योग करेंगे

योग करेंगे, योग करेंगे,
धरती को निरोग करेंगे।

योगी शम्भू, कृष्ण थे योगी,
जनक राज भी योगी थे।
पानी बीच कमल के जैसे,
सिंहासन के भोगी थे।
उनके जीवन आदर्शों का,
हम फिर उपयोग करेंगे।

योग करेंगे, योग करेंगे
धरती को निरोग करेंगे।

योगी थे चाणक्य योग से,
सोता देश जगाया।
नंद वंश के सिंहासन पर,
चन्द्रगुप्त बैठाया।
उनकी क्षमताओं का फिर से,
जन-जन से विनियोग करेंगे।

योग करेंगे, योग करेंगे
धरती को निरोग करेंगे।

पूज्य विवेकानंद देश के,
गौरव के रखवाले।
जिनके भाषण से अमरीका,
वासी मन से हारे।
आने वाले युग में जिनकी,
चर्चा सारे लोग करेंगे।

योग करेंगे, योग करेंगे,
धरती को निरोग करेंगे।

रामदेव जी उदित हुए हैं,
योगाचार्य हमारे,
भारत की संस्कृति ने,
अपने बल से पाँव पसारे।
स्वस्थ जिंदगी देने वाले,
नियमों का उपयोग करेंगे।

योग करेंगे, योग करेंगे,
धरती को निरोग करेंगे।

रचयिता
डॉ0 प्रवीणा दीक्षित,
हिन्दी शिक्षिका,
के.जी.बी.वी. नगर क्षेत्र,
जनपद-कासगंज।

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