३२२~ निशा शुक्ला (स०अ०) पूर्व माध्यमिक विद्यालय अरियारी, सहार, औरैया
🏅अनमोल रत्न🏅
मित्रों आज हम आपको परिवर्तन का प्रयास करने वाले बेसिक शिक्षा के लिए समर्पित शिक्षकों के बीच से जनपद-औरैया से सहार विकास खण्ड से बहन निशा शुक्ला जी से परिचय करा रहे हैं। जिन्होंने पारिवारिक विभाषिकाओं और सरकारी नौकरी की मजबूरियों के बीच अपने लक्ष्य, शिक्षा एवं शिक्षक के हित और सम्मान की रक्षा को कमजोर नहीं होने दिया। यदि इसी तरह प्रत्येक शिक्षक अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित हो जाये तो निश्चित ही बेसिक शिक्षा से अनिश्चितता के बादलों का अन्त होकर रहेगा..।
आइये देखते हैं विद्यालय व्यवस्था परिवर्तन की कहानी बहन निशा शुक्ला की जुबानी......
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=2326692347608349&id=1598220847122173
मैंने अगस्त 2013 में अंतर्जनपदीय स्थानांतरण उपरान्त पूर्व माध्यमिक विद्यालय अरियारी ब्लॉक सहार औरैया मैं सहायक अध्यापक के पद पर कार्यभार ग्रहण किया। यहाँ पर दो वरिष्ठ अध्यापक पहले से ही कार्यरत थे। उस समय विद्यालय में मात्र 42 छात्र नामांकित थे। विद्यालय का भौतिक व शैक्षिक वातावरण बहुत ही नीरस था। कई बार विद्यालय परिवेश को बदलने का प्रयास किया, लेकिन सफलता नहीं मिली। मार्च-2016 में हमारे विद्यालय के इंचार्ज प्रधानाध्यापक सेवानिवृत्त हुए और विद्यालय का संपूर्ण दायित्व मेरे ऊपर आ गया।इतनी बड़ी जिम्मेदारी को पूरी निष्ठा और लगन से निभाने का मन ही मन संकल्प लिया। उसी संकल्प के आगे बढ़ना शुरू किया।
📋बदलाव के लिए किए गए प्रयास:-
सबसे पहले मैंने विद्यालय में दीवारों पर पुट्टी, रंगाई -पुताई व पेंटिंग का कार्य कराकर विद्यालय को नया रूप प्रदान किया। सभी कक्षाओं को शैक्षिक सामग्री से सुसज्जित किया। इस कार्य हेतु मैंने स्वयं से लगभग 10,000 रुपए की धनराशि खर्च की।
📋तत्पश्चात नामांकन व उपस्थिति बढ़ाने हेतु मैंने विद्यालय के आसपास जुड़े गांवों में प्रतिदिन जाकर अभिभावकों से संपर्क किया विद्यालय जाने से एक घंटा पूर्व घर से निकल कर गांव जाकर अभिभावकों से मिलती और उन्हें विश्वास दिलाती की मैं अपना कार्य पूरी ईमानदारी और मेहनत से करूंगी। मैंने इस कार्य को अपनी दैनिक दिनचर्या में शामिल किया और धीरे-धीरे मेरे विद्यालय की छात्र संख्या 80 हो गई। हमारे इस कार्य को खण्ड शिक्षा अधिकारी द्वारा सराहा गया।
📋विज्ञान की अध्यापिका होने के कारण मुझे विज्ञान विषय से ज्यादा लगाव था। अवंत प्रोजेक्ट के अन्तर्गत गेल द्वारा प्रोजेक्टर, इनवर्टर, साउंड सिस्टम, विज्ञान के प्रयोग हेतु लैबोरेट्री उपकरण विद्यालय को मिले। जिससे विद्यालय में स्मार्ट क्लास द्वारा शिक्षा दी जाने लगी। साथ ही विद्यालय में एक विज्ञान लैब की स्थापना की जिसमें स्वयं के लगभग ₹ 15000 खर्च हुए। इस लैब से सभी छात्र छात्राएं प्रयोगों को आसानी से करके सीखने लगे। हमारे विद्यालय में अवंत प्रोजेक्ट की टीम, गैल की टीम, इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर, मानव संसाधन विकास मंत्रालय की टीम, फिक्की की टीम आदि ने विद्यालय में आकर समय-समय पर निरीक्षण किया और विद्यालय की शैक्षिक गुणवत्ता और बच्चों की उपस्थिति को अत्यधिक सराहा।
📋चहारदीवारी रहित विद्यालय में एक भी पौधा नहीं था। मैंने भी हिम्मत नहीं हारी। विद्यालय में आने वाले माननीय अतिथियों, अभिभावकों, उच्च अधिकारियों व छात्र- छात्राओं द्वारा पौधरोपण कराया। धीरे-धीरे विद्यालय प्रांगण हरा भरा हो गया और पुष्प भी खिलने लगे।
