३२३~ धर्मेन्द्र कुमार पाण्डेय (प्रधानाध्यापक) प्राथमिक विद्यालय पोखरभिण्डा क्षेत्र-रामकोला, जनपद-कुशीनगर
🏅अनमोल रत्न🏅
मित्रों आज हम आपका परिचय मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से जनपद- कुशीनगर के अनमोल रत्न शिक्षक साथी धर्मेन्द्र कुमार पाण्डेय जी से करा रहे हैं। जिन्होंने अपनी सकारात्मक सोच और समर्पित व्यवहार कुशलता से अपने विद्यालय को सामाजिक विश्वास का केन्द्र बना दिया है जो हम सभी के लिए प्रेरक और अनुकरणीय है यदि इसी तरह प्रत्येक शिक्षक अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारी के प्रति समर्पित हो जाये तो मिशन शिक्षण संवाद द्वारा बेसिक शिक्षा को एक ब्रांड के रूप में प्रस्तुत करने का स्वप्न, निश्चित ही असम्भव नहीं रह सकता है।
आइये देखते हैं आपके द्वारा किए गये कुछ प्रेरक और अनुकरणीय प्रयासों:-
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📋विद्यालय में मानवीय संसाधन📋
शिक्षक-------------02
शिक्षा-मित्र----------01
रसोईया-------------03
कुल छात्र संख्या----152 (30/9/2018)
📋भौतिक संसाधन📋
कक्षा-कक्ष-----04
प्रधानाध्यापक कक्ष-----01
शौचालय-----------02
चहारदीवारी------अनुपलब्ध
पेयजल स्रोत ---------01(IM)
📋परिचय📋
मैं धर्मेन्द्र कुमार पाण्डेय प्राथमिक विद्यालय पोखरभिण्डा, क्षेत्र-रामकोला, जनपद-कुशीनगर पर 19 मई 2015 से पदोन्नति प्राप्त कर प्रधानाध्यापक के पद पर कार्यरत हूँ।मेरा सदैव यह प्रयास रहता है कि मेरा विद्यालय विद्या का वह मंदिर बन जाए जहाँ बच्चे ज्ञान की सागर में डुबकी लगाते हुए अपने अंदर छिपी जन्मजात शक्तियों का एक सामाजिक प्रक्रिया के अंतर्गत परिमार्जन कर अपना भविष्य सुनहरा बनाते हुए अपने समाज व देश के लिए एक अच्छे नागरिक बन सकें, जिनमें वह शक्ति निहित हो जिससे की वे जाति-धर्म, ऊंच-नीच, बड़े-छोटे की भावना से ऊपर उठकर सामने आने वाली चुनौतियों का बिना डरे सामना कर सकें।
👉मेरा प्रयास मेरी जुबानी-----
"यथार्थ को स्वीकार करने की हिम्मत और कुछ नया करने की चाहत हो तो हम बहुत कुछ अच्छा कर सकते हैं।"
इसी संकल्प को लेकर मैं जीर्ण संरचना वाले अपने विद्यालय में पूरे मनोयोग से विद्यालय की दशा और दिशा दोनों को बेहतर करने के प्रयास में लगा रहता हूँ। प्रस्तुत है इसी प्रयास की एक संक्षिप्त कहानी-------------------
19 मई 2015 को पदोन्नति उपरांत जब मैं अपने वर्तमान विद्यालय पर कार्यभार ग्रहण करने पहुँचा तो विद्यालय की भौतिक दशा देखकर मेरा मन द्रवित हो गया। विद्यालय की फर्श, विद्यालय दीवारें और शौचालय सभी अपनी जीर्णता पर आँसू बहा रहे थे। विद्यालय में मानवीय संसाधन के रूप में 02 समायोजित शिक्षामित्र, तीन रसोईया कार्यरत थीं। विद्यालय के परिसर में स्थापित पूर्व माध्यमिक विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक जिनके जिम्में प्राथमिक विद्यालय का भी प्रभार था। उनसे पता चला कि विद्यालय में 89 बच्चे नामांकित हैं। दो दिवस के उस शिक्षा-सत्र में मेरा अध्यापक मन स्वभावत: बच्चों को तलाशता रहा, पर वह कहाँ नजर आने वाले थे? विद्यालय की वार्षिक परीक्षा की समाप्ति व शादी विवाह के मौसम के कारण वे अपने घर पर मौज कर रहे थे। मेरे पास इस समय कुछ विशेष करने का समय नहीं था, बस मन- मस्तिष्क में एक ही बात बार-बार कौंध रही थी कि क्यों मेरी पदोन्नत इस विद्यालय पर हुई? मन में उदासी चेहरे पर मायूसी का भाव पूरे ग्रीष्मावकाश छाया रहा। समय बिता जुलाई-2015 में विद्यालय खुला, मैं सदैव की तरह से एक दिन पूर्व ही विद्यालय पर पहुँचकर