
कौशिक"जीवन साँच का,
यही भक्ति की रीति।।
मानुष सकल जहान के,
जन्मे एक समान।
भेद न कछु मन कीजिए,
करिए नहिं अभिमान।।
रचयिता
सतीश चन्द्र "कौशिक"
प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय अकबापुर,
विकास क्षेत्र-पहला,
जनपद -सीतापुर।
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