वृक्ष
हे मानव तुम ऐसा कृत्य क्यों करते हो,
अपने भविष्य को क्यो गर्त में झोंकते हो।
करते तो तुम हर बार अपनी मनमानी,
नहीं जान पायी तुमने मेरे महत्व की कहानी।
मैं कार्बन रूपी विष पीकर तुम्हें प्राण वायु देता,
मीठे रसीले फलों के स्वाद से तुम्हें आनंदित करता,
विभिन्न पौष्टिक सब्जियाँ तुम्हें प्रदान करता,
रंग-बिरंगे फूलों से इस धरा को महकाता।
चन्द रुपये के खातिर तुम मुझे काट देते हो,
हम देते हैं जीवन बदले में तुम मौत देते हो,
हे मानव तुम चिंतन करो ये क्या कर रहे हो,
पर्यावरण तार-तार कर अपना घर क्यों प्रदूषण से भर रहे हो।
रचयिता
प्रवीन तिवारी,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय कदौरा,
विकास खण्ड - मऊरानीपुर,
जिला - झाँसी।
अपने भविष्य को क्यो गर्त में झोंकते हो।
करते तो तुम हर बार अपनी मनमानी,
नहीं जान पायी तुमने मेरे महत्व की कहानी।
मैं कार्बन रूपी विष पीकर तुम्हें प्राण वायु देता,
मीठे रसीले फलों के स्वाद से तुम्हें आनंदित करता,
विभिन्न पौष्टिक सब्जियाँ तुम्हें प्रदान करता,
रंग-बिरंगे फूलों से इस धरा को महकाता।
चन्द रुपये के खातिर तुम मुझे काट देते हो,
हम देते हैं जीवन बदले में तुम मौत देते हो,
हे मानव तुम चिंतन करो ये क्या कर रहे हो,
पर्यावरण तार-तार कर अपना घर क्यों प्रदूषण से भर रहे हो।
रचयिता
प्रवीन तिवारी,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय कदौरा,
विकास खण्ड - मऊरानीपुर,
जिला - झाँसी।
Very nice and inspirable poem sir
ReplyDeleteAnukaraniy vichar
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