३२१~ सूर्य कुमार बाजपेयी सहायक अध्यापक उच्च प्राथमिक विद्यालय मिराई विकास खण्ड- देवमई जनपद- फ़तेहपुर

🏅अनमोल रत्न🏅

मित्रों आज हम आपका परिचय मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से जनपद- फतेहपुर से अनमोल रत्न शिक्षक साथी भाई सूर्य कुमार बाजपेई जी से करा रहे हैं। जिन्होंने अपनी सकारात्मक सोच और समर्पित संघर्ष की शक्ति से असम्भव शब्द को सम्भव बनने के लिए मजबूर कर दिखाया। जो हम जैसे हजारों शिक्षक साथियों के लिए अनुकरणीय और प्रेरक है।

आइये देखते हैं आपके द्वारा किए गये कुछ प्रेरक और अनुकरणीय प्रयासों को:-

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मैं सूर्य कुमार बाजपेई
सहायक अध्यापक
उच्च प्राथमिक विद्यालय मिराई
विकास खण्ड- देवमई
जनपद- फ़तेहपुर से।

👉🏻 मेरी नियुक्ति फ़रवरी 2008 में उच्च प्राथमिक विद्यालय मिराई, शि०क्षे०- देवमई में सहायक अध्यापक के पद पर हुई थी। उस समय श्री सुरेश चन्द्र सविता जी विद्यालय के प्रधानाध्यपक थे। विद्यालय का मूल भवन ध्वस्त हो गया था। कक्षायें अतिरिक्त कक्षा-कक्ष में संचालित होती थीं। विद्यालय परिसर का प्रयोग गांव के लोग शौचालय के रूप में किया करते थे। पुराने भवन में ग्रामीण, विद्यालय समय में भी बैठकर तास के पत्ते और नशा आदि करते थे। मैंने गन्दगी तथा मानसिक गन्दगी दोनों पर प्रधानाध्यपक जी से बात कि, चूंकि क्षेत्र मेरे लिए अपरिचित था। प्रधानाध्यपक ने मुझसे बताया कि यह गाँव अराजक तत्वों से भरा पड़ा है, इसलिए चुपचाप पढ़ाइए। चुपचाप अपनी नौकरी शांति से बिताइए। मैंने प्रधानाध्यापक जी का विरोध नहीं किया, किन्तु मन ही मन स्वच्छता का संकल्प लिया।

👉🏻प्रार्थना के समय बच्चों को प्रेरणादायी कहानियाँ सुनाना तथा स्वच्छता के लिए प्रेरित करना प्रारम्भ किया। साथ ही साथ प्रत्येक अभिभावक से सम्पर्क करना प्रारम्भ किया। प्रत्येक बच्चों की अच्छाई एवं बुराई उनसे साझा करना शुरू किया।
मामला बहुत चुनौतीपूर्ण था। गांव के लोग ही मुझ से कहने लगे कि-
"लड़िकवा पढिके डी०एम० न हुई जईहे"
मैंने सरलता से उनको जवाब में कहा, कि प्रयास करने में क्या जाता है। निरन्तर प्रयास और जागरूकता के साथ मेरे जुझारूपन को देखकर प्रधानाध्यापक महोदय भी मुझसे अतिप्रसन्न हुए।
विद्यालय परिसर में विद्यालय समय में बैठने वालों से मेरी वार्ता हुई। कुछ विरोध भी हुआ। मैंने कहा कि "यह मैं अपने लिए कर रहा हूँ या आपके बच्चों के लिए, बस इसी का उत्तर दे दीजिये।"






