४१३~ प्रतिभा भारद्वाज (स०अ०) पू०मा०वि० वीरपुर छबीलगढी, जवां, अलीगढ़
🏅अनमोल रत्न🏅
मित्रों आज हम आपका परिचय मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से जनपद- अलीगढ़ से अनमोल रत्न शिक्षिका बहन प्रतिभा भारद्वाज जी से करा रहे हैं जिन्होंने अपनी सकारात्मक सोच और समर्पित व्यवहार कुशलता से अपने विद्यालय को सामाजिक विश्वास का केन्द्र बना दिया। जो हम सभी के लिए प्रेरक और अनुकरणीय है।
आइये देखते हैं आपके द्वारा किए गये कुछ प्रेरक और अनुकरणीय प्रयासों को:
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=2568913386719576&id=1598220847122173
👉1::: प्रतिभा भारद्वाज (स०अ०)
पू०मा०वि० वीरपुर छबीलगढी, जवां,
अलीगढ़
वर्तमान विद्यालय में नियुक्ति: 1 जनवरी- 2011
विभाग में नियुक्ति: 2 जनवरी- 2006
👉2:::मेरे आने से पहले विद्यालय की स्थिति निम्नांकित थी⬇
➡छात्र /छात्राओं की दैनिक उपस्थिति का कम होना
➡विद्यालय के वातावरण का नीरस होना।
➡रटने की पद्धति का प्रचलित होना।
➡कोई भी शैक्षिक गतिविधि का न होना।
➡छात्र /छात्राओं की शिक्षकों से दूरी का होना।
➡मिड-डे-मील का सुचारु रूप से सम्पन्न न होना।
➡संस्कार प्रेरणा का ह्रास होना।
➡शौचालय के सदुपयोग का अभाव।
➡विद्यालय तक का मार्ग बहुत ही ऊबड़-खाबड़ होना।
➡अभिभावकों के असहयोगी व्यवहार का होना।
➡गांववासियों का शिक्षकों के प्रति सम्मान का न होना।
➡उपद्रवी तत्वों का विद्यालय में तोड़फोड़ करना।
👉मेरे द्वारा किए गए परिवर्तनों का सारांश ⬇
➡सर्वप्रथम मैनें विद्यालय में "म्यूजिकल इन्स्ट्रूमेन्ट्स "
तथा स्पीकर की व्यवस्था की।
➡विद्यालय की दीवारों को सूचनात्मक चार्टों से सुसज्जित किया।
➡प्रत्येक कक्षा में नैतिक वाक्य लिखे।
➡भूतपूर्व हेडमास्टर श्री ईशाक मुहम्मद की सहायता से ग्राम प्रधान से बात की जिससे मिड-डे-मील की व्यवस्था सुचारु रूप से सम्पन्न होने लगी।
➡ग्राम प्रधान की सहायता से शौचालय प्रयोग करने लायक बना।
➡ग्राम प्रधान की सहायता से स्कूल तक लम्बी चौड़ी सड़क का निर्माण करवाया।
➡आभिभावकों से सम्पर्क साधा, रैलियां की, शिक्षक -अभिभावक, माता समूह, विद्यालय प्रबंधन समिति बैठकें होने लगी। जिसमें शिक्षा के महत्व पर, नैतिक मूल्यों पर कहानी-कविता तथा गीत-संगीत के माध्यम से चर्चा होती है।
➡बच्चों के सुविधाजनक आवागमन के लिए पेयजल तक के मार्ग पर ईंटें बिछवाईं।
➡क्यारियां बनवाईं।
➡शिकायत पेटिका का निर्माण करा।
➡ राकेश मीनामंच कोष का निर्माण करा।
➡राष्ट्रीय त्योहारों तथा धार्मिक त्योहारों को उल्लास के साथ मनाने की व्यवस्था की।
➡आर्थिक रूप से कमजोर छात्र /छात्राओं को तथा उनके अभिभावकों को भी मदद देने की पहल की।
➡भोजन बनाने वाली परिचारिकाओं की भी यथासंभव सहायता की।
➡कक्षों की दीवारों पर भी स्वयं पेंटिंग की।
➡छात्र /छात्राओं के चित्रण की भी व्यवस्था की।
➡छात्र/छात्राओं के लिए समय-समय पर पुरूस्कार देने की भी व्यवस्था की।
