३३७~ राजेन्द्र बधानी (स०अ०) रा०उ० प्रा०वि० छोटीमणि, ब्लाक- चिन्यालीसौड़, जनपद-उत्तरकाशी, उत्तराखण्ड
🏅अनमोल रत्न🏅
मित्रों आज हम आपका परिचय मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से उत्तराखण्ड के अनमोल रत्न शिक्षक साथी राजेन्द्र बधानी जी से करा रहे हैं। जिन्होंने अपनी सकारात्मक सोच और समर्पित व्यवहार कुशलता से अपने विद्यालय को सामाजिक विश्वास का केन्द्र बना दिया है। साथ ही वर्तमान में समाज की सबसे बड़ी आवश्यकता है समाज के अन्तिम छोर पर बैठे व्यक्ति को प्रेम से प्रोत्साहित करने की। जिसे आपने अपने विद्यालय के बच्चों से शुरुआत की। जो निश्चित ही हम सभी के लिए अनुकरणीय और प्रेरक है।
आइये देखते हैं आपके द्वारा किए गये कुछ प्रेरक और अनुकरणीय प्रयासों को:-
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=2359081934369390&id=1598220847122173
मैं राजेन्द्र बधानी (स०अ०) रा०उ० प्रा०वि० छोटीमणि, ब्लाक- चिन्यालीसौड़, जनपद-उत्तरकाशी उत्तराखण्ड में कार्यरत हूँ। मेरी 20 साल की विभागीय सेवा में मेरे द्वारा किये गये विद्यालय विकास, छात्र हित व समाजोपयोगी कार्यो का विवरण निम्न प्रकार है।
1- 👉प्रथम नियुक्ति दिनाँक 13-11-1999 रा०प्रा०वि० पीपली, वि०ख०- नैनीडांडा, जनपद-पौड़ी गढ़वाल में सहायक अध्यापक के रूप में एक दूरस्थ विद्यालय जिसमें 140 से ऊपर अध्ययनरत छात्र और वयोवृद्ध प्रधानाध्यापक के साथ मिलकर विद्यालय को संवारने का प्रयास किया। कुछ ही समय में सामान्य ज्ञान एवं अंग्रेजी में उल्लेखनीय प्रगति। प्रार्थना सभा को प्रेरक एवं गतिविधिपरक बनाया।स्वयं के संघर्ष एवं घोर निर्धनता से ही प्रेरणा लेकर नौकरी के प्रथम दिन से ही निर्धन छात्रों की सहायता का प्रण। उन छात्रों को सदा ज़्यादा तवज़्ज़ो दी जो कक्षा में गुमसुम छुपे छुपे से रहते थे और इस प्रकार बैक बेंचर्स में विद्यालय के प्रति उमंग जगा पाया। यहाँ समुदाय से बहुत अधिक प्रेम और सम्मान मिला।
2-👉 जुलाई 2003 में स्थानांतरण के फलस्वरूप रा०प्रा०वि० जगडग़ांव, चिन्याली सौड़, उत्तरकाशी में सहायक अध्यापक के रूप में कार्यभार ग्रहण किया। यहाँ भी हिस्से आया एक बुरी तरह जीर्ण-शीर्ण भवन। स्वयं के प्रवासों से इसी को छात्रों के बैठने लायक बनाया और यह क्रम सतत 12 वर्षों तक चलता रहा। टी०एल०एम० निर्माण और उसके माध्यम से कक्षा शिक्षण में उल्लेखनीय सफलता मिली।सपनो की उड़ान, बाल शोध मेले, संकुल/ब्लॉक स्तरीय विभिन्न प्रतियोगिताओं में छात्रों ने पुरुस्कार प्राप्त किये। प्रार्थना सभा में विभिन्न गतिविधियों का समावेश यथा-योग, पी टी, सामान्य ज्ञान, समाचार, प्रेरक प्रसंग आदि। प्रार्थना सभा के एक अभिन्न अंग के रूप में गायत्री मंत्र और ध्यान का समावेश। इसके माध्यम से एक आश्चर्यजनक सफलता यह मिली कि छात्रों की चोरी, मारपीट, गाली-गलौच की शिकायतें हमेशा के लिए खत्म हो गईं।
3-👉 यहीं रहते हुए अखिल विश्व गायत्री परिवार के एक सदस्य के रूप में समाज में व्याप्त कुरीति उन्मूलन, स्वच्छता और व्यसन मुक्ति पर कार्य किया। छात्रों में संस्कारवान शिक्षा का बीजारोपण किया।
