३३६~ सुचिता त्रिपाठी(स०अ०) पूर्व माध्यमिक विद्यालय खदरा, देवमई, फ़तेहपुर

🏅अनमोल रत्न🏅

मित्रों आज हम आपका परिचय मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से जनपद- फतेहपुर की अनमोल रत्न बहन सुचिता त्रिपाठी एवं उनके सहयोगी विद्यालय परिवार से करा रहे हैं। जिन्होंने अपनी सकारात्मक सोच और नवाचारी विचार शक्ति से विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से विद्यालय के बच्चों में सकारात्मक ऊर्जा का संचार कर सामाजिक, व्यवहारिक और भविष्य दर्शन में निपुणता प्रदान कर अपने विद्यालय को सामाजिक विश्वास का केन्द्र बना दिया है। जो हम सभी के लिए अनुकरणीय और प्रेरक है।।


आइये देखते हैं आपके द्वारा किए गये कुछ प्रेरक और अनुकरणीय प्रयासों को:-

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मैं श्रीमती सुचिता त्रिपाठी
सहायक अध्यापिका
उ०प्रा०वि०खदरा
विकास खण्ड- देवमई
जनपद- फ़तेहपुर से।
मेरी प्रथम नियुक्ति- 7 जनवरी-2006
वर्तमान विद्यालय में कार्यरत- 5 सितम्बर-2012 से है।

💁🏻 विद्यालय में आने के पश्चात सबसे पहले बच्चों को स्वच्छता का पाठ पढ़ाने की आवश्यकता महसूस हुई। उन्हें स्वच्छता का महत्व समझाया जिस पर पॉजिटिव रिस्पॉन्स एक हफ़्ते में मुझे मिलने लगा। वर्तमान में स्वच्छता मेरे विद्यालय की एक परम्परा हो गयी है।
👉🏻 स्वच्छता के साथ कक्षा कक्षों की सुन्दरता भी आवश्यक थी। मैंने उन्हें सजाना प्रारम्भ किया किन्तु कोई न कोई बच्चा शरारत कर उन्हें अव्यवस्थित अथवा खराब कर देता था। इस समस्या का हल निकाला गया। मैंने तीनों कक्षाओं के बीच मोस्ट ब्यूटीफुल की प्रतियोगिता करायी। अब जाकर उन बच्चों को मेहनत का महत्व समझ आया। इससे फ़ायदा यह हुआ कि अब कोई भी बच्चा कक्षा-कक्ष और कक्षा-कक्ष के बाहर की किसी भी वस्तु को खराब नहीं करता वरन उसे और अधिक आकर्षक बनाने का प्रयास करता है साथ ही उसकी देखभाल भी करता है।

👉🏻 शुरुआत में ही एक दिन बातों-बातों में मैंने कक्षा-8 के बच्चों से पूछा कि वह बड़े होकर क्या बनेंगे? मैं आश्चर्यचकित थी, एक भी बच्चे ने जवाब नहीं दिया। पूरे समय तक नीचे सर झुकाये खड़े रहे। अगर सपने नहीं होंगे तो आगे कैसे बढ़ेंगे। अब मेरे लिए ये एक बड़ा लक्ष्य था। मैंने बच्चों को न्यूज़पेपर कटिंग, वीडिओज़ आदि दिखाने शुरू किए। इसका भी सकारात्मक प्रभाव दिखाई देने लगा। अब मेरे विद्यालय के कक्षा- 6 से 8 तक के सभी बच्चों की आँखों में सपने हैं। हर कोई डॉक्टर, इंजीनियर, ऐक्टर, डांसर, आर्मी ऑफ़िसर बनना चाहता है। रास्ते इनके लिए कठिन हैं किन्तु अगर कुछ दूर भी ये अपने सपनों को पूरा करने के लिए आगे बढ़े तो मेरी की गयी मेहनत सफ़ल होगी।



👉🏻 मेरे विद्यालय में जातिवाद इन बच्चों में कभी नहीं दिखेगी। सभी मिलकर रहते हैं। मैं उन्हें इस विद्यालय से केवल शिक्षित करके ही नहीं भेजना चाहती हूँ अपितु इन्हें मानसिक रूप से शिक्षित करना चाहती हूँ ताकि वो एक अच्छे नागरिक के रूप में देशहित में सहयोग कर सकें।
नवरात्रि में होने वाली कन्यापूजन में यहाँ मुश्लिम लड़कियाँ भी शामिल होती हैं, जिसका प्रभाव यह हुआ कि सभी बच्चे एक दूसरे के धर्म का सम्मान करते हैं। मेरे यहाँ मुश्लिम बच्चे तो बाल हनुमान व बाल गणेश की फ़ोटो लगाकर प्रतिदिन पूजन कर प्रसाद वितरित करते हैं। यह सब देख मन को अतिप्रसन्नता और खुशी मिलती है।