👉3:::: विद्यालय परिवेश एवं उपयोगी संसाधनों में खर्च की व्यवस्था सरकार तथा ग्राम प्रधान द्वारा तो होती ही है पर स्पीकर, पेंटिग आदि की सामग्री, त्योहारों पर होने वाला खर्च, गरीब बच्चों की आर्थिक सहायता आदि-आदि की व्यवस्था मैं अपने पिता के दिए उन रुपयों से कर पाती हूँ जो वे हर माह मुझे आशीर्वाद के रूप में देते हैं, उनको मैं अन्य कामों में खर्च न करके अपने इन प्यारे बच्चों पर प्रयोग कर पैसों का सदुपयोग करती हूँ।
👉4:::: विद्यालय के विकास में सहयोग करने वालों में S.R.G. श्रीमती अनुज कुमारी, इ.प्र.अ. श्रीमती राकेश कुमारी, ग्राम प्रधान श्री सुनील कुमार प्रमुख हैं।
छात्रा कु.रूबी. कक्षा -7 के अभिभावक, ग्राम शिक्षा समिति के सदस्य तथा भूतपूर्व छात्र /छात्राओं कु.नेहा. कु. डाॅली, प्रशांत, नन्दकिशोर से भी काफी सहायता मिलती है। इसके अतिरिक्त अधिकांश अभिभावक गणों से किसी न किसी रूप में सहयोग मिल जाता है।
👉5:::: पिछले पाँच वर्ष की छात्र संख्या निम्नांकित है⬇
वर्ष छात्र संख्या
2015 59
2016 64
2017 91
2018 97
2019 101
👉उपस्थिति बढ़ाने के मेरे द्वारा किए गए प्रयास निम्नलिखित हैं⬇
➡बच्चों के प्रति संवेदनशील होना।
➡बच्चों के अभिभावकों के प्रति भी सहानुभूति रखना। अपने स्तर से यथासंभव सहायता करना। शिक्षा के महत्व पर कहानी, गीत आदि के माध्यम से चर्चा कर उनको भी शिक्षा से जोड़ना।
➡गांववासियों को समय-समय पर विद्यालय आमन्त्रित करना विद्यालय के सम्बन्ध में उनके विचार जानना और उनको भी सहभागी बनाना।
➡गांव में जाकर स्वच्छता, सड़क सुरक्षा आदि पर नुक्कड़ प्रोग्राम करना। गांववासियों, अभिभावकों से इस पर चर्चा करना।
➡अन्धविश्वासों को दूर करने के लिए बच्चे के साथ अभिभावक को भी शामिल करना।
➡बच्चे के माध्यम से अभिभावक को भी साक्षरता से जोड़ना।
➡बच्चे के शैक्षिक वीडियो बनाकर अभिभावक को भेजना।
➡विद्यालय में समसामयिक घटनाओं की जानकारी के लिए अखबार की कतरनों को चार्ट पर लगाना।
👉6::: मैं अपने शिक्षण में निम्नलिखित बिन्दुओं का ध्यान रखती हूँ⬇
➡गतिविधि आधारित शिक्षण व्यवस्था।
➡नवाचार आधारित शिक्षण व्यवस्था।
➡स्वयं करके सीखने पर आधारित शिक्षण व्यवस्था।
➡नैतिक मूल्यों पर आधारित शिक्षण व्यवस्था।
➡सांस्कृतिक मूल्यों पर आधारित शिक्षण व्यवस्था।
➡देशभक्ति भावना पर आधारित शिक्षण व्यवस्था।
➡वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित शिक्षण व्यवस्था।
➡बच्चों की अन्तर्निहित क्षमताओं को विकसित करने पर आधारित शिक्षण व्यवस्था।
➡ICTदीक्षा एप पर आधारित शिक्षण व्यवस्था।
इसी क्रम में मैनें गतिविधियाँ तथा नवाचार विकसित किए हैं, जैसे -खिड़की खोलो नवाचार, फिंगर ट्रिक्स नवाचार, पाठों का गीत -संगीत - कहानी - नाटक-चित्रण के माध्यम से नवाचार, ढोलक ताली गतिविधि आदि।
🥀एक उदाहरण प्रस्तुत है-जब बच्चे अभिसारी किरण पुंज, अपसारी किरण पुंज में अन्तर नही समझ पा रहे थे तो उत्तल लेंस के प्रयोग से सूर्य की किरणों से बच्चों के नाम लिखवाए, यह प्रयोग रुचिकर होने के साथ-साथ बच्चों के लिए कभी न भूलने वाला भी हो गया।