विद्यालय की साफ-सफाई कराया और जब विद्यालय खुला तो अगले एक सप्ताह तक विद्यालय में बच्चों की उपस्थिति नगण्य रही। इसी दौरान एक रात्रि मूसलाधार वर्षा हुई, विद्यालय पहुँचा तो देखा कि विद्यालय प्रांगण में जलजमाव हो गया है। छत से पानी टपक रहा है, फर्श पर पानी टपकने के कारण कीचड़ की स्थिति बन गई है। इस दृश्य को देखकर मन व्यथित हो गया विद्यालय की दशा देखकर मेरे आँखों से आँसू टपकने लगे। किसी प्रकार स्वयं को संभालते हुए बच्चों को बरामदे में खड़ा कर प्रार्थना करा वहीं पर शिक्षण कार्य प्रारंभ कर दिया। घर आने पर भी स्कूल का वह दृश्य मेरे मन मस्तिष्क से ओझल नहीं हो पा रहा था। रात्रि के समय में, पत्नी ने कारण जानना चाहा तो मैंने इस बात से उनको अवगत कराया।उनका सुझाव था कि या तो आप स्थानांतरण करा ले या इन परिस्थितियों को एक चुनौती मान कर उनका मुकाबला करें। मैंने दूसरे विकल्प को उपयुक्त समझा क्योंकि पहला विकल्प तो कायराना लग रहा था। सोचने लगे-
लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती।
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।।
बच्चन साहब की उपरोक्त पक्तियों को याद कर मैं अपने कर्तव्य पथ पर चल पड़ा और मंजिल की तलाश में कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। जिसका परिणाम है कि मेरा विद्यालय जीर्णता के वजूद में भी अपने शैक्षिक-गुणवत्ता व मौलिक सृजनात्मकता की नवीनता के लिए जनपद में अपनी सशक्त पहचान बनाए हुए है।
👉विद्यालय में मेरे द्वारा किए गए प्रयासों को निम्न बिंदुओं द्वारा समझ सकते हैं:------
📋(01)-छात्र-छात्राओं के ठहराव/ उपस्थिति की दिशा में किया गया प्रयास।
👉(क)-स्टार्स अॉफ द मंथ एंड स्टार ऑफ द ईयर नवाचार की शुरुआत। बच्चों में उपस्थिति के प्रतिस्पर्धा को बनाए रखने के लिए माह के अंत में शत प्रतिशत उपस्थिति दर्ज कराने वाले छात्र-छात्राओं को इस योजना के अंतर्गत पुरस्कृत किया जाता है और पूरे वर्ष में सर्वाधिक उपस्थित देने वाले छात्र-छात्राओं को स्टार स्टुडेंट ऑफ द इयर योजना के अंतर्गत पुरस्कृत किया जाता है। जिसके परिणाम स्वरूप विद्यालय की औसत उपस्थिति में निरंतर सुधार हो रहा है।
👉(ख)-स्टार्स गार्जियंस ऑफ द इयर।
इस योजना के अंतर्गत जिन छात्र छात्राओं की वर्ष में सर्वाधिक उपस्थिति रहती है उनमें से ऊपर से तीन छात्र-छात्राओं के माता-पिता को समारोह पूर्वक सम्मानित किया जाता है। परिणाम स्वरूप अभिभावकों में अपने बच्चों की उपस्थिति को लेकर प्रतिस्पर्धा विकसित हुई और औसत उपस्थिति में सुधार देखने को मिल रहा है।
👉(ग)-स्टार्स क्लास ऑफ द मंथ। माह विशेष में सर्वाधिक औसत उपस्थिति वाली कक्षा को खेलने का विशेष अवसर और सामग्री उपलब्ध करायी जाती है।
👉(घ)-शिक्षण-विधा में परिवर्तन-- बाल मनोविज्ञान को दृष्टिगत रखते हुए शिक्षण-विद्या को बाल केंद्रित किया गया और छोटी कक्षाओं में खेल-खेल में शिक्षा पर जोर दिया गया।
👉(ड.)- जनसंपर्क एवं जन जागरूकता।
@ लगातार कई दिनों से विद्यालय में अनुपस्थित रहने वाले छात्र-छात्राओं को चिन्हित कर उनके अभिभावकों से संपर्क स्थापित किया और विद्यालय भेजने के लिए उनको प्रेरित किया गया।
@ स्कूल चलो अभियान रैली
गांव के शिक्षित बेरोजगार युवकों का सहयोग लिया जाता है।
@अभिभावकों का व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर समय-समय पर उनको प्रेरणादाई कहानिययँ/ विद्यालय की सूचना/गतिविधियों से लगातार अवगत कराया जाता है।
@ उनके सुख-दुख में उनके घर जाकर उसमें भागीदार बनने का प्रयास आदि।
