भगवान शिव
गौरा का पति, गणपत लाला,
वह शिव है।।
पिया था जिसने विष का प्याला
वह शिव है।।
वह ईश्वर, देवों का देव है।
वह है अजन्मा, महादेव है।
गले में डाले, सर्प की माला
वह शिव है।।
किया अपने सुत का संघार।
है उसकी महिमा बड़ी अपार।
नहीं कोई उस सा, जो है निराला।
वह शिव है।।
रुद्रा है वह, वो है स्वयंभू स्वयंभू।
बिन माँगे दे, क्या मैं माँगू।
रहे श्मशान में डमरु वाला।
वह शिव है।।
रचयिता
पूनम गुप्ता,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय धनीपुर,
विकास खण्ड-धनीपुर,
जनपद-अलीगढ़।
वह शिव है।।
पिया था जिसने विष का प्याला
वह शिव है।।
वह ईश्वर, देवों का देव है।
वह है अजन्मा, महादेव है।
गले में डाले, सर्प की माला
वह शिव है।।
किया अपने सुत का संघार।
है उसकी महिमा बड़ी अपार।
नहीं कोई उस सा, जो है निराला।
वह शिव है।।
रुद्रा है वह, वो है स्वयंभू स्वयंभू।
बिन माँगे दे, क्या मैं माँगू।
रहे श्मशान में डमरु वाला।
वह शिव है।।
रचयिता
पूनम गुप्ता,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय धनीपुर,
विकास खण्ड-धनीपुर,
जनपद-अलीगढ़।
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