4.-👉निर्धन छात्रों की सहायता को एक मिशन का ही रूप दे डाला।अपने कुछ सहृदय साथियों के साथ मिलकर 6-7 बच्चों को उच्च शिक्षा तक प्राप्त करने में सहायता की।सभी छात्र आज विभिन्न क्षेत्रों में सफल जीवन जी रहे हैं। एक बालिका आज सरकारी सेवा में भी है। यह क्रम आज भी अनवरत जारी है।
5.-👉 जुलाई 2015 में स्थानांतरण के फलस्वरूप रा०प्रा०वि० अदनी, चिन्याली सौड़, उत्तरकाशी में प्र०अ० के रूप में कार्यभार ग्रहण किया। पुनः एक जीर्ण शीर्ण विद्यालय में साथी शिक्षा मित्र के साथ मिलकर प्राण फूंकने का प्रयास किया। खुद की स्वयंसेवा से भी धन लगाकर छोटी-छोटी मूलभूत सुविधाओं और एम डी एम को बेहतर किया। इसी दौरान शिक्षण में ICT के समावेश के लिए खुद के PF से पैसा निकालकर एक लैपटाप और माइक और साउंड सिस्टम लिया। दृश्य-श्रव्य सामग्री, शनिवार को बाल फ़िल्म के प्रदर्शन एवं माइक के प्रयोग से छात्रों में विद्यालय के प्रति आकर्षण एवं सीखने की गति में अभिवृद्धि हुई।
6.--👉अगस्त 2016 में मॉडल विद्यालय में चयन होने के फलस्वरूप रा०आ०प्रा०वि० कोटधार-गमरी, चिन्याली सौड़, उत्तरकाशी में सहायक अध्यापक के रूप में कार्यभार ग्रहण किया। इस नए विद्यालय में सरकार की मॉडल विद्यालय की अवधारणा को साकार करने में खुद को झोंक दिया।डम्बल्स, लेजियम, बैंड इत्यादि में छात्रों को पारंगत किया। इस विद्यालय में रहते हुए अपने सम्पूर्ण अनुभव एवं आदर्श विद्यालय के संसाधनों का उपयोग करते हुए बेहतरीन कार्य करने का सुअवसर मिला। विभिन्न प्रतियोगिताओं में छात्रों ने सफलता प्राप्त की मार्च 2017 में स्वयं शिक्षक साथियों के साथ मिलकर अपने संसाधनों से एवं समुदाय का सहयोग लेकर भव्य वार्षिकोत्सव का आयोजन किया।
7.-👉 01 दिसम्बर 2017 को पदोन्नति के फलस्वरूप रा०उ०प्रा०वि० छोटी मणि, चिन्याली सौड़, उत्तरकाशी में सहायक अध्यापक के रूप में कार्यभार ग्रहण किया। 20 वर्ष के सम्पूर्ण अनुभव को यहां झोंक डाला। आते ही मूलभूत सुविधाओं से विहीन एवं जीर्ण-शीर्ण हो चुके विद्यालय में प्राण फूंकने का प्रयास किया। विद्यालय में एक अंशदान पंजिका का निर्माण किया। स्वयं एवं साथियों द्वारा विद्यालय हित में नियमित मासिक अंशदान शुरू किया। साथ ही स्वयं/परिजनों के जन्म दिवस, विवाह दिवस, पितरों के निमित्त विद्यालय को ही एक ब्राह्मण/देवता/मंदिर मानकर अंशदान की परंपरा डाली।एक महीने के भीतर ही छोटी-छोटी चीज़ों को जुटा लिया गया। समुदाय के सहयोग से दरी, अलमारी, पंखे, दीवार घड़ियां, खेल का सामान, माइक-साउंड सिस्टम और प्रोजेक्टर तक जुटा लिया गया। टी०एच०डी० सी० के सी०एस०आर० फंड से छात्रों के लिए फर्नीचर उपलब्ध करवाया और निकट भविष्य में विद्यालय के पुनर्निर्माण हेतु भी धन स्वीकृत करवाया। सर्दियों और गर्मियों की छुट्टियों में स्वयं के खर्च पर समर एवं विंटर वर्कशॉप का आयोजन किया। विभिन्न रेसॉर्स पर्सन्स एवम एक्सपर्ट्स को बुलाया।
