३३९~ रीता गुप्ता (स०अ०) मॉडल प्राइमरी स्कूल बेहट-1, साढोली कदीम, सहारनपुर

🏅अनमोल रत्न🏅

मित्रों आज हम आपका परिचय मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से जनपद- सहारनपुर की अनमोल रत्न शिक्षिका बहन रीता गुप्ता जी से आपका परिचय करा रहे हैं जिन्होंने अपनी सकारात्मक सोच एवं प्रेम और वात्सल्य की प्रेरक शक्ति अपने विद्यालय को बाल सुलभ एवं आकर्षक का केन्द्र बनाकर समाज में विद्यालय का विश्वास स्थापित करने में सफलता पायी है जो हम सभी के लिए प्रेरक और अनुकरणीय है।

आइये देखते हैं आपके द्वारा किए गये कुछ प्रेरक और अनुकरणीय प्रयासों को:-

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मैं रीता गुप्ता (स०अ०)
मॉडल प्राइमरी स्कूल बेहट नंबर 'एक'
ब्लॉक- साढोली कदीम
जनपद- सहारनपुर से।

📋 सामान्य परिचय 📋
मेरी नियुक्ति 9 नवम्बर, 2015 को मॉडल प्राइमरी स्कूल बेहट नंबर एक में सहायक अध्यापिका के पद पर हुई। यह स्कूल जनपद मुख्यालय से 26 किलोमीटर दूर तहसील बेहट में अवस्थित है।

👉विद्यालय का प्रारंभिक स्वरुप👈

विद्यालय भवन पक्का था किंतु मेंटिनैंस शून्य था। जो एक बार टूट-फूट गया, उसे मरम्मत नहीं कराया गया। बेसिक सुविधाओं का भी लगभग अभाव था। शैक्षिक माहौल भी अच्छा नहीं था। नामांकन के सापेक्ष बच्चों की उपस्थिति बेहद कम रहती थी। शैक्षिक स्तर भी अच्छा नहीं था। मुझे यही से शुरुआत करनी थी कि बच्चे स्कूल को अपना समझें, उसमें ठहरें तथा उपस्थिति बढ़े।

👉मेरे द्वारा किये गए प्रयास👈

पहले अपने कक्षा-कक्ष हेतु सभी बेसिक सुविधाएँ खुद से उपलब्ध कराईं। उसके बाद अवसर मिलने पर विद्यालय में आवश्यक मरम्मत, सभी टॉयलेट्स में पानी की व्यवस्था व विद्यालय हेतु आवश्यक वस्तुएं दरी, टाट-पट्टी, चटाई, कुर्सी, साउंड सिस्टम आदि की व्यवस्था कराई।

स्टाफ के साथ मिलकर आपसी सामंजस्य बनाया। जिससे विद्यालय विकास में सबका सकारात्मक सहयोग प्राप्त हुआ।

विद्यालय के सहृदय सहयोगी प्रधानाध्यापक श्री सुधांशु पांडेय जी द्वारा मुझे पूर्ण स्वतंत्रता दी गयी कि विद्यालय हित में स्वविवेक से मैं कोई भी निर्णय ले सकती हूँ। इसी कारण मैं विद्यालय में लगातार परिवर्तन लाने में सफल रही।

अनुपस्थित रहने वाले छात्रों के अभिभावकों से मिल उन्हें बच्चों को नित्य प्रति विद्यालय भेजने हेतु प्रेरित किया। कक्षा के हर बच्चे को अपना मोबाइल नंबर दिया और फोन द्वारा संपर्क में रहने को कहा। उत्साहित होकर बच्चों ने भी अपने-अपने फोन नंबर मुझे लाकर दिए। मेरे लिए अभिभावकों से संपर्क करना अब बहुत आसान हो गया। धीरे-धीरे पूरे विद्यालय के अभिभावक मुझसे फोन द्वारा जुड़ गये। अभिभावकों व बच्चों के मन में विद्यालय के प्रति लगाव उत्पन्न हुआ तथा उपस्थिति में सुधार होने लगा।

