छत्रपति शिवाजी

जन्मे जब काल धरा पर
थर्राया हर विकराल धरा पर
वो रिसता रक्त रार धरा पर,

हवा का आसूँ बन गोला
हिम टूटा बनकर शोला
वो चमकता तलवार धरा पर,

क्रोध की ज्वाला चीत्कार न भरा
आन की आँधी झनकार न भरा
वो सम्मान-भरा शान धरा पर,

सूर्य देव से ऊर्जा अर्पित
ललाट विजय तिलक समर्पित
वो सृष्टि धर्ता नाम धरा पर,

'कृष्णा' की बल शक्ति पाकर
रन-विजय में धावक न्योछावर
था वो कर्तव्यनिष्ठ प्राणी धरा पर!!

रचयिता
चैतन्य कुमार,
सहायक शिक्षक,
मध्य विद्यालय तीरा,
ग्राम+पत्रालय:- तीरा खारदह,
प्रखण्ड:- सिकटी,
भाया:- कुर्साकाँटा,
जिला:- अररिया,
राज्य:- बिहार।

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