🥀एक उदाहरण Tik-tok एप्लिकेशन का भी है- इसके माध्यम से बच्चे एक-एक पंक्ति करके कई पंक्तियां बड़ी आसानी से याद कर लेते हैं, क्योंकि इन वीडियोज में स्वयं को देखना बच्चों को बड़ा ही मनोरंजक लगता है।
👉7::: बच्चों की उपलब्धियां⬇
🥀2013: T.L.M. प्रतियोगिता में छात्र बबलू की राज्यस्तरीय प्रतियोगिता में सहभागिता।
🥀2014: जनपद स्तर पर कला प्रतियोगिता में छात्रा पूजा तत्कालीन डी.एम. श्री राजीव रौतेला के द्वारा पुरस्कृत।
🥀2015: संकुल स्तर पर छात्रा सपना कला प्रतियोगिता में तत्कालीन ए०बी०एस०ए० श्री चन्द्रभूषण जी द्वारा पुरस्कृत।
🥀2016: संकुल स्तर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम में ठा० जयवीर सिंह ने छात्राओं को पुरस्कृत किया।
🥀2018: शैक्षिक मेला-डायट में छात्राओं को मंच पर बुलाकर सम्मानित किया गया।
🥀2019: में छात्राओं की जिला स्तरीय क्रीड़ा प्रतियोगिता
में प्रतिभागिता। छात्राओं को बी०एस०ए० श्रीमान् लक्ष्मीकांत पाण्डेय जी का आशीर्वाद मिला।
🥀2020: जनवरी में मिशन शिक्षण संवाद के मंच पर छात्राएं पुरस्कृत हुईं।
👉मेरी उपलब्धि ⬇
मेरी सबसे बड़ी उपलब्धि बच्चों के चेहरे पर फैली मुस्कुराहटें, मेरे आने पर एक -एक बच्चे का गर्मजोशी से स्वागत करना, जाने पर जब तक ओझल न हो जाऊं तब तक हाथ हिलाना ही है।
वैसे विज्ञान क्लब द्वारा टीएलएम प्रतियोगिता में द्वितीय स्थान पर, शैक्षिक मेला-डायट द्वारा संचार /नेतृत्व कौशल में द्वितीय स्थान पर पुरस्कृत हो चुकी हूँ। ZIIEI तथा मण्डलस्तरीय कार्यशाला ने भी सम्मानित किया है। अभी 2020 में मिशन शिक्षण संवाद कार्यशाला में भी सम्मानित होने का शुभअवसर प्राप्त हुआ है।
सन्दर्भदाता के रूप में मुझे संचार /नेतृत्व कौशल प्रशिक्षण डायट अलीगढ़ पर, विज्ञान तथा मीनामंच प्रशिक्षण ब्लॉक स्तर पर देने के भी अवसर प्राप्त हुए हैं।
हमारे क्षेत्र में विद्यालय की एक पहचान बनी है। विद्यालय के बच्चों को अन्य जगहों पर भी अपनी प्रस्तुति देने के लिए बुलाया जाता है।जैसे अभी 26 जनवरी- 2020 को प्राथमिक चिकित्सा केन्द्र, जवां पर बुलाया गया था। जहाँ इ.प्र.अ. श्रीमती राकेश कुमारी बच्चों को लेकर गईं थी।
👉8::::संदेश
प्राइमरी का शिक्षक अपने छात्र/छात्राओं के मन-मस्तिष्क में ताउम्र विद्यमान रहता है। इसीलिए जिस प्रकार एक दीपक को जलाने के लिए स्नेह (तेल) की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार ज्ञान का दीपक जलाने के लिए सर्वप्रथम बच्चे को स्नेह से तर करना आवश्यक हो जाता है। जहां स्नेह, संवेदनशीलता, सहानुभूति गुण होते हैं, वहाँ के कार्यों में उत्पादकता बढ़ ही जाती है।
धन्यवाद्:
पू०मा०वि० वीरपुर छबीलगढी
ब्लॉक--जवां, अलीगढ़
संकलन एवं सहयोग: यतेन्द्र सिंघल
मिशन शिक्षण संवाद अलीगढ़
नोट: मिशन शिक्षण संवाद परिवार में शामिल होने एवं अपना, अपने जनपद अथवा राज्य के आदर्श विद्यालयों का अनमोल रत्न में विवरण भेजने तथा मिशन शिक्षण संवाद से सम्बन्धित शिकायत, सहयोग, सुझाव और विचार को मिशन शिक्षण संवाद के जनपद एडमिन अथवा राज्य प्रभारी अथवा 9458278429 अथवा 7017626809 और ई-मेल shikshansamvad@gmail.com पर भेज सकते हैं।