📋(2)- नामांकन वृद्धि की दिशा में किया गया प्रयास।
इस दिशा में निम्न प्रयास किए गए-----
👉(क)- शैक्षिक गुणवत्ता में सुधार। इसके लिए विद्यालय परिवार ने बच्चों को गुणवत्ता युक्त शिक्षा देने पर पूरा जोर दिया। प्रतिभावान छात्र-छात्राओं को अलग से भी समय देकर उनको एक बेहतर शिक्षा दी, जो समाज में दिखाई दिया और इसको दिखाने के लिए विद्यालय परिवार ने योजनाबद्ध ढंग से अभिभावकों द्वारा अपने बच्चों की तुलना स्वयं से दूसरे बच्चों से करवाने में सफल रहा जिसके प्रभाव से दूसरे अभिभावकों ने विद्यालय के प्रति रुचि दिखाई।
👉(ख)-गैर अभिभावकों से संपर्क कर उनको प्रेरित करना।
👉(ग)- नामांकन हेतु व्यापक प्रचार-प्रसार
👉@ फ्लैस-बोर्ड/वाल-पोस्टर/कैलेन्डर का सहारा
👉@ शैक्षिक संगोष्ठियों में अभिभावकों को अवसर।
👉@ नुक्कड़ नाटकों द्वारा अभिभावकों को प्रेरित करना।
👉@ विभिन्न रैलियों का विधिवत आयोजन आदि।
📋(3)- शैक्षिक गुणवत्ता संवर्धन के दिशा में किया गए प्रयास।
इस दिशा में निम्न प्रयास किए गए-------
👉(क) शिक्षकों को अपने स्वभाव और शिक्षण विधा में परिवर्तन लाने की प्रेरणा* "विपरीत परिस्थितियों व संसाधनों के अभाव में कुछ अच्छा नहीं हो सकता" के पूर्वाग्रह से ग्रसित शिक्षकों का माइंड-सेट अप चेंज करने और उनके अंदर समाज के निर्माण के सृष्टिकर्ता के भाव को जाग्रत करने का प्रयास किया। इसके लिए अनेक कहानियाँ, दृष्टांत, वृतांत का सहारा लिया। परिणामत: वही शिक्षक अब दोगुनी ऊर्जा से कार्य करने में लगे हैं।
👉(ख)- "आज की जिज्ञासा" नवाचार की शुरुआत* बच्चों में स्वाध्याय, खोजी प्रवृत्ति, प्रश्न पूछने की प्रवृति, स्वस्थ-प्रतिस्पर्धा के विकास तथा समाज के शिक्षित वर्ग का ध्यान विद्यालय की ओर आकृष्ट कराने के उद्देश्य से *आज की जिज्ञासा* कार्यक्रम की शुरुआत अप्रैल 2017 से की गई, जिसमें प्रत्येक दिन एक सामान्य ज्ञान का प्रश्न दिया जाता है। इसका उत्तर उनको अगले दिन प्रार्थना सभा में देना रहता है। उत्तर प्राप्त करने के लिए वह पूर्ण स्वतंत्र होते हैं। बस उनको अपने शिक्षकों से या आपस में नहीं पूछना रहता है। माह के अंत में सर्वाधिक उत्तर देने वालों को पुरस्कृत किया जाता है।
👉(ग)-विद्यालय स्तरीय/न्याय पंचायत स्तरीय/अंतर्-विद्यालयीय सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता का आयोजन। बच्चों में सामान्य ज्ञान के प्रति विशेष जागरूकता, प्रतिस्पर्धा, प्रतियोगी परीक्षाओं के पूर्वाभ्यास, आत्मविश्वास में वृद्धि एवं अभिभावकों के ध्यानाकर्षण के उद्देश्य से विद्यालय विगत 4 वर्षों से इस प्रकार की प्रतियोगिताओं का आयोजन लगातार करते चला आ रहा है।
👉(घ)-"एजुकेशनल-हॉट-स्पाट" की स्थापना* इस योजना के अंतर्गत विद्यालय के कमजोर छात्र छात्राओं के गृहकार्य, अन्य शिक्षा सम्बन्धी समस्याओं समाधान के विद्यालय के होनहार छात्र छात्राओं के सहयोग से गांव में विभिन्न जगहों पर "एजुकेशनल-हॉट-स्पॉट" की स्थापना कराई, जहाँ पर बच्चों को अपनी समस्याओं का त्वरित समाधान मिलने लगा।
👉इसके अतिरिक्त साप्ताहिक/ मासिक टेस्ट परीक्षाओं का आयोजन, विभिन्न अवसरों पर अलग-अलग प्रकार के पाठ्य- सहगामी क्रियाकलापों एवं प्रतियोगिताओं का आयोजन कराया प्रारम्भ किया।
📋(4)-भैतिक संसाधन समृद्धिकरण एवं परिवेशीय सुंदरीकरण की दिशा में किए गए प्रयास* जैसा कि पूर्व में अवगत कराया हूँ कि विद्यालय अपने भौतिक जीर्णता पर आँसू बहा रहा था। उसके समुचित निराकरण के लिए
👉स्थानीय जनप्रतिनिधियों/ग्राम पंचायत के सहयोग से विद्यालय के फर्श पर टाइल्स लगाने का कार्य कराया।
