विज्ञान वन्दना
विज्ञान तुम्हें नित वन्दन है।
तू विश्व क्षितिज पर चन्दन है।।
अभिनन्दन है, अभिनन्दन है।
विज्ञान तुम्हें नित वन्दन है।।
तेरे प्रताप की यश गाथा।
हम क्षुद्र जीव गाते रहते।।
अफवाहें दूर भगा करके।
बस सत्य जाप करते रहते।।
इस कारण ही सारी दुनिया।
करती तेरा अभिनन्दन है।।
विज्ञान तुम्हें नित........( १ )
है लाल बहुत जन्मे जग में।
जिनसे उजियारा होता है।।
है ज्ञान दीप भरता उसमें।
जो सदियों से बस सोता है।।
जो शरण नहीं आता तेरी।
बस करता रहता क्रन्दन है।।
विज्ञान तुम्हें नित.........( २ )
ग्राहम बेल ने फोन दिया।
जग जिससे मुट्ठी में आया।।
जब एडीसन ने बल्ब दिया।
तब दुनिया भर को चौंकाया।।
बेयर्ड टी वी को दे करके।
अब बढ़ा दिया स्पन्दन है।।
विज्ञान तुम्हें नित........( ३ )
भारत ने रमन इफेक्ट दिया।
जिससे हर्षाया विश्न बहुत।।
खोला अन सुलझे राजों को।
तब चकित हुआ था विश्न बहुत।
इस भारत के विज्ञानी को।
मै नमन करूँ कर बन्धन है।।
विज्ञान तुम्हें नित............( ४ )
अब्दुल कलाम के साहस से।
सारे दुश्मन चकराए हैं।।
भारत की विकट मिसाइल से।
सब भारत जन हर्षाये हैं।।
ऐसे भारत के योद्धा को।
वन्दन वन्दन वन्दन वन्दन है।।
विज्ञान तुम्हें नित...........( ५ )
रचनाकार
देवेन्द्र कश्यप 'निडर',
साहित्यकार व सामाजिक चिंतक,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय हरिहरपुर,
विकास क्षेत्र-मछरेहटा,
जिला-सीतापुर।
तू विश्व क्षितिज पर चन्दन है।।
अभिनन्दन है, अभिनन्दन है।
विज्ञान तुम्हें नित वन्दन है।।
तेरे प्रताप की यश गाथा।
हम क्षुद्र जीव गाते रहते।।
अफवाहें दूर भगा करके।
बस सत्य जाप करते रहते।।
इस कारण ही सारी दुनिया।
करती तेरा अभिनन्दन है।।
विज्ञान तुम्हें नित........( १ )
है लाल बहुत जन्मे जग में।
जिनसे उजियारा होता है।।
है ज्ञान दीप भरता उसमें।
जो सदियों से बस सोता है।।
जो शरण नहीं आता तेरी।
बस करता रहता क्रन्दन है।।
विज्ञान तुम्हें नित.........( २ )
ग्राहम बेल ने फोन दिया।
जग जिससे मुट्ठी में आया।।
जब एडीसन ने बल्ब दिया।
तब दुनिया भर को चौंकाया।।
बेयर्ड टी वी को दे करके।
अब बढ़ा दिया स्पन्दन है।।
विज्ञान तुम्हें नित........( ३ )
भारत ने रमन इफेक्ट दिया।
जिससे हर्षाया विश्न बहुत।।
खोला अन सुलझे राजों को।
तब चकित हुआ था विश्न बहुत।
इस भारत के विज्ञानी को।
मै नमन करूँ कर बन्धन है।।
विज्ञान तुम्हें नित............( ४ )
अब्दुल कलाम के साहस से।
सारे दुश्मन चकराए हैं।।
भारत की विकट मिसाइल से।
सब भारत जन हर्षाये हैं।।
ऐसे भारत के योद्धा को।
वन्दन वन्दन वन्दन वन्दन है।।
विज्ञान तुम्हें नित...........( ५ )
रचनाकार
देवेन्द्र कश्यप 'निडर',
साहित्यकार व सामाजिक चिंतक,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय हरिहरपुर,
विकास क्षेत्र-मछरेहटा,
जिला-सीतापुर।
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