अथक परिश्रम के फलस्वरूप विद्यालय में खूबसूरत फुलवारी एवं किचन गार्डन का निर्माण। प्रार्थना सभा में नित्य प्रेरक गतिविधियों का आयोजन एवं मिशन शिक्षण संवाद द्वारा प्रदत्त तमाम छात्रोपयोगी गतिविधियों का विद्यालय में संचालन।
मेरा विद्यालय निरन्तर प्रगति की ओर अग्रसर है ।
*प्रेरक सन्देश*-
1-जहाँ पर सब चुक जाते हैं, वहाँ से एक शिक्षक शुरू करता है।
2 -फिर एक बार शिक्षा के नए दीप जलाएंगे हम,
इस विद्या के मंदिर को फिर से सजायेंगे हम।।
*प्रेरणा व सहयोग के साथ संकलन कर परिचित कराने के लिये*--मिशन परिवार की ओर से श्री लक्ष्मण सिंह मेहता राज्य संयोजक मिशन टीम उत्तराखण्ड का हार्दिक आभार।
नोट: मिशन शिक्षण संवाद परिवार में शामिल होने एवं अपना, अपने जनपद अथवा राज्य के आदर्श विद्यालयों का अनमोल रत्न में विवरण भेजने तथा मिशन शिक्षण संवाद से सम्बंधित शिकायत, सहयोग, सुझाव और विचार को मिशन शिक्षण संवाद के वाट्सअप नम्बर-9458278429 & 7017626809 और ई-मेल shikshansamvad@gmail.com पर भेज सकते हैं।
विमल कुमार
टीम मिशन शिक्षण संवाद
15-06-2019
मित्रों आज हम आपका परिचय मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से उत्तराखण्ड के अनमोल रत्न शिक्षक साथी राजेन्द्र बधानी जी से करा रहे हैं। जिन्होंने अपनी सकारात्मक सोच और समर्पित व्यवहार कुशलता से अपने विद्यालय को सामाजिक विश्वास का केन्द्र बना दिया है। साथ ही वर्तमान में समाज की सबसे बड़ी आवश्यकता है समाज के अन्तिम छोर पर बैठे व्यक्ति को प्रेम से प्रोत्साहित करने की। जिसे आपने अपने विद्यालय के बच्चों से शुरुआत की। जो निश्चित ही हम सभी के लिए अनुकरणीय और प्रेरक है।
आइये देखते हैं आपके द्वारा किए गये कुछ प्रेरक और अनुकरणीय प्रयासों को:-
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=2359081934369390&id=1598220847122173
मैं राजेन्द्र बधानी (स०अ०) रा०उ० प्रा०वि० छोटीमणि, ब्लाक- चिन्यालीसौड़, जनपद-उत्तरकाशी उत्तराखण्ड में कार्यरत हूँ। मेरी 20 साल की विभागीय सेवा में मेरे द्वारा किये गये विद्यालय विकास, छात्र हित व समाजोपयोगी कार्यो का विवरण निम्न प्रकार है।
1- 👉प्रथम नियुक्ति दिनाँक 13-11-1999 रा०प्रा०वि० पीपली, वि०ख०- नैनीडांडा, जनपद-पौड़ी गढ़वाल में सहायक अध्यापक के रूप में एक दूरस्थ विद्यालय जिसमें 140 से ऊपर अध्ययनरत छात्र और वयोवृद्ध प्रधानाध्यापक के साथ मिलकर विद्यालय को संवारने का प्रयास किया। कुछ ही समय में सामान्य ज्ञान एवं अंग्रेजी में उल्लेखनीय प्रगति। प्रार्थना सभा को प्रेरक एवं गतिविधिपरक बनाया।स्वयं के संघर्ष एवं घोर निर्धनता से ही प्रेरणा लेकर नौकरी के प्रथम दिन से ही निर्धन छात्रों की सहायता का प्रण। उन छात्रों को सदा ज़्यादा तवज़्ज़ो दी जो कक्षा में गुमसुम छुपे छुपे से रहते थे और इस प्रकार बैक बेंचर्स में विद्यालय के प्रति उमंग जगा पाया। यहाँ समुदाय से बहुत अधिक प्रेम और सम्मान मिला।