👉🏻 बात यदि शैक्षिक गुणवत्ता की कीजाए तो वो मेरी पहली प्राथमिकता रहती है। अन्य सभी कार्यों के साथ समन्वय स्थापित करते हुए बच्चों को उद्देश्यपरक और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना मेरा पहला कर्तव्य है। इसके लिए मैं और मेरा विद्यालय परिवार सदैव तत्पर रहते हैं। प्रतिवर्ष नवीन प्रयोगों के माध्यम से शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाना भी हमारी प्रतिबद्धता रहती है। येन केन प्रकारेण बच्चों को बेहतर शिक्षा प्रदान करना ही हमेशा लक्ष्य रहता है और इस लक्ष्य की पूर्ति हेतु हर सम्भव प्रयास भी किया जाता है। प्रयास का प्रतिफल भी सकारात्मक मिला है अभी तक।
👉🏻 पिछले वर्ष मैंने परीक्षा में बच्चों के द्वारा बेहतर प्रयास किये जायें इसके लिए सम्पूर्ण माह टेस्ट लिया गया। अंक के स्थान पर बच्चों को स्टार दिया गया। जिसके सभी उत्तर सही उन्हें स्टार, जिनमें कुछ गलतियाँ उन्हें वेरी गुड इसके बाद गुड। अब बच्चों का पूरा ध्यान अपने दोस्त के नम्बर में नहीं बल्कि एक भी गलती न हो और स्टार मिले इस पर रहता है।
कुछ बच्चे वेरी गुड पाने पर दुःखी हो जाते हैं, अतः उन्हें पुनः पुनः याद कर दोबारा परीक्षा देने का अवसर प्रदान किया जाता है। दोबारा बच्चे की गलती को सुधारकर जब स्टार प्राप्त करते थे तो वें बहुत प्रसन्न होते थे। तब मानों बच्चों को नहीं मुझे स्टार मिला हो।
👉🏻 मेरे द्वारा बच्चों को परीक्षा में अंक न देकर उन्हें अंक के स्थान पर स्टार देना, यह नवीन प्रयोग बहुत ज्यादा सफल व प्रभावी रहा।
👉🏻 आज मेरे विद्यालय के बच्चे जहाँ भी जाते हैं, उनसे पूछा जाता है कि कहाँ से पढ़कर आये हो? यह सवाल बच्चों के द्वारा सुनकर ऐसा प्रतीत होता है, मानो मेरी गुरु दक्षिणा मुझे मिल गयी।
👉🏻 मेरे द्वारा किये जाने वाले समस्त कार्यों से अभिभावकों का रुख अब सरकारी स्कूल की ओर होने लगा है। बच्चे प्राइवेट विद्यालयों से वापस सरकारी विद्यालयों में नामांकन करवा रहे हैं।








 
👉🏻 इसके अतिरिक्त पहले की अपेक्षा अब नामांकन एवं बच्चों की उपस्थिति अच्छी रहती है। शुरुआत में विद्यालय में नामांकन न्यून था और उपस्थिति भी बहुत अच्छी न रहती थी, किन्तु अब नामांकन के साथ-साथ उपस्थिति भी बढ़िया रहती है।
👉🏻 वार्षिक खेलकूद प्रतियोगिताओं में भी विद्यालय के बच्चे बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते हैं। और अपने हुनर से विद्यालय का नाम रोशन करते हैं।
👉🏻 अन्य सभी के साथ-साथ बच्चों को कला और क्राफ़्ट आदि का भी कार्य बताया व कराया जाता है। बच्चों ने क्राफ़्ट कार्य के जरिये अपने अपने कक्षा- कक्षों को सुसज्जित कर रखा है।
सादर🙏
सुचिता त्रिपाठी(स०अ०)
पूर्व माध्यमिक विद्यालय खदरा, देवमई, फ़तेहपुर

संकलन:- बबलू सोनी
टीम मिशन शिक्षण संवाद

नोट: मिशन शिक्षण संवाद परिवार में शामिल होने एवं अपना, अपने जनपद और राज्य के आदर्श विद्यालयों का अनमोल रत्न में विवरण भेजने तथा मिशन शिक्षण संवाद से सम्बंधित शिकायत, सहयोग, सुझाव और विचार को मिशन शिक्षण संवाद के वाट्सअप नम्बर-9458278429 & 7017626809 और ई-मेल shikshansamvad@gmail.com पर भेज सकते हैं।

विमल कुमार
टीम मिशन शिक्षण संवाद
14-06-2019

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