गणतंत्र की गौरव गाथा

चलो आज फिर लिखते हैं।
गणतंत्र की गौरव गाथा।।
चलो आज फिर लिखते हैं
अशिक्षा को हरा शिक्षा की विजय गाथा।।
चलो आज फिर चलते हैं।
नव सृजन, नव राष्ट्र निर्माण के पथ गढ़ते हैं।

चलो आज फिर नभ रंगते हैं
नये सपनों का, नयी आशाओं का,
उठो आज रंग भरते हैं।
नव ऊर्जा का नव तेज का चलो आज देश बनाते हैं।

चलो आज फिर से बाल सुलभ बनते हैं। दमन कर दामन, मिथ्या अभिमान का, चलो आज फिर भूत में चलते हैं।
नव मुस्कान से, नव जोश से फिर,
इतिहास से सबक ले, आगे बढ़ते हैं।

चलो आज फिर कुछ ऐसा करते हैं।
जिससे भारत माता के मस्तक पर,
चंदन बन चमकने वाले,
शहीदों की माँ की सूनी गोदी के
जख्म कुछ भरते हो।

चलो आज फिर लड़खडाते कदमों को सम्हालते हैं।
शिक्षित पीढ़ी को गढने के लिए,
न केवल बढ़ते हैं, वंचितों को
दमितों को साथ ले, राष्ट्र निर्माण हेतु
गणतंत्र को सुदृढ़ बनाते हैं।
मातृभूमि हेतु हम सब साथ खड़े हो जाते हैं।

रचयिता
शुचिता शर्मा,
सहायक अध्यापिका,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय मदारपुर,
विकास खण्ड-परसेंडी,
जनपद-सीतापुर।

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