शहादत के बाद शहीद के परिवार का दर्द
माया के बजरिया में फूटल किस्मतिया,
कि केतना रोई,
चले बुढ़िया माई टोई टोई कि केतना रोई।
बेटवा जे होते होत आँखी के इलजवा हो,
नही बाड़े केहू गाँव समजवा हो।
बेटा ना होवे ना होला कोई कि केतना रोई,
चले बुढ़िया माई टोई टोई कि केतना रोई।
भइले शहीद देश पे हमरो ललनवा हो,
बहिनी गवाई देहली आपन बिरनवा हो।
बज्र के छतिया भईल विधवा नारी के हो,
केहू ना सहारा हउवे अबला बेचारी के हो।
बेटवा के सहारा के होई कि केतना रोई,
चले बुढ़िया माई टोई टोई कि केतना रोई।
बीतल समय होनहारी बिगड़ रे जाले,
कुदरत के लेख केउ से ना मिटल जाले।
होइहे जवन लिखल होई कि केतना रोई,
चले बुढ़िया माई टोई टोई कि केतना रोई।
रचयिता
दीपक कुमार यादव,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय मासाडीह,
विकास खण्ड-महसी,
जनपद-बहराइच।
मोबाइल 9956521700
कि केतना रोई,
चले बुढ़िया माई टोई टोई कि केतना रोई।
बेटवा जे होते होत आँखी के इलजवा हो,
नही बाड़े केहू गाँव समजवा हो।
बेटा ना होवे ना होला कोई कि केतना रोई,
चले बुढ़िया माई टोई टोई कि केतना रोई।
भइले शहीद देश पे हमरो ललनवा हो,
बहिनी गवाई देहली आपन बिरनवा हो।
बज्र के छतिया भईल विधवा नारी के हो,
केहू ना सहारा हउवे अबला बेचारी के हो।
बेटवा के सहारा के होई कि केतना रोई,
चले बुढ़िया माई टोई टोई कि केतना रोई।
बीतल समय होनहारी बिगड़ रे जाले,
कुदरत के लेख केउ से ना मिटल जाले।
होइहे जवन लिखल होई कि केतना रोई,
चले बुढ़िया माई टोई टोई कि केतना रोई।
रचयिता
दीपक कुमार यादव,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय मासाडीह,
विकास खण्ड-महसी,
जनपद-बहराइच।
मोबाइल 9956521700
Great
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