महिलाओं द्वारा संचालित ज्वाइंट सहेली ग्रुप ऑफ दिबियापुर द्वारा 15 अगस्त-2018 को मेरे विद्यालय में आकर नामांकित सभी छात्र-छात्राओं को पूरे सत्र के लिए कॉपियां, पेंसिल बॉक्स, पेन , पेंसिल, इरेज़र दिए गये। हमारे बच्चों की मेहनत और लगन को देखकर उन्होंने प्रतिवर्ष हमें यह सहयोग देने को कहा।
📋विज्ञान व गणित विषय को प्रोजेक्टर के माध्यम से समझाना।
कार्टून और शिक्षाप्रद बाल फिल्म दिखाना।
बच्चों के छोटे-छोटे वीडियो बनाकर उसे प्रोजेक्टर पर दिखाना। इस नवाचार को सभी टीमों द्वारा सराहा गया।
क्विज व अंताक्षरी के माध्यम से विज्ञान व अंग्रेजी को सरल तरीके से सिखाने निरन्तर नवप्रयोग।
📋दैनिक संदेश नियमित बच्चों की कॉपी में करवाना व माह के अंत में परीक्षा लेना। इन सभी कार्यों में विद्यालय के सहयोगी अध्यापकों का लगातार सहयोग करना।
📋मिशन शिक्षण संवाद के साथी अध्यापकों का कोई भी सराहनीय कार्य जो विद्यालय व छात्रों के लिए, लाभदायक होता है उसे अपने विद्यालय में तत्काल लागू करना। इस तरह विद्यालय को बहुत आगे ले जाने का सपना धीरे-धीरे साकार होते दिख रहा है।
📋नियमित अंग्रेजी में प्रार्थना के साथ सामान्य ज्ञान, प्रेरक प्रसंग हिंदी व अंग्रेजी की स्पीच का अभ्यास, एमडीएम से पूर्व भोजन मंत्र।
📋प्रत्येक शनिवार को एक्टिविटी करवाना व माह के आखिरी शनिवार को बच्चों के जन्म दिवस मनाना।
📋जनपद स्तरीय राष्ट्रीय आविष्कार अभियान प्रतियोगिता में विद्यालय के बच्चों ने प्रथम व तृतीय स्थान प्राप्त किया तथा जिला विज्ञान क्लब द्वारा आयोजित प्रतियोगिताओं में भी हमारे विद्यालय के बच्चों ने प्रथम द्वितीय, तृतीय स्थान प्राप्त किए कई बच्चों को सांत्वना पुरस्कार भी प्राप्त हुए।
📋लक्ष्य और संदेश :
हमारा मिशन है कि विद्यालय को वह सारी सुविधाएं उपलब्ध करा सकूं जो एक आदर्श विद्यालय में होती हैं मेरा सपना है कि मेरे विद्यालय के बच्चे भी जूनियर साइंटिस्ट जैसी प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग करें और ऐसा मैं करूंगी प्रयास अभी भी जारी है...
अंत में दो लाइनें कहना चाहूंगी..
टूटने लगे हौंसला तो ये याद रखना, बिना मेहनत के तख्तो ताज नहीं मिलते।
ढूंढ़ लेते हैं अंधेरों में मंजिल अपनी, जुगनू कभी रोशनी के मोहताज नहीं होते।
साभार : 🙏🏽
निशा शुक्ला (स०अ०)
पूर्व माध्यमिक विद्यालय अरियारी
विख - सहार, जनपद - औरैया।
संकलन : ज्ञान प्रकाश
टीम मिशन शिक्षण संवाद
नोट ✍🏻 - यदि आप या आपके आसपास कोई बेसिक शिक्षा का शिक्षक अच्छे कार्य कर शिक्षा एवं शिक्षक को सम्मानित स्थान दिलाने में सहयोग कर रहा है तो बिना किसी संकोच के अपने विद्यालय की उपलब्धियों को हम तक पहुँचाने में सहयोग करें। आपकी ये उपलब्धियाँ हजारों शिक्षकों के लिए नयी ऊर्जा और प्रेरणा का काम करेंगी। इसलिए बेसिक शिक्षा को सम्मानित स्थान दिलाने के लिए हम सब मिशन संवाद के माध्यम से जुड़कर एक दूसरे से सीखें और सिखायें। बेसिक शिक्षा की नकारात्मकता को दूर भगायें।
उपलब्धियों का विवरण और फोटो भेजने का WhatsApp no- 9458278429 है।
टीम मिशन शिक्षण संवाद
05-05-2019
मित्रों आज हम आपको परिवर्तन का प्रयास करने वाले बेसिक शिक्षा के लिए समर्पित शिक्षकों के बीच से जनपद-औरैया से सहार विकास खण्ड से बहन निशा शुक्ला जी से परिचय करा रहे हैं। जिन्होंने पारिवारिक विभाषिकाओं और सरकारी नौकरी की मजबूरियों के बीच अपने लक्ष्य, शिक्षा एवं शिक्षक के हित और सम्मान की रक्षा को कमजोर नहीं होने दिया। यदि इसी तरह प्रत्येक शिक्षक अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित हो जाये तो निश्चित ही बेसिक शिक्षा से अनिश्चितता के बादलों का अन्त होकर रहेगा..।
आइये देखते हैं विद्यालय व्यवस्था परिवर्तन की कहानी बहन निशा शुक्ला की जुबानी......
