विज्ञान

ज्ञान का विशलेषण है विज्ञान
नहीं कोई चमत्कार
चमत्कार को सब करें नमस्कार
न करे कोई सूर्य नमस्कार।
दैहिक सुख देता है सूर्य नमस्कार
भौतिक सुख देता है विज्ञान
जब हो जाए दोनों का संगम
हो जाए जग-जीवन, दोनों का कल्याण।
संश्लेषित ज्ञान है विज्ञान
ज्ञान से उपजा हर यन्त्र
बन गया विज्ञान
संशलेषण में ही है जग-कल्याण।
सुखों की खान है विज्ञान
ज्ञान से उपजा, ये विज्ञान
न करना इसका दुरुपयोग
विज्ञान से करना है जन-कल्याण।
उड़ रहे आसमां में आज हम
खेल रहे तरंगों से हम
बन गया विज्ञान ही हमारा जीवन
है हर कदम दूर, अगर नहीं विज्ञान।।

रचयिता
अर्चना गुप्ता,
प्रभारी अध्यापिका, 
पूर्व माध्यमिक विद्यालय सिजौरा,
विकास खण्ड-बंगरा,
जिला-झाँसी।

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