👉विद्यालय के शिक्षकों के सहयोग से विद्यालय प्रांगण में मिट्टी भराई का कार्य कराया।
👉विद्यालय के कंम्पोजिट ग्रॉट की मदद से विद्यालय में जरूरी संसाधन, रंगाई, पेंटिंग आदि कार्य पूर्ण कराकर कर परिवेशीय सुंदरता में सुधार किया।
👉चहारदीवारी, छत पर गिट्टी डालने, नाली निर्माण और शौचालय की मरम्मत का कार्य अभी शेष है।इस दिशा में प्रयास जारी है।
🤝निष्कर्ष*-💐💐💐💐💐
*मैजे कभी तो हारेंगी*
*तेरा यकीन से*
*साहिल पे रोज एक*
*घरौंदा बना के देख*
इसी अपराजेय, अदम्य साहस, आत्मविश्वास और शिक्षा व शिक्षण के प्रति समर्पण, अपने कर्तव्य का आत्मबोध, विद्यालय परिवार का समवंत सहयोग एवं सृजनात्मक प्रयास, गुणवत्ता में उत्तरोत्तर उन्नयन की प्रतिबद्धता, स्थानीय समुदाय का स्नेह व सहयोग का प्रतिफल है कि एक निर्जन अरण्यवत क्षेत्र रमणीय ज्ञान-गीत गुंजित क्षेत्र वन में परिणित हो गया है। जो विद्यालय भवन अपनी जीर्णता पर अपने भाग्य को कोस रहा था, अब अपने सौंदर्य व नवल भाव-भंगिमा पर इतरा रहा है।जो विद्यालय शैक्षणिक गुणवत्ता में अपने अस्तित्व बचाए रखने के लिए संघर्षरत था, वह आज गोरखपुर मंडल में विजेता बना हुआ है। सुलेख, श्रुतलेख, मानचित्र एवं सामान्य ज्ञान के क्षेत्र में गोरखपुर मंडल विद्यालय का लोहा मानता है।यदि यह प्रतियोगिता राज्य स्तर पर भी आयोजित हो तो वहां भी विद्यालय अपना परचम फहराने का अवश्य प्रयास करेगा। निष्कर्षत: प्रसिद्ध कवि दुष्यंत कुमार के शब्दों में
*धीरे-धीरे यहाँ का*
*मौसम बदलने लगा है*
*वातावरण सो रहा था*
*अब आँख मलने लगा है*
📋व्यक्तिगत उपलब्धियाँ📋
👉🏿 शिक्षक संघ द्वारा उत्कृष्ट शिक्षक सम्मान 2017
👉🏿 जिलाधिकारी महोदय द्वारा उत्कृष्ट शिक्षक सम्मान 2017
👉🏿 जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी महोदय द्वारा आरटीई मेला में ब्लॉक स्तर पर सर्वश्रेष्ठ शिक्षक सम्मान 2017
👉🏿 जनपद के स्थापना दिवस के मौके पर आयोजित समारोह में जिलाधिकारी महोदय द्वारा उत्कृष्ट शिक्षक सम्मान 2018
👉🏿 विज्ञान क्लब द्वारा विज्ञान प्रदर्शनी के आयोजन पर सम्मान
👉🏿 राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद कुशीनगर द्वारा सम्मान 2017
📋विद्यालय की उपलब्धियाँ📋
👉🏿 अंतर्-विद्यालयीय/न्याय पंचायत स्तरीय सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता में विगत तीन वर्षों से लगातार प्रथम एवं अन्य स्थान।
👉🏿 शांतिकुंज हरिद्वार द्वारा आयोजित संस्कृति ज्ञान परीक्षा में जनपद में उत्कृष्ट प्रदर्शन(2017)
👉🏿मंडली बेसिक बाल क्रीडा प्रतियोगिता(2018-19)में सुलेख में प्रथम स्थान।
👉🏿मंडलीय बेसिक बाल-क्रीडा प्रतियोगिता(2018-19)में एथलीट 400 मीटर में मंडल में तृतीय स्थान जनपद में प्रथम स्थान।
👉🏿जनपदीय बेसिक बाल-क्रीडा प्रतियोगिता में (2018-19)सुलेख में द्वितीय और तृतीय स्थान।
👉🏿विद्यालय परिसर में स्थापित पूर्व माध्यमिक विद्यालय की छात्रा कुमारी प्रीति शर्मा द्वारा लगातार दो वर्षों से मंडल में श्रुतलेख, व 2018-19 में मानचित्रण में भी
प्रथम स्थान।
👉🏿 राष्ट्रीय प्रतिभा खोज परीक्षा में कुमारी प्रीति शर्मा द्वारा ब्लॉक में प्रथम और जनपद में चतुर्थ स्थान।
भवदीय
धर्मेन्द्र कुमार पाण्डेय
(प्रधानाध्यापक)
प्राथमिक विद्यालय पोखरभिण्डा क्षेत्र-रामकोला,जनपद-कुशीनगर
संकलन:- मंजू सिंह
मिशन शिक्षण संवाद कुशीनगर
नोट: आप अपने मिशन परिवार में शामिल होने, आदर्श विद्यालय का विवरण भेजने तथा सहयोग व सुझाव को अपने जनपद सहयोगियों को अथवा मिशन शिक्षण संवाद के वाट्सअप नम्बर-9458278429 & 7017626809 और ई-मेल shikshansamvad@gmail.com पर भेज सकते हैं।