बच्चों की रटने और श्यामपट से देखकर उतारना जैसी पुरानी शिक्षण पद्धतियों के स्थान पर गतिविधि आधारित शिक्षण, खेल-खेल में शिक्षा, गीत, कविता व कहानी को मैंने अपनाया तो बच्चों को पढ़ना आनंदमयी लगने लगा। उनके सीखने के स्तर में तेजी से विकास हुआ। मैंने बच्चों को आत्माभिव्यक्ति के अवसर प्रदान किये जिससे बच्चों में आत्मविश्वास व नेतृत्व क्षमता व सृजनात्मकता विकसित होने लगी। बच्चे हर पल कुछ नया करने को प्रेरित होने लगे।

*इंग्लिश लैंग्वेज* को बेसिक विद्यालयों में अछूता समझा जाता था, ऐसा माना जाता था कि बिना ट्यूशन व घर पर ध्यान दिए बच्चों को यह नहीं सिखायी जा सकती। मैंने *रेवोलुशन* लाने की ठान ली और बच्चों को इंग्लिश सिखाने के प्रयास शुरू किये। मेरे प्रयासों को बच्चों का भरपूर समर्थन मिला। रीडिंग, राइटिंग से होते हुए स्पीकिंग भी बच्चों ने तेजी से सीखी। सार्वजनिक रूप से जब बच्चों ने इंग्लिश में सांग, पोएम व स्पीच देनी प्रारम्भ की तो क्षेत्रवासी हैरान रह गए। उनके द्वारा मेरे बेसिक विद्यालय को सभी प्राइवेट स्कूलों से ऊपर प्रथम रैंक पर रखा जाने लगा। *प्राइवेट स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे हमारे विद्यालय में प्रवेश लेने लगे।* इसी बीच उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा इंग्लिश मीडियम स्कूल का कांसेप्ट प्रारम्भ किया गया, हमारा विद्यालय भी इंग्लिश मीडियम हेतु चयनित हुआ।

*मॉडल स्कूल* के लिए आधार *विद्यालय में पर्याप्त खुला मैदान व भौतिक सुविधाएं* निर्धारित थी। *शैक्षिक गुणवत्ता* का इसमें कोई विशेष स्थान नही था। हर प्रकार से योग्य होते हुए भी छोटे स्कूल भवन के कारण हमें मॉडल स्कूल से वंचित कर दिया गया। मैंने इसका विरोध किया तथा अपने बीएसए सर से शैक्षिक गुणवत्ता को भी आधार मानने हेतु निवेदन किया। हमारे स्कूल की शैक्षिक गतिविधियों से प्रभावित बीएसए सर ने मॉडल स्कूल हेतु हमारे स्कूल की अनुशंसा कर दी।

विद्यालय प्रांगण अत्यन्त छोटा होने के कारण हम यहाँ कोई बड़ा कार्यक्रम आयोजित कर अपने बच्चों की प्रतिभा प्रदर्शित नही कर सकते थे इसलिए मैंने सोशल मीडिया को अपनी ताकत बनाया तथा बच्चों की शैक्षिक गतिविधियों को पूरे देश के शिक्षकों तक पहुंचाया।

बच्चों को खुद से जोड़ने हेतु *टच थेरेपी* का सफलतम प्रयोग मेरे द्वारा किया गया। स्नेह व मातृत्व पूर्ण स्पर्श ने बच्चों में स्कूल के प्रति भय व अरुचि को दूर करने का कार्य किया। बच्चे टच थैरेपी से अपने दुखों को भूलने लगे तथा विद्यालय को घर के समान महसूस करने लगे। स्पेशल चाइल्ड में टच थेरपी से विद्यालय में ठहराव आया और उनके व्यवहार में अद्भुत परिवर्तन नज़र आने लगे।

👉विद्यालय में किये गए अतिरिक्त प्रयास👈

अपने कक्षाकक्ष को सब्जेक्टिव TLM के माध्यम से ओपन बुक में परिवर्तित किया गया है तथा बच्चों को उनके स्तर के अनुसार पढ़ाया जाता है।

बच्चों में सृजनात्मकता विकसित करने हेतु उन्हें कला विषय से जोड़ा तथा विभिन्न प्रतियोगताओं में प्रतिभाग कराया।

विद्यालय में सभी राष्ट्रीय पर्वों, महत्त्वपूर्ण दिवसों तथा देश के मुख्य धार्मिक पर्वों को उत्साहपूर्ण तरीके से आयोजित करना। बच्चों में सर्वप्रथम अनिवार्य देशभक्ति की भावना का विकास किया जाता है तथा देश, समाज व पर्यावरणीय समस्याओं की जानकारी दी जाती है।

