पुलवामा आतंकी हमला

रो पड़ी आज धरा और गगन
व्याकुल है हिंद का हर एक जन,
मूक हैं आज चहुँदिशाएँ
थम गई हैं चलती हवाएँ।

हो गया छलनी हिय माँ का
देख तिरंगे में शव बेटे का,
पिता हो गए धराशाई
मृत्यु की खबर जब बेटे की आई।

देख आतंकी हमला पुलवामा का
रो पड़ा है आज वतन सारा,
गया साया सिर से पिता का
देख उन शिशुओं की अश्रुधारा।

मही पर है तन चालीस जवानों का
रो पड़ा है आज हृदय मेरा,
मिट गया माथे का सिंदूर उसका
जिसने पिया को जी भर ना निहारा।

लेकिन स्वर एक ही कहे
 हिंद का हर एक जन,
उन अमर शहीदों को
शत शत नमन, शत शत नमन।

निहत्थों पर वार करना
पहचान है कायरों की,
किया साहस जो पाक तूने
वतन को मिटाने की।

चुकानी होगी तुझे कीमत
हमारे हर एक सैनिक की,
देकर बलि हमें भी
सौ सौ जवानों की।

एक सिर के बदले
सौ सिर काट लाएँगे,
बलिदान उनका कभी हम
भुला नहीं पाएँगे।

अमर  हो गया उनका तन
हुए शहीद जो जन,
उन वीर सपूतों को
शत शत नमन, शत शत नमन।

रचयिता
रंजना डुकलान,
सहायक अध्यापक, 
राजकीय प्राथमिक विद्यालय धौडा़,
विकास खण्ड-कल्जीखाल,
जनपद-पौड़ी गढ़वाल,
उत्तराखण्ड।

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