सादर:
विमल कुमार
टीम मिशन शिक्षण संवाद
13-02-2020
आइये देखते हैं आपके द्वारा किए गये कुछ प्रेरक और अनुकरणीय प्रयासों को:
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👉1::: प्रतिभा भारद्वाज (स०अ०)
पू०मा०वि० वीरपुर छबीलगढी, जवां,
अलीगढ़
वर्तमान विद्यालय में नियुक्ति: 1 जनवरी- 2011
विभाग में नियुक्ति: 2 जनवरी- 2006
👉2:::मेरे आने से पहले विद्यालय की स्थिति निम्नांकित थी⬇
➡छात्र /छात्राओं की दैनिक उपस्थिति का कम होना
➡विद्यालय के वातावरण का नीरस होना।
➡रटने की पद्धति का प्रचलित होना।
➡कोई भी शैक्षिक गतिविधि का न होना।
➡छात्र /छात्राओं की शिक्षकों से दूरी का होना।
➡मिड-डे-मील का सुचारु रूप से सम्पन्न न होना।
➡संस्कार प्रेरणा का ह्रास होना।
➡शौचालय के सदुपयोग का अभाव।
➡विद्यालय तक का मार्ग बहुत ही ऊबड़-खाबड़ होना।
➡अभिभावकों के असहयोगी व्यवहार का होना।
➡गांववासियों का शिक्षकों के प्रति सम्मान का न होना।
➡उपद्रवी तत्वों का विद्यालय में तोड़फोड़ करना।
👉मेरे द्वारा किए गए परिवर्तनों का सारांश ⬇
➡सर्वप्रथम मैनें विद्यालय में "म्यूजिकल इन्स्ट्रूमेन्ट्स "
तथा स्पीकर की व्यवस्था की।
➡विद्यालय की दीवारों को सूचनात्मक चार्टों से सुसज्जित किया।
➡प्रत्येक कक्षा में नैतिक वाक्य लिखे।
➡भूतपूर्व हेडमास्टर श्री ईशाक मुहम्मद की सहायता से ग्राम प्रधान से बात की जिससे मिड-डे-मील की व्यवस्था सुचारु रूप से सम्पन्न होने लगी।
➡ग्राम प्रधान की सहायता से शौचालय प्रयोग करने लायक बना।
➡ग्राम प्रधान की सहायता से स्कूल तक लम्बी चौड़ी सड़क का निर्माण करवाया।
➡आभिभावकों से सम्पर्क साधा, रैलियां की, शिक्षक -अभिभावक, माता समूह, विद्यालय प्रबंधन समिति बैठकें होने लगी। जिसमें शिक्षा के महत्व पर, नैतिक मूल्यों पर कहानी-कविता तथा गीत-संगीत के माध्यम से चर्चा होती है।
➡बच्चों के सुविधाजनक आवागमन के लिए पेयजल तक के मार्ग पर ईंटें बिछवाईं।
➡क्यारियां बनवाईं।
➡शिकायत पेटिका का निर्माण करा।
➡ राकेश मीनामंच कोष का निर्माण करा।
➡राष्ट्रीय त्योहारों तथा धार्मिक त्योहारों को उल्लास के साथ मनाने की व्यवस्था की।
➡आर्थिक रूप से कमजोर छात्र /छात्राओं को तथा उनके अभिभावकों को भी मदद देने की पहल की।
➡भोजन बनाने वाली परिचारिकाओं की भी यथासंभव सहायता की।
➡कक्षों की दीवारों पर भी स्वयं पेंटिंग की।
➡छात्र /छात्राओं के चित्रण की भी व्यवस्था की।
➡छात्र/छात्राओं के लिए समय-समय पर पुरूस्कार देने की भी व्यवस्था की।
👉3:::: विद्यालय परिवेश एवं उपयोगी संसाधनों में खर्च की व्यवस्था सरकार तथा ग्राम प्रधान द्वारा तो होती ही है पर स्पीकर, पेंटिग आदि की सामग्री, त्योहारों पर होने वाला खर्च, गरीब बच्चों की आर्थिक सहायता आदि-आदि की व्यवस्था मैं अपने पिता के दिए उन रुपयों से कर पाती हूँ जो वे हर माह मुझे आशीर्वाद के रूप में देते हैं, उनको मैं अन्य कामों में खर्च न करके अपने इन प्यारे बच्चों पर प्रयोग कर पैसों का सदुपयोग करती हूँ।