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=2326692347608349&id=1598220847122173
मैंने अगस्त 2013 में अंतर्जनपदीय स्थानांतरण उपरान्त पूर्व माध्यमिक विद्यालय अरियारी ब्लॉक सहार औरैया मैं सहायक अध्यापक के पद पर कार्यभार ग्रहण किया। यहाँ पर दो वरिष्ठ अध्यापक पहले से ही कार्यरत थे। उस समय विद्यालय में मात्र 42 छात्र नामांकित थे। विद्यालय का भौतिक व शैक्षिक वातावरण बहुत ही नीरस था। कई बार विद्यालय परिवेश को बदलने का प्रयास किया, लेकिन सफलता नहीं मिली। मार्च-2016 में हमारे विद्यालय के इंचार्ज प्रधानाध्यापक सेवानिवृत्त हुए और विद्यालय का संपूर्ण दायित्व मेरे ऊपर आ गया।इतनी बड़ी जिम्मेदारी को पूरी निष्ठा और लगन से निभाने का मन ही मन संकल्प लिया। उसी संकल्प के आगे बढ़ना शुरू किया।
📋बदलाव के लिए किए गए प्रयास:-
सबसे पहले मैंने विद्यालय में दीवारों पर पुट्टी, रंगाई -पुताई व पेंटिंग का कार्य कराकर विद्यालय को नया रूप प्रदान किया। सभी कक्षाओं को शैक्षिक सामग्री से सुसज्जित किया। इस कार्य हेतु मैंने स्वयं से लगभग 10,000 रुपए की धनराशि खर्च की।
📋तत्पश्चात नामांकन व उपस्थिति बढ़ाने हेतु मैंने विद्यालय के आसपास जुड़े गांवों में प्रतिदिन जाकर अभिभावकों से संपर्क किया विद्यालय जाने से एक घंटा पूर्व घर से निकल कर गांव जाकर अभिभावकों से मिलती और उन्हें विश्वास दिलाती की मैं अपना कार्य पूरी ईमानदारी और मेहनत से करूंगी। मैंने इस कार्य को अपनी दैनिक दिनचर्या में शामिल किया और धीरे-धीरे मेरे विद्यालय की छात्र संख्या 80 हो गई। हमारे इस कार्य को खण्ड शिक्षा अधिकारी द्वारा सराहा गया।
📋विज्ञान की अध्यापिका होने के कारण मुझे विज्ञान विषय से ज्यादा लगाव था। अवंत प्रोजेक्ट के अन्तर्गत गेल द्वारा प्रोजेक्टर, इनवर्टर, साउंड सिस्टम, विज्ञान के प्रयोग हेतु लैबोरेट्री उपकरण विद्यालय को मिले। जिससे विद्यालय में स्मार्ट क्लास द्वारा शिक्षा दी जाने लगी। साथ ही विद्यालय में एक विज्ञान लैब की स्थापना की जिसमें स्वयं के लगभग ₹ 15000 खर्च हुए। इस लैब से सभी छात्र छात्राएं प्रयोगों को आसानी से करके सीखने लगे। हमारे विद्यालय में अवंत प्रोजेक्ट की टीम, गैल की टीम, इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर, मानव संसाधन विकास मंत्रालय की टीम, फिक्की की टीम आदि ने विद्यालय में आकर समय-समय पर निरीक्षण किया और विद्यालय की शैक्षिक गुणवत्ता और बच्चों की उपस्थिति को अत्यधिक सराहा।
📋चहारदीवारी रहित विद्यालय में एक भी पौधा नहीं था। मैंने भी हिम्मत नहीं हारी। विद्यालय में आने वाले माननीय अतिथियों, अभिभावकों, उच्च अधिकारियों व छात्र- छात्राओं द्वारा पौधरोपण कराया। धीरे-धीरे विद्यालय प्रांगण हरा भरा हो गया और पुष्प भी खिलने लगे।
महिलाओं द्वारा संचालित ज्वाइंट सहेली ग्रुप ऑफ दिबियापुर द्वारा 15 अगस्त-2018 को मेरे विद्यालय में आकर नामांकित सभी छात्र-छात्राओं को पूरे सत्र के लिए कॉपियां, पेंसिल बॉक्स, पेन , पेंसिल, इरेज़र दिए गये। हमारे बच्चों की मेहनत और लगन को देखकर उन्होंने प्रतिवर्ष हमें यह सहयोग देने को कहा।