2-👉 जुलाई 2003 में स्थानांतरण के फलस्वरूप रा०प्रा०वि० जगडग़ांव, चिन्याली सौड़, उत्तरकाशी में सहायक अध्यापक के रूप में कार्यभार ग्रहण किया। यहाँ भी हिस्से आया एक बुरी तरह जीर्ण-शीर्ण भवन। स्वयं के प्रवासों से इसी को छात्रों के बैठने लायक बनाया और यह क्रम सतत 12 वर्षों तक चलता रहा। टी०एल०एम० निर्माण और उसके माध्यम से कक्षा शिक्षण में उल्लेखनीय सफलता मिली।सपनो की उड़ान, बाल शोध मेले, संकुल/ब्लॉक स्तरीय विभिन्न प्रतियोगिताओं में छात्रों ने पुरुस्कार प्राप्त किये। प्रार्थना सभा में विभिन्न गतिविधियों का समावेश यथा-योग, पी टी, सामान्य ज्ञान, समाचार, प्रेरक प्रसंग आदि। प्रार्थना सभा के एक अभिन्न अंग के रूप में गायत्री मंत्र और ध्यान का समावेश। इसके माध्यम से एक आश्चर्यजनक सफलता यह मिली कि छात्रों की चोरी, मारपीट, गाली-गलौच की शिकायतें हमेशा के लिए खत्म हो गईं।
3-👉 यहीं रहते हुए अखिल विश्व गायत्री परिवार के एक सदस्य के रूप में समाज में व्याप्त कुरीति उन्मूलन, स्वच्छता और व्यसन मुक्ति पर कार्य किया। छात्रों में संस्कारवान शिक्षा का बीजारोपण किया।
4.-👉निर्धन छात्रों की सहायता को एक मिशन का ही रूप दे डाला।अपने कुछ सहृदय साथियों के साथ मिलकर 6-7 बच्चों को उच्च शिक्षा तक प्राप्त करने में सहायता की।सभी छात्र आज विभिन्न क्षेत्रों में सफल जीवन जी रहे हैं। एक बालिका आज सरकारी सेवा में भी है। यह क्रम आज भी अनवरत जारी है।
5.-👉 जुलाई 2015 में स्थानांतरण के फलस्वरूप रा०प्रा०वि० अदनी, चिन्याली सौड़, उत्तरकाशी में प्र०अ० के रूप में कार्यभार ग्रहण किया। पुनः एक जीर्ण शीर्ण विद्यालय में साथी शिक्षा मित्र के साथ मिलकर प्राण फूंकने का प्रयास किया। खुद की स्वयंसेवा से भी धन लगाकर छोटी-छोटी मूलभूत सुविधाओं और एम डी एम को बेहतर किया। इसी दौरान शिक्षण में ICT के समावेश के लिए खुद के PF से पैसा निकालकर एक लैपटाप और माइक और साउंड सिस्टम लिया। दृश्य-श्रव्य सामग्री, शनिवार को बाल फ़िल्म के प्रदर्शन एवं माइक के प्रयोग से छात्रों में विद्यालय के प्रति आकर्षण एवं सीखने की गति में अभिवृद्धि हुई।
6.--👉अगस्त 2016 में मॉडल विद्यालय में चयन होने के फलस्वरूप रा०आ०प्रा०वि० कोटधार-गमरी, चिन्याली सौड़, उत्तरकाशी में सहायक अध्यापक के रूप में कार्यभार ग्रहण किया। इस नए विद्यालय में सरकार की मॉडल विद्यालय की अवधारणा को साकार करने में खुद को झोंक दिया।डम्बल्स, लेजियम, बैंड इत्यादि में छात्रों को पारंगत किया। इस विद्यालय में रहते हुए अपने सम्पूर्ण अनुभव एवं आदर्श विद्यालय के संसाधनों का उपयोग करते हुए बेहतरीन कार्य करने का सुअवसर मिला। विभिन्न प्रतियोगिताओं में छात्रों ने सफलता प्राप्त की मार्च 2017 में स्वयं शिक्षक साथियों के साथ मिलकर अपने संसाधनों से एवं समुदाय का सहयोग लेकर भव्य वार्षिकोत्सव का आयोजन किया।