👉4:::: विद्यालय के विकास में सहयोग करने वालों में S.R.G. श्रीमती अनुज कुमारी, इ.प्र.अ. श्रीमती राकेश कुमारी, ग्राम प्रधान श्री सुनील कुमार प्रमुख हैं।
छात्रा कु.रूबी. कक्षा -7 के अभिभावक, ग्राम शिक्षा समिति के सदस्य तथा भूतपूर्व छात्र /छात्राओं कु.नेहा. कु. डाॅली, प्रशांत, नन्दकिशोर से भी काफी सहायता मिलती है। इसके अतिरिक्त अधिकांश अभिभावक गणों से किसी न किसी रूप में सहयोग मिल जाता है।
👉5:::: पिछले पाँच वर्ष की छात्र संख्या निम्नांकित है⬇
वर्ष छात्र संख्या
2015 59
2016 64
2017 91
2018 97
2019 101
👉उपस्थिति बढ़ाने के मेरे द्वारा किए गए प्रयास निम्नलिखित हैं⬇
➡बच्चों के प्रति संवेदनशील होना।
➡बच्चों के अभिभावकों के प्रति भी सहानुभूति रखना। अपने स्तर से यथासंभव सहायता करना। शिक्षा के महत्व पर कहानी, गीत आदि के माध्यम से चर्चा कर उनको भी शिक्षा से जोड़ना।
➡गांववासियों को समय-समय पर विद्यालय आमन्त्रित करना विद्यालय के सम्बन्ध में उनके विचार जानना और उनको भी सहभागी बनाना।
➡गांव में जाकर स्वच्छता, सड़क सुरक्षा आदि पर नुक्कड़ प्रोग्राम करना। गांववासियों, अभिभावकों से इस पर चर्चा करना।
➡अन्धविश्वासों को दूर करने के लिए बच्चे के साथ अभिभावक को भी शामिल करना।
➡बच्चे के माध्यम से अभिभावक को भी साक्षरता से जोड़ना।
➡बच्चे के शैक्षिक वीडियो बनाकर अभिभावक को भेजना।
➡विद्यालय में समसामयिक घटनाओं की जानकारी के लिए अखबार की कतरनों को चार्ट पर लगाना।
👉6::: मैं अपने शिक्षण में निम्नलिखित बिन्दुओं का ध्यान रखती हूँ⬇
➡गतिविधि आधारित शिक्षण व्यवस्था।
➡नवाचार आधारित शिक्षण व्यवस्था।
➡स्वयं करके सीखने पर आधारित शिक्षण व्यवस्था।
➡नैतिक मूल्यों पर आधारित शिक्षण व्यवस्था।
➡सांस्कृतिक मूल्यों पर आधारित शिक्षण व्यवस्था।
➡देशभक्ति भावना पर आधारित शिक्षण व्यवस्था।
➡वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित शिक्षण व्यवस्था।
➡बच्चों की अन्तर्निहित क्षमताओं को विकसित करने पर आधारित शिक्षण व्यवस्था।
➡ICTदीक्षा एप पर आधारित शिक्षण व्यवस्था।
इसी क्रम में मैनें गतिविधियाँ तथा नवाचार विकसित किए हैं, जैसे -खिड़की खोलो नवाचार, फिंगर ट्रिक्स नवाचार, पाठों का गीत -संगीत - कहानी - नाटक-चित्रण के माध्यम से नवाचार, ढोलक ताली गतिविधि आदि।
🥀एक उदाहरण प्रस्तुत है-जब बच्चे अभिसारी किरण पुंज, अपसारी किरण पुंज में अन्तर नही समझ पा रहे थे तो उत्तल लेंस के प्रयोग से सूर्य की किरणों से बच्चों के नाम लिखवाए, यह प्रयोग रुचिकर होने के साथ-साथ बच्चों के लिए कभी न भूलने वाला भी हो गया।
🥀एक उदाहरण Tik-tok एप्लिकेशन का भी है- इसके माध्यम से बच्चे एक-एक पंक्ति करके कई पंक्तियां बड़ी आसानी से याद कर लेते हैं, क्योंकि इन वीडियोज में स्वयं को देखना बच्चों को बड़ा ही मनोरंजक लगता है।
👉7::: बच्चों की उपलब्धियां⬇
