बिन हरियाली धरती अधूरी है

आज कहना ज़रूरी है
बिन हरियाली धरती अधूरी है
माथे की बिंदिया चंदा सितारे 
मुस्कुराता अंबर लगे प्यारे-प्यारे
हर बार पौधे लगाना ज़रूरी है
बिन हरियाली धरती अधूरी है
धरती पर खेले शबनम के मोती
भौरों का गुंजन प्रभात की ज्योति
धरा को प्रदूषण  मुक्त करना ज़रूरी है
बिन हरियाली धरती अधूरी है
पक्षियों का कलरव झरनों का शोर
नदिया का लहराता पानी डाली झूमें हर ओर
धरा की करनी हमको रखवाली है
बिन हरियाली धरती अधूरी है,
पर्वत सुनाते हैं नगमे, पवन  छेड़े सरगम 
मिट्टी की सोंधी खुशबू, बहारों का मौसम
जीवन के लिए ऑक्सीजन  ज़रूरी है
बिन हरियाली धरती अधूरी है,
मित्रता का दर्पण हमारा पर्यावरण
सुरक्षित रहे हम, सुरक्षित रहे हमारा आवरण
इसको बचना ज़रूरी है
बिन हरियाली धरती अधूरी है,
आज कहना ज़रूरी है
बिन हरियाली धरती अधूरी है।
       
रचनाकार
रुखसाना बानो,
सहायक अध्यापक,
पूर्व माध्यमिक कन्या विद्यालय अहरौरा,
विकास खण्ड-जमालपुर,
जनपद-मीरजापुर।

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