पाना हमें विजय

नवीन हर विचार है नवीन यह समय,
हर विघ्न तोड़कर पाना हमें विजय।
कौन कह रहा कि मुश्किलें तमाम हैं।
तुम संकल्प ले बढ़ो रुकना हराम है।
कर्म और विश्वास का कर दो यहाँ विलय।
नवीन हर- - -
खोजना वो पंथ है जिसका नहीं पता,
स्वप्न क्या भविष्य का यह तो जरा बता।
आत्म शक्ति से भरे चलो वीर बन अभय।
नवीन हर - - -
यूँ हाथ पे हाथ रख क्यों बन रहे निबल,
जिन्दगी के लक्ष्य को क्यों रहे हो छल?
पुरुषार्थ के लिए निश्चित न कोई वय।
नवीन हर - - -
संसार यह विशालतम उसी के अंग तुम,
राह देखता ये विश्व है भरो उमंग तुम।
नूतन विहान के लिए हो सूर्य सा उदय।
नवीन हर- - - -
विवेकवान तुम बनो जीवन के वार हर,
सृजन की राह देखता, हर गाँव हर नगर।
विचलित न होना राह पर, होगी तुम्हारी जय।
नवीन हर विचार है- -

रचयिता
सतीश चन्द्र "कौशिक"
प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय अकबापुर,
विकास क्षेत्र-पहला, 
जनपद -सीतापुर।

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