साभारः
टीम मिशन शिक्षण संवाद
07-05-2019
मित्रों आज हम आपका परिचय मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से जनपद- कुशीनगर के अनमोल रत्न शिक्षक साथी धर्मेन्द्र कुमार पाण्डेय जी से करा रहे हैं। जिन्होंने अपनी सकारात्मक सोच और समर्पित व्यवहार कुशलता से अपने विद्यालय को सामाजिक विश्वास का केन्द्र बना दिया है जो हम सभी के लिए प्रेरक और अनुकरणीय है यदि इसी तरह प्रत्येक शिक्षक अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारी के प्रति समर्पित हो जाये तो मिशन शिक्षण संवाद द्वारा बेसिक शिक्षा को एक ब्रांड के रूप में प्रस्तुत करने का स्वप्न, निश्चित ही असम्भव नहीं रह सकता है।
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📋विद्यालय में मानवीय संसाधन📋
शिक्षक-------------02
शिक्षा-मित्र----------01
रसोईया-------------03
कुल छात्र संख्या----152 (30/9/2018)
📋भौतिक संसाधन📋
कक्षा-कक्ष-----04
प्रधानाध्यापक कक्ष-----01
शौचालय-----------02
चहारदीवारी------अनुपलब्ध
पेयजल स्रोत ---------01(IM)
📋परिचय📋
मैं धर्मेन्द्र कुमार पाण्डेय प्राथमिक विद्यालय पोखरभिण्डा, क्षेत्र-रामकोला, जनपद-कुशीनगर पर 19 मई 2015 से पदोन्नति प्राप्त कर प्रधानाध्यापक के पद पर कार्यरत हूँ।मेरा सदैव यह प्रयास रहता है कि मेरा विद्यालय विद्या का वह मंदिर बन जाए जहाँ बच्चे ज्ञान की सागर में डुबकी लगाते हुए अपने अंदर छिपी जन्मजात शक्तियों का एक सामाजिक प्रक्रिया के अंतर्गत परिमार्जन कर अपना भविष्य सुनहरा बनाते हुए अपने समाज व देश के लिए एक अच्छे नागरिक बन सकें, जिनमें वह शक्ति निहित हो जिससे की वे जाति-धर्म, ऊंच-नीच, बड़े-छोटे की भावना से ऊपर उठकर सामने आने वाली चुनौतियों का बिना डरे सामना कर सकें।
👉मेरा प्रयास मेरी जुबानी-----
"यथार्थ को स्वीकार करने की हिम्मत और कुछ नया करने की चाहत हो तो हम बहुत कुछ अच्छा कर सकते हैं।"
इसी संकल्प को लेकर मैं जीर्ण संरचना वाले अपने विद्यालय में पूरे मनोयोग से विद्यालय की दशा और दिशा दोनों को बेहतर करने के प्रयास में लगा रहता हूँ। प्रस्तुत है इसी प्रयास की एक संक्षिप्त कहानी-------------------
19 मई 2015 को पदोन्नति उपरांत जब मैं अपने वर्तमान विद्यालय पर कार्यभार ग्रहण करने पहुँचा तो विद्यालय की भौतिक दशा देखकर मेरा मन द्रवित हो गया। विद्यालय की फर्श, विद्यालय दीवारें और शौचालय सभी अपनी जीर्णता पर आँसू बहा रहे थे। विद्यालय में मानवीय संसाधन के रूप में 02 समायोजित शिक्षामित्र, तीन रसोईया कार्यरत थीं। विद्यालय के परिसर में स्थापित पूर्व माध्यमिक विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक जिनके जिम्में प्राथमिक विद्यालय का भी प्रभार था। उनसे पता चला कि विद्यालय में 89 बच्चे नामांकित हैं। दो दिवस के उस शिक्षा-सत्र में मेरा अध्यापक मन स्वभावत: बच्चों को तलाशता रहा, पर वह कहाँ नजर आने वाले थे? विद्यालय की वार्षिक परीक्षा की समाप्ति व शादी विवाह के मौसम के कारण वे अपने घर पर मौज कर रहे थे। मेरे पास इस समय कुछ विशेष करने का समय नहीं था, बस मन- मस्तिष्क में एक ही बात बार-बार कौंध रही थी कि क्यों मेरी पदोन्नत इस विद्यालय पर हुई? मन में उदासी चेहरे पर मायूसी का भाव पूरे ग्रीष्मावकाश छाया रहा। समय बिता जुलाई-2015 में विद्यालय खुला, मैं सदैव की तरह से एक दिन पूर्व ही विद्यालय पर पहुँचकर विद्यालय की साफ-सफाई कराया और जब विद्यालय खुला तो अगले एक सप्ताह तक विद्यालय में बच्चों की उपस्थिति नगण्य रही। इसी