पुलवामा के शहीदों को श्रद्धांजलि
हिन्द देश के अमर सपूतों,
तुमको है प्रणाम हमारा।
तन, मन, धन और जीवन सारा,
हम पर तुमने अपना वारा।
आओ नमन करें हम उनको,
जिनके घर का टूटा तारा।
किसी बहन की राखी टूटी,
हुआ अनाथ कोई बच्चा प्यारा।
माँग किसी की हो गई सूनी,
रो रोकर कोई भाई हारा।
जिस आँगन में खेले थे तुम,
वहाँ छा गया मातम गहरा।
कोख किसी की हो गई सूनी,
बूढ़े बाप ने छाती धूनी।
आओ आज कसम ये खायें,
दुश्मन को मिल मजा चखायें।
देश हमारा रहे सुरक्षित,
ये ही श्रद्धा सुमन हमारा।
हिन्द देश के अमर सपूतों,
तुमको है प्रणाम हमारा।
रचयिता
नीलम कौर,
सहायक अध्यापिका,
प्राथमिक विद्यालय शाहबाजपुर,
विकास खण्ड-सिकन्दराबाद,
जनपद-बुलंदशहर।
तुमको है प्रणाम हमारा।
तन, मन, धन और जीवन सारा,
हम पर तुमने अपना वारा।
आओ नमन करें हम उनको,
जिनके घर का टूटा तारा।
किसी बहन की राखी टूटी,
हुआ अनाथ कोई बच्चा प्यारा।
माँग किसी की हो गई सूनी,
रो रोकर कोई भाई हारा।
जिस आँगन में खेले थे तुम,
वहाँ छा गया मातम गहरा।
कोख किसी की हो गई सूनी,
बूढ़े बाप ने छाती धूनी।
आओ आज कसम ये खायें,
दुश्मन को मिल मजा चखायें।
देश हमारा रहे सुरक्षित,
ये ही श्रद्धा सुमन हमारा।
हिन्द देश के अमर सपूतों,
तुमको है प्रणाम हमारा।
रचयिता
नीलम कौर,
सहायक अध्यापिका,
प्राथमिक विद्यालय शाहबाजपुर,
विकास खण्ड-सिकन्दराबाद,
जनपद-बुलंदशहर।
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