7.-👉 01 दिसम्बर 2017 को पदोन्नति के फलस्वरूप रा०उ०प्रा०वि० छोटी मणि, चिन्याली सौड़, उत्तरकाशी में सहायक अध्यापक के रूप में कार्यभार ग्रहण किया। 20 वर्ष के सम्पूर्ण अनुभव को यहां झोंक डाला। आते ही मूलभूत सुविधाओं से विहीन एवं जीर्ण-शीर्ण हो चुके विद्यालय में प्राण फूंकने का प्रयास किया। विद्यालय में एक अंशदान पंजिका का निर्माण किया। स्वयं एवं साथियों द्वारा विद्यालय हित में नियमित मासिक अंशदान शुरू किया। साथ ही स्वयं/परिजनों के जन्म दिवस, विवाह दिवस, पितरों के निमित्त विद्यालय को ही एक ब्राह्मण/देवता/मंदिर मानकर अंशदान की परंपरा डाली।एक महीने के भीतर ही छोटी-छोटी चीज़ों को जुटा लिया गया। समुदाय के सहयोग से दरी, अलमारी, पंखे, दीवार घड़ियां, खेल का सामान, माइक-साउंड सिस्टम और प्रोजेक्टर तक जुटा लिया गया। टी०एच०डी० सी० के सी०एस०आर० फंड से छात्रों के लिए फर्नीचर उपलब्ध करवाया और निकट भविष्य में विद्यालय के पुनर्निर्माण हेतु भी धन स्वीकृत करवाया। सर्दियों और गर्मियों की छुट्टियों में स्वयं के खर्च पर समर एवं विंटर वर्कशॉप का आयोजन किया। विभिन्न रेसॉर्स पर्सन्स एवम एक्सपर्ट्स को बुलाया।
अथक परिश्रम के फलस्वरूप विद्यालय में खूबसूरत फुलवारी एवं किचन गार्डन का निर्माण। प्रार्थना सभा में नित्य प्रेरक गतिविधियों का आयोजन एवं मिशन शिक्षण संवाद द्वारा प्रदत्त तमाम छात्रोपयोगी गतिविधियों का विद्यालय में संचालन।
मेरा विद्यालय निरन्तर प्रगति की ओर अग्रसर है ।
*प्रेरक सन्देश*-
1-जहाँ पर सब चुक जाते हैं, वहाँ से एक शिक्षक शुरू करता है।
2 -फिर एक बार शिक्षा के नए दीप जलाएंगे हम,
इस विद्या के मंदिर को फिर से सजायेंगे हम।।
*प्रेरणा व सहयोग के साथ संकलन कर परिचित कराने के लिये*--मिशन परिवार की ओर से श्री लक्ष्मण सिंह मेहता राज्य संयोजक मिशन टीम उत्तराखण्ड का हार्दिक आभार।
नोट: मिशन शिक्षण संवाद परिवार में शामिल होने एवं अपना, अपने जनपद अथवा राज्य के आदर्श विद्यालयों का अनमोल रत्न में विवरण भेजने तथा मिशन शिक्षण संवाद से सम्बंधित शिकायत, सहयोग, सुझाव और विचार को मिशन शिक्षण संवाद के वाट्सअप नम्बर-9458278429 & 7017626809 और ई-मेल shikshansamvad@gmail.com पर भेज सकते हैं।
विमल कुमार
टीम मिशन शिक्षण संवाद
15-06-2019
मिशन शिक्षण सम्वाद उत्तराखण्ड द्वारा मुझे अनमोल रत्न हेतु चुने जाने पर हृदय से आभार।मैं आभारी हूँ गढ़वाल संयोजक आदरणीय माधव सिंह नेगी जी का,राज्य संयोजक आदरणीय लक्ष्मण सिंह मेहता जी का और राष्ट्रीय संयोजक आदरणीय विमल कुमार जी का कि उन्होंने मुझे इस योग्य समझा।मुझे शुभकामनाये देने वाले आप सभी शिक्षक साथियों का भी हॄदय से आभार।
ReplyDeleteयह सम्मान मैं समर्पित करता हूँ उन तमाम शिक्षकों को जो बिना किसी लोभ,लालच और समर्थन की चाहना रखे बेहद विपरीत परिस्थितियों और स्वल्प साधनों में भी एक मूक साधक की भांति शिक्षा की अलख जगाए हुए हैं।यह सम्मान समर्पित है उन तमाम गुरुजनों को जिनके लिए उनका स्कूल ही उनका मंदिर है और शिक्षण ही पूजा।
मेरे लिए गौरव की बात है कि 20 वर्षों की अथक मेहनत को अपने ही शिक्षक बन्धुओं द्वारा पहचाना गया और सराहा गया।
यह बड़ी बात है स्वयं गुणी जनों द्वारा अपने को पीछे रखकर दूसरों को श्रेय और सम्मान देना।मिशन शिक्षण सम्वाद की इस पुनीत परम्परा को मैं नमन करता हूँ।
आइसोलेशन में काम कर रहे जुनूनी शिक्षकों के लिए यह प्रोत्साहन संजीवनी सिद्ध होगा।
पुनः हृदय से आभार!
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