दौरान एक रात्रि मूसलाधार वर्षा हुई, विद्यालय पहुँचा तो देखा कि विद्यालय प्रांगण में जलजमाव हो गया है। छत से पानी टपक रहा है, फर्श पर पानी टपकने के कारण कीचड़ की स्थिति बन गई है। इस दृश्य को देखकर मन व्यथित हो गया विद्यालय की दशा देखकर मेरे आँखों से आँसू टपकने लगे। किसी प्रकार स्वयं को संभालते हुए बच्चों को बरामदे में खड़ा कर प्रार्थना करा वहीं पर शिक्षण कार्य प्रारंभ कर दिया। घर आने पर भी स्कूल का वह दृश्य मेरे मन मस्तिष्क से ओझल नहीं हो पा रहा था। रात्रि के समय में, पत्नी ने कारण जानना चाहा तो मैंने इस बात से उनको अवगत कराया।उनका सुझाव था कि या तो आप स्थानांतरण करा ले या इन परिस्थितियों को एक चुनौती मान कर उनका मुकाबला करें। मैंने दूसरे विकल्प को उपयुक्त समझा क्योंकि पहला विकल्प तो कायराना लग रहा था। सोचने लगे-
लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती।
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।।
बच्चन साहब की उपरोक्त पक्तियों को याद कर मैं अपने कर्तव्य पथ पर चल पड़ा और मंजिल की तलाश में कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। जिसका परिणाम है कि मेरा विद्यालय जीर्णता के वजूद में भी अपने शैक्षिक-गुणवत्ता व मौलिक सृजनात्मकता की नवीनता के लिए जनपद में अपनी सशक्त पहचान बनाए हुए है।
👉विद्यालय में मेरे द्वारा किए गए प्रयासों को निम्न बिंदुओं द्वारा समझ सकते हैं:------
📋(01)-छात्र-छात्राओं के ठहराव/ उपस्थिति की दिशा में किया गया प्रयास।
👉(क)-स्टार्स अॉफ द मंथ एंड स्टार ऑफ द ईयर नवाचार की शुरुआत। बच्चों में उपस्थिति के प्रतिस्पर्धा को बनाए रखने के लिए माह के अंत में शत प्रतिशत उपस्थिति दर्ज कराने वाले छात्र-छात्राओं को इस योजना के अंतर्गत पुरस्कृत किया जाता है और पूरे वर्ष में सर्वाधिक उपस्थित देने वाले छात्र-छात्राओं को स्टार स्टुडेंट ऑफ द इयर योजना के अंतर्गत पुरस्कृत किया जाता है। जिसके परिणाम स्वरूप विद्यालय की औसत उपस्थिति में निरंतर सुधार हो रहा है।
👉(ख)-स्टार्स गार्जियंस ऑफ द इयर।
इस योजना के अंतर्गत जिन छात्र छात्राओं की वर्ष में सर्वाधिक उपस्थिति रहती है उनमें से ऊपर से तीन छात्र-छात्राओं के माता-पिता को समारोह पूर्वक सम्मानित किया जाता है। परिणाम स्वरूप अभिभावकों में अपने बच्चों की उपस्थिति को लेकर प्रतिस्पर्धा विकसित हुई और औसत उपस्थिति में सुधार देखने को मिल रहा है।
👉(ग)-स्टार्स क्लास ऑफ द मंथ। माह विशेष में सर्वाधिक औसत उपस्थिति वाली कक्षा को खेलने का विशेष अवसर और सामग्री उपलब्ध करायी जाती है।
👉(घ)-शिक्षण-विधा में परिवर्तन-- बाल मनोविज्ञान को दृष्टिगत रखते हुए शिक्षण-विद्या को बाल केंद्रित किया गया और छोटी कक्षाओं में खेल-खेल में शिक्षा पर जोर दिया गया।
👉(ड.)- जनसंपर्क एवं जन जागरूकता।
@ लगातार कई दिनों से विद्यालय में अनुपस्थित रहने वाले छात्र-छात्राओं को चिन्हित कर उनके अभिभावकों से संपर्क स्थापित किया और विद्यालय भेजने के लिए उनको प्रेरित किया गया।
@ स्कूल चलो अभियान रैली
गांव के शिक्षित बेरोजगार युवकों का सहयोग लिया जाता है।
@अभिभावकों का व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर समय-समय पर उनको प्रेरणादाई कहानिययँ/ विद्यालय की सूचना/गतिविधियों से लगातार अवगत कराया जाता है।
@ उनके सुख-दुख में उनके घर जाकर उसमें भागीदार बनने का प्रयास आदि।
📋(2)- नामांकन वृद्धि की दिशा में किया गया प्रयास।
इस दिशा में निम्न प्रयास किए गए-----