👉🏻 कमज़ोर बच्चों पर अतिरिक्त समय देकर उन्हें आगे बढ़ाया। प्रेरणायें दी। आगे बढ़ने के स्वप्न दिखाए। महापुरुषों के संस्मरण सुनाए। परिणामतः प्रधानाध्यापक जी के कार्यकाल में ही उपस्थिति और शिक्षा के स्तर का उन्नयन करके दिखाया।
👉🏻 अब समस्या थी बच्चों के प्रवेश की। विद्यालय ग्रामसभा में ही 4 प्राइवेट स्कूल विद्यालय से 2-2 किमी0 की दूरी पर संचालित थे। हमारे विद्यालय में मात्र वही बच्चे आते थे, जिनके अभिभावक गरीब तथा शिक्षा के प्रति कोई झुकाव नहीं था।
👉🏻 मैंने उन्ही बच्चों को लेकर अथक परिश्रम किया और फिर उन्ही को लेकर प्राइवेट स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावकों से सम्पर्क किया। अभिभावकों का सीधा कहना था कि सरकारी स्कूलों में पढ़ाई नहीं होती। मैंने अपने बच्चों से उनके बच्चों के बीच प्रश्नवार्ता कराई और सिद्ध किया कि आपके पास मात्र सोच है, किन्तु मेरे पास प्रमाण है। ये बच्चे सरकारी स्कूल के ही हैं।






👉🏻 पढ़ाई के साथ ही साथ प्रत्येक वर्ष ब्लॉक एवं जनपद स्तरीय क्रीड़ा प्रतियोगिताओं के साथ अन्य सभी प्रकार की प्रतियोगिताओं में भी मैंने अपने व बच्चों को प्रतिभाग कराना सुनिश्चित किया। इस तरह धीरे-धीरे सफलताएँ मिलती गयीं जिससे लोगों की सोच में आमूलचूल परिवर्तन हुआ और विद्यालय की दशा व दिशा दोनों में बदलाव होने लगा।
👉🏻 वर्ष 2018-19 में मुझे प्रभारी प्रधानाध्यपक का दायित्व मिला। विद्यालय में पानी पीने की व्यवस्था नहीं थी। लगातार 3 वर्ष से दूसरे के सबमर्सिबल से पानी लिया जाता था। सर्वप्रथम मैंने विद्यालय परिसर में पानी की व्यवस्था की। इसके बाद धीरे-धीरे हर उस चीज़ की व्यवस्था की गई, जिसकी विद्यालय व बच्चों को आवश्यकता थी।
👉🏻 परिणामतः आज विद्यालय गांव और विकास खण्ड में नहीं वरन जनपद में अपना एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। प्रत्येक वर्ष ब्लॉक स्तर पर हर प्रतियोगिता में विद्यालय का ही दबदबा रहता है। जनपद स्तर पर भी बच्चे हर साल प्रतिभाग करते हैं। और विकास खण्ड व विद्यालय का नाम रोशन करते हैं। आज विद्यालय में गांव के ही नहीं अपितु आसपास के दूसरे गाँव के भी अभिभावक अपने बच्चों का नामांकन कराने के लिए लालायित रहते हैं। मैं और मेरा विद्यालय परिवार बच्चों की बेहतरी के लिए हरपल, हर तरह से तैयार रहते हैं और हर सम्भव प्रयास भी करते रहते हैं।










👉🏻 संदेश- *लहरों से डरकर नैया पार नहीं होती, मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती।* अर्थात किसी समस्या से बिना भयभीत हुए व्यक्ति को अपने कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ते रहना चाहिए। क्योंकि सफ़लता मात्र उन्हीं का वरण करती है जो लोग मेहनती, कर्मठ और लगनशीलता के साथ पूरे मनोयोग से अपने कार्य में लगे रहते हैं।
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साभार: सूर्य कुमार बाजपेयी
सहायक अध्यापक
उच्च प्राथमिक विद्यालय मिराई
विकास खण्ड- देवमई
जनपद- फ़तेहपुर।

संकलन: बबलू सैनी
टीम मिशन शिक्षण संवाद

नोट: आप अपने मिशन परिवार में शामिल होने, आदर्श विद्यालय का विवरण भेजने तथा सहयोग व सुझाव को अपने जनपद सहयोगियों को अथवा मिशन शिक्षण संवाद के वाट्सअप नम्बर-9458278429 & 7017626809 और ई-मेल shikshansamvad@gmail.com पर भेज सकते हैं।

साभारः
टीम मिशन शिक्षण संवाद
03-05-2019

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