रुक जाना नहीं
चलते रहो तुम और बढ़ते रहो तुम,
साहसी बन चलो, आस भरते रहो तुम।
सफलता सुनिश्चित पुरुषार्थ ऐसा रहे,
आत्म का दीप झिलमिल जलता रहे।
सुबह शाम हर पल ये कहते रहो तुम।
चलते रहो तुम----
विजेता बनोगे एक दिन यही कह रहा,
विश्वास जिनका अगर है अखंडित रहा।
कह रहे जो न रुकना अभी और चलते रहो,
लक्ष्य का स्वप्न दृग में उसको निरखते रहो।
प्रतिज्ञा स्वयं की तुम्हारी याद करते रहो तुम।
चलते रहो तुम-------
साहसी बन चलो, आस भरते रहो तुम।
सफलता सुनिश्चित पुरुषार्थ ऐसा रहे,
आत्म का दीप झिलमिल जलता रहे।
सुबह शाम हर पल ये कहते रहो तुम।
चलते रहो तुम----
विजेता बनोगे एक दिन यही कह रहा,
विश्वास जिनका अगर है अखंडित रहा।
कह रहे जो न रुकना अभी और चलते रहो,
लक्ष्य का स्वप्न दृग में उसको निरखते रहो।
प्रतिज्ञा स्वयं की तुम्हारी याद करते रहो तुम।
चलते रहो तुम-------
रचयिता
सतीश चन्द्र "कौशिक"
प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय अकबापुर,
विकास क्षेत्र-पहला,
जनपद -सीतापुर।
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