👉(क)- शैक्षिक गुणवत्ता में सुधार। इसके लिए विद्यालय परिवार ने बच्चों को गुणवत्ता युक्त शिक्षा देने पर पूरा जोर दिया। प्रतिभावान छात्र-छात्राओं को अलग से भी समय देकर उनको एक बेहतर शिक्षा दी, जो समाज में दिखाई दिया और इसको दिखाने के लिए विद्यालय परिवार ने योजनाबद्ध ढंग से अभिभावकों द्वारा अपने बच्चों की तुलना स्वयं से दूसरे बच्चों से करवाने में सफल रहा जिसके प्रभाव से दूसरे अभिभावकों ने विद्यालय के प्रति रुचि दिखाई।
👉(ख)-गैर अभिभावकों से संपर्क कर उनको प्रेरित करना।
👉(ग)- नामांकन हेतु व्यापक प्रचार-प्रसार
👉@ फ्लैस-बोर्ड/वाल-पोस्टर/कैलेन्डर का सहारा
👉@ शैक्षिक संगोष्ठियों में अभिभावकों को अवसर।
👉@ नुक्कड़ नाटकों द्वारा अभिभावकों को प्रेरित करना।
👉@ विभिन्न रैलियों का विधिवत आयोजन आदि।
📋(3)- शैक्षिक गुणवत्ता संवर्धन के दिशा में किया गए प्रयास।
इस दिशा में निम्न प्रयास किए गए-------
👉(क) शिक्षकों को अपने स्वभाव और शिक्षण विधा में परिवर्तन लाने की प्रेरणा* "विपरीत परिस्थितियों व संसाधनों के अभाव में कुछ अच्छा नहीं हो सकता" के पूर्वाग्रह से ग्रसित शिक्षकों का माइंड-सेट अप चेंज करने और उनके अंदर समाज के निर्माण के सृष्टिकर्ता के भाव को जाग्रत करने का प्रयास किया। इसके लिए अनेक कहानियाँ, दृष्टांत, वृतांत का सहारा लिया। परिणामत: वही शिक्षक अब दोगुनी ऊर्जा से कार्य करने में लगे हैं।
👉(ख)- "आज की जिज्ञासा" नवाचार की शुरुआत* बच्चों में स्वाध्याय, खोजी प्रवृत्ति, प्रश्न पूछने की प्रवृति, स्वस्थ-प्रतिस्पर्धा के विकास तथा समाज के शिक्षित वर्ग का ध्यान विद्यालय की ओर आकृष्ट कराने के उद्देश्य से *आज की जिज्ञासा* कार्यक्रम की शुरुआत अप्रैल 2017 से की गई, जिसमें प्रत्येक दिन एक सामान्य ज्ञान का प्रश्न दिया जाता है। इसका उत्तर उनको अगले दिन प्रार्थना सभा में देना रहता है। उत्तर प्राप्त करने के लिए वह पूर्ण स्वतंत्र होते हैं। बस उनको अपने शिक्षकों से या आपस में नहीं पूछना रहता है। माह के अंत में सर्वाधिक उत्तर देने वालों को पुरस्कृत किया जाता है।
👉(ग)-विद्यालय स्तरीय/न्याय पंचायत स्तरीय/अंतर्-विद्यालयीय सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता का आयोजन। बच्चों में सामान्य ज्ञान के प्रति विशेष जागरूकता, प्रतिस्पर्धा, प्रतियोगी परीक्षाओं के पूर्वाभ्यास, आत्मविश्वास में वृद्धि एवं अभिभावकों के ध्यानाकर्षण के उद्देश्य से विद्यालय विगत 4 वर्षों से इस प्रकार की प्रतियोगिताओं का आयोजन लगातार करते चला आ रहा है।
👉(घ)-"एजुकेशनल-हॉट-स्पाट" की स्थापना* इस योजना के अंतर्गत विद्यालय के कमजोर छात्र छात्राओं के गृहकार्य, अन्य शिक्षा सम्बन्धी समस्याओं समाधान के विद्यालय के होनहार छात्र छात्राओं के सहयोग से गांव में विभिन्न जगहों पर "एजुकेशनल-हॉट-स्पॉट" की स्थापना कराई, जहाँ पर बच्चों को अपनी समस्याओं का त्वरित समाधान मिलने लगा।
👉इसके अतिरिक्त साप्ताहिक/ मासिक टेस्ट परीक्षाओं का आयोजन, विभिन्न अवसरों पर अलग-अलग प्रकार के पाठ्य- सहगामी क्रियाकलापों एवं प्रतियोगिताओं का आयोजन कराया प्रारम्भ किया।
📋(4)-भैतिक संसाधन समृद्धिकरण एवं परिवेशीय सुंदरीकरण की दिशा में किए गए प्रयास* जैसा कि पूर्व में अवगत कराया हूँ कि विद्यालय अपने भौतिक जीर्णता पर आँसू बहा रहा था। उसके समुचित निराकरण के लिए
👉स्थानीय जनप्रतिनिधियों/ग्राम पंचायत के सहयोग से विद्यालय के फर्श पर टाइल्स लगाने का कार्य कराया।
👉विद्यालय के शिक्षकों के सहयोग से विद्यालय प्रांगण में मिट्टी भराई का कार्य कराया।