बच्चों द्वारा समाज को जागरूक करने हेतु *जल संरक्षण, वृक्ष* *लगाओ, मतदाता जागरूकता,* *स्कूल चलो* *अभियान, पोलियो* *उन्मूलन* आदि रैलियां निकाली जाती है। समर कैंप का आयोजन किया जाता है।

विद्यालय में *स्मार्ट क्लास व प्रोजेक्टर* के माध्यम से शिक्षा दी जाती है, साथ ही ज्ञानवर्धक कार्यक्रम भी दिखाए जाते हैं।

बच्चों हेतु *बाल संसद का गठन,* *बाल पुस्तकालय,* *शत-प्रतिशत उपस्थिति वाले बच्चों को हर माह प्रोत्साहन पुरूस्कार*, *विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन,* वार्षिक परीक्षाफल के समय पुरूस्कार वितरण किया जाता है।

विद्यालय का भौतिक परिवेश सुन्दर व आकर्षक बनाने हेतु *यूनिक वॉल पेंटिंग* कराने में अग्रणी भूमिका निभाई।

अभिभावकों के साथ निरंतर संपर्क स्थापित करना और उनसे विद्यालय के प्रति फीड बैक लेना।

👉विद्यालय तथा मेरी उपलब्धियां👈

ब्लॉक स्तर पर आयोजित मॉडल स्कूलों की 5 प्रतियोगताओं में से प्रत्येक प्रतियोगिता में मेरे स्कूल के बच्चों द्वारा स्थान प्राप्त करना।

राज्य स्तरीय कला प्रतियोगिता में प्रतिभाग कर बच्चों द्वारा उत्कृष्ट प्रदर्शन किया गया तथा पुरुस्कार जीते।

जिला स्तरीय कार्यक्रम में बच्चों द्वारा *इंग्लिश में वेलकम सांग* प्रस्तुत कर उपस्थित अतिथियों की प्रशंसा बटोरी।

तहसील स्तर पर राष्ट्रिय पर्व के समय आयोजित कार्यक्रम में प्राइवेट स्कूलों को कड़ी टक्कर देते हुए हमारे स्कूल के बच्चों द्वारा सबकी प्रशंसा प्राप्त की जाती है।

अध्यक्ष, नगर पंचायत बेहट द्वारा बच्चों की प्रतिभा से मुग्ध होकर विद्यालय को चार पंखे तथा वाटर कूलर व प्यूरीफायर भेंट किया गया तथा विद्यालय चार दिवारी पर सुंदर पेंटिंग कराई गई।

मुझे ब्लॉक स्तर पर उत्कृष्ट शिक्षक व एक संस्था द्वारा जिला स्तर पर उत्कृष्ट शिक्षक का सम्मान दिया गया।

जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी महोदय द्वारा लिखित में मेरे कार्यों की प्रशंसा कर अनुग्रहित किया गया।

निरंतर स्वैच्छिक रक्तदान करने व अन्यों को रक्तदान करने के लिए प्रेरित करने हेतु मुझे जिला स्तर पर सम्मानित किया गया।

प्रेरक सन्देश-
*"प्रेम ही शिक्षण का आधार है। यही बच्चों में परिवर्तन लाकर उन्हें देश के अच्छे नागरिक बना सकता है।"*

सादर:-
रीता गुप्ता (स०अ०)
मॉडल प्राइमरी स्कूल बेहट-1, साढोली कदीम, सहारनपुर

संकलन: आशीष शुक्ला
टीम मिशन शिक्षण संवाद

नोट: मिशन शिक्षण संवाद परिवार में शामिल होने एवं अपना, अपने जनपद अथवा राज्य के आदर्श विद्यालयों का अनमोल रत्न में विवरण भेजने तथा मिशन शिक्षण संवाद से सम्बंधित शिकायत, सहयोग, सुझाव और विचार को मिशन शिक्षण संवाद के वाट्सअप नम्बर-9458278429 & 7017626809 और ई-मेल shikshansamvad@gmail.com पर भेज सकते हैं।

विमल कुमार
टीम मिशन शिक्षण संवाद
18-06-2019

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