📋विज्ञान व गणित विषय को प्रोजेक्टर के माध्यम से समझाना।
कार्टून और शिक्षाप्रद बाल फिल्म दिखाना।
बच्चों के छोटे-छोटे वीडियो बनाकर उसे प्रोजेक्टर पर दिखाना। इस नवाचार को सभी टीमों द्वारा सराहा गया।
क्विज व अंताक्षरी के माध्यम से विज्ञान व अंग्रेजी को सरल तरीके से सिखाने निरन्तर नवप्रयोग।
📋दैनिक संदेश नियमित बच्चों की कॉपी में करवाना व माह के अंत में परीक्षा लेना। इन सभी कार्यों में विद्यालय के सहयोगी अध्यापकों का लगातार सहयोग करना।
📋मिशन शिक्षण संवाद के साथी अध्यापकों का कोई भी सराहनीय कार्य जो विद्यालय व छात्रों के लिए, लाभदायक होता है उसे अपने विद्यालय में तत्काल लागू करना। इस तरह विद्यालय को बहुत आगे ले जाने का सपना धीरे-धीरे साकार होते दिख रहा है।
📋नियमित अंग्रेजी में प्रार्थना के साथ सामान्य ज्ञान, प्रेरक प्रसंग हिंदी व अंग्रेजी की स्पीच का अभ्यास, एमडीएम से पूर्व भोजन मंत्र।
📋प्रत्येक शनिवार को एक्टिविटी करवाना व माह के आखिरी शनिवार को बच्चों के जन्म दिवस मनाना।
📋जनपद स्तरीय राष्ट्रीय आविष्कार अभियान प्रतियोगिता में विद्यालय के बच्चों ने प्रथम व तृतीय स्थान प्राप्त किया तथा जिला विज्ञान क्लब द्वारा आयोजित प्रतियोगिताओं में भी हमारे विद्यालय के बच्चों ने प्रथम द्वितीय, तृतीय स्थान प्राप्त किए कई बच्चों को सांत्वना पुरस्कार भी प्राप्त हुए।
📋लक्ष्य और संदेश :
हमारा मिशन है कि विद्यालय को वह सारी सुविधाएं उपलब्ध करा सकूं जो एक आदर्श विद्यालय में होती हैं मेरा सपना है कि मेरे विद्यालय के बच्चे भी जूनियर साइंटिस्ट जैसी प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग करें और ऐसा मैं करूंगी प्रयास अभी भी जारी है...
अंत में दो लाइनें कहना चाहूंगी..
टूटने लगे हौंसला तो ये याद रखना, बिना मेहनत के तख्तो ताज नहीं मिलते।
ढूंढ़ लेते हैं अंधेरों में मंजिल अपनी, जुगनू कभी रोशनी के मोहताज नहीं होते।
साभार : 🙏🏽
निशा शुक्ला (स०अ०)
पूर्व माध्यमिक विद्यालय अरियारी
विख - सहार, जनपद - औरैया।
संकलन : ज्ञान प्रकाश
टीम मिशन शिक्षण संवाद
नोट ✍🏻 - यदि आप या आपके आसपास कोई बेसिक शिक्षा का शिक्षक अच्छे कार्य कर शिक्षा एवं शिक्षक को सम्मानित स्थान दिलाने में सहयोग कर रहा है तो बिना किसी संकोच के अपने विद्यालय की उपलब्धियों को हम तक पहुँचाने में सहयोग करें। आपकी ये उपलब्धियाँ हजारों शिक्षकों के लिए नयी ऊर्जा और प्रेरणा का काम करेंगी। इसलिए बेसिक शिक्षा को सम्मानित स्थान दिलाने के लिए हम सब मिशन संवाद के माध्यम से जुड़कर एक दूसरे से सीखें और सिखायें। बेसिक शिक्षा की नकारात्मकता को दूर भगायें।
उपलब्धियों का विवरण और फोटो भेजने का WhatsApp no- 9458278429 है।
टीम मिशन शिक्षण संवाद
05-05-2019
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