👉विद्यालय के कंम्पोजिट ग्रॉट की मदद से विद्यालय में जरूरी संसाधन, रंगाई, पेंटिंग आदि कार्य पूर्ण कराकर कर परिवेशीय सुंदरता में सुधार किया।
👉चहारदीवारी, छत पर गिट्टी डालने, नाली निर्माण और शौचालय की मरम्मत का कार्य अभी शेष है।इस दिशा में प्रयास जारी है।
🤝निष्कर्ष*-💐💐💐💐💐
*मैजे कभी तो हारेंगी*
*तेरा यकीन से*
*साहिल पे रोज एक*
*घरौंदा बना के देख*
इसी अपराजेय, अदम्य साहस, आत्मविश्वास और शिक्षा व शिक्षण के प्रति समर्पण, अपने कर्तव्य का आत्मबोध, विद्यालय परिवार का समवंत सहयोग एवं सृजनात्मक प्रयास, गुणवत्ता में उत्तरोत्तर उन्नयन की प्रतिबद्धता, स्थानीय समुदाय का स्नेह व सहयोग का प्रतिफल है कि एक निर्जन अरण्यवत क्षेत्र रमणीय ज्ञान-गीत गुंजित क्षेत्र वन में परिणित हो गया है। जो विद्यालय भवन अपनी जीर्णता पर अपने भाग्य को कोस रहा था, अब अपने सौंदर्य व नवल भाव-भंगिमा पर इतरा रहा है।जो विद्यालय शैक्षणिक गुणवत्ता में अपने अस्तित्व बचाए रखने के लिए संघर्षरत था, वह आज गोरखपुर मंडल में विजेता बना हुआ है। सुलेख, श्रुतलेख, मानचित्र एवं सामान्य ज्ञान के क्षेत्र में गोरखपुर मंडल विद्यालय का लोहा मानता है।यदि यह प्रतियोगिता राज्य स्तर पर भी आयोजित हो तो वहां भी विद्यालय अपना परचम फहराने का अवश्य प्रयास करेगा। निष्कर्षत: प्रसिद्ध कवि दुष्यंत कुमार के शब्दों में
*धीरे-धीरे यहाँ का*
*मौसम बदलने लगा है*
*वातावरण सो रहा था*
*अब आँख मलने लगा है*
📋व्यक्तिगत उपलब्धियाँ📋
👉🏿 शिक्षक संघ द्वारा उत्कृष्ट शिक्षक सम्मान 2017
👉🏿 जिलाधिकारी महोदय द्वारा उत्कृष्ट शिक्षक सम्मान 2017
👉🏿 जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी महोदय द्वारा आरटीई मेला में ब्लॉक स्तर पर सर्वश्रेष्ठ शिक्षक सम्मान 2017
👉🏿 जनपद के स्थापना दिवस के मौके पर आयोजित समारोह में जिलाधिकारी महोदय द्वारा उत्कृष्ट शिक्षक सम्मान 2018
👉🏿 विज्ञान क्लब द्वारा विज्ञान प्रदर्शनी के आयोजन पर सम्मान
👉🏿 राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद कुशीनगर द्वारा सम्मान 2017
📋विद्यालय की उपलब्धियाँ📋
👉🏿 अंतर्-विद्यालयीय/न्याय पंचायत स्तरीय सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता में विगत तीन वर्षों से लगातार प्रथम एवं अन्य स्थान।
👉🏿 शांतिकुंज हरिद्वार द्वारा आयोजित संस्कृति ज्ञान परीक्षा में जनपद में उत्कृष्ट प्रदर्शन(2017)
👉🏿मंडली बेसिक बाल क्रीडा प्रतियोगिता(2018-19)में सुलेख में प्रथम स्थान।
👉🏿मंडलीय बेसिक बाल-क्रीडा प्रतियोगिता(2018-19)में एथलीट 400 मीटर में मंडल में तृतीय स्थान जनपद में प्रथम स्थान।
👉🏿जनपदीय बेसिक बाल-क्रीडा प्रतियोगिता में (2018-19)सुलेख में द्वितीय और तृतीय स्थान।
👉🏿विद्यालय परिसर में स्थापित पूर्व माध्यमिक विद्यालय की छात्रा कुमारी प्रीति शर्मा द्वारा लगातार दो वर्षों से मंडल में श्रुतलेख, व 2018-19 में मानचित्रण में भी
प्रथम स्थान।
👉🏿 राष्ट्रीय प्रतिभा खोज परीक्षा में कुमारी प्रीति शर्मा द्वारा ब्लॉक में प्रथम और जनपद में चतुर्थ स्थान।
भवदीय
धर्मेन्द्र कुमार पाण्डेय
(प्रधानाध्यापक)
प्राथमिक विद्यालय पोखरभिण्डा क्षेत्र-रामकोला,जनपद-कुशीनगर
संकलन:- मंजू सिंह
मिशन शिक्षण संवाद कुशीनगर
नोट: आप अपने मिशन परिवार में शामिल होने, आदर्श विद्यालय का विवरण भेजने तथा सहयोग व सुझाव को अपने जनपद सहयोगियों को अथवा मिशन शिक्षण संवाद के वाट्सअप नम्बर-9458278429 & 7017626809 और ई-मेल shikshansamvad@gmail.com पर भेज सकते हैं।
साभारः
टीम मिशन शिक्षण संवाद
07-05-2019
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