फ़ादर्स डे

मेरी उम्मीदों का पिटारा है पिता,
मुसीबत के डगर में सहारा है पिता।
तपती गर्मी में शीतल छाँव है पिता,
गमों के समंदर में मेरी नाव है पिता।

उँगली पकड़कर चलना सिखाता है पिता,
कंधो पर बिठाकर दुनिया दिखाता है पिता।
मुश्किलों में भी हौसला बढ़ाता है पिता,
उम्मीद की नई किरणों को जगाता है पिता।

जमाने की पहचान कराता है पिता,
कामयाबी में मेरी मुस्कुराता है पिता।
मन में विश्वास मेरे दिलाता है पिता,
जीवन में नई ऊर्जा जगाता है पिता।

रचयिता
अशोक कुमार,
सहायक अध्यापक,
कम्पोजिट प्राथमिक विद्यालय रामपुर कल्याणगढ़
विकास खण्ड-मानिकपुर,
जनपद-चित्रकूट।

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