🥀2013: T.L.M. प्रतियोगिता में छात्र बबलू की राज्यस्तरीय प्रतियोगिता में सहभागिता।
🥀2014: जनपद स्तर पर कला प्रतियोगिता में छात्रा पूजा तत्कालीन डी.एम. श्री राजीव रौतेला के द्वारा पुरस्कृत।
🥀2015: संकुल स्तर पर छात्रा सपना कला प्रतियोगिता में तत्कालीन ए०बी०एस०ए० श्री चन्द्रभूषण जी द्वारा पुरस्कृत।
🥀2016: संकुल स्तर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम में ठा० जयवीर सिंह ने छात्राओं को पुरस्कृत किया।
🥀2018: शैक्षिक मेला-डायट में छात्राओं को मंच पर बुलाकर सम्मानित किया गया।
🥀2019: में छात्राओं की जिला स्तरीय क्रीड़ा प्रतियोगिता
में प्रतिभागिता। छात्राओं को बी०एस०ए० श्रीमान् लक्ष्मीकांत पाण्डेय जी का आशीर्वाद मिला।
🥀2020: जनवरी में मिशन शिक्षण संवाद के मंच पर छात्राएं पुरस्कृत हुईं।
👉मेरी उपलब्धि ⬇
मेरी सबसे बड़ी उपलब्धि बच्चों के चेहरे पर फैली मुस्कुराहटें, मेरे आने पर एक -एक बच्चे का गर्मजोशी से स्वागत करना, जाने पर जब तक ओझल न हो जाऊं तब तक हाथ हिलाना ही है।
वैसे विज्ञान क्लब द्वारा टीएलएम प्रतियोगिता में द्वितीय स्थान पर, शैक्षिक मेला-डायट द्वारा संचार /नेतृत्व कौशल में द्वितीय स्थान पर पुरस्कृत हो चुकी हूँ। ZIIEI तथा मण्डलस्तरीय कार्यशाला ने भी सम्मानित किया है। अभी 2020 में मिशन शिक्षण संवाद कार्यशाला में भी सम्मानित होने का शुभअवसर प्राप्त हुआ है।
सन्दर्भदाता के रूप में मुझे संचार /नेतृत्व कौशल प्रशिक्षण डायट अलीगढ़ पर, विज्ञान तथा मीनामंच प्रशिक्षण ब्लॉक स्तर पर देने के भी अवसर प्राप्त हुए हैं।
हमारे क्षेत्र में विद्यालय की एक पहचान बनी है। विद्यालय के बच्चों को अन्य जगहों पर भी अपनी प्रस्तुति देने के लिए बुलाया जाता है।जैसे अभी 26 जनवरी- 2020 को प्राथमिक चिकित्सा केन्द्र, जवां पर बुलाया गया था। जहाँ इ.प्र.अ. श्रीमती राकेश कुमारी बच्चों को लेकर गईं थी।
👉8::::संदेश
प्राइमरी का शिक्षक अपने छात्र/छात्राओं के मन-मस्तिष्क में ताउम्र विद्यमान रहता है। इसीलिए जिस प्रकार एक दीपक को जलाने के लिए स्नेह (तेल) की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार ज्ञान का दीपक जलाने के लिए सर्वप्रथम बच्चे को स्नेह से तर करना आवश्यक हो जाता है। जहां स्नेह, संवेदनशीलता, सहानुभूति गुण होते हैं, वहाँ के कार्यों में उत्पादकता बढ़ ही जाती है।
धन्यवाद्:
पू०मा०वि० वीरपुर छबीलगढी
ब्लॉक--जवां, अलीगढ़
संकलन एवं सहयोग: यतेन्द्र सिंघल
मिशन शिक्षण संवाद अलीगढ़
नोट: मिशन शिक्षण संवाद परिवार में शामिल होने एवं अपना, अपने जनपद अथवा राज्य के आदर्श विद्यालयों का अनमोल रत्न में विवरण भेजने तथा मिशन शिक्षण संवाद से सम्बन्धित शिकायत, सहयोग, सुझाव और विचार को मिशन शिक्षण संवाद के जनपद एडमिन अथवा राज्य प्रभारी अथवा 9458278429 अथवा 7017626809 और ई-मेल shikshansamvad@gmail.com पर भेज सकते हैं।
सादर:
विमल कुमार
टीम मिशन शिक्षण संवाद
13-02-2020
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