बेटी

कितनी प्यारी माँ की दुलारी,
सारे जग से न्यारी बेटी।
पढ़ती और पढ़ाती बेटी,
शिक्षित समाज बनाती बेटी।
माता-पिता का मान है बेटी,
घर आँगन की शान है बेटी।
ज़िम्मेदारी परिवार का हर बोझ,
नन्हे कंधों पर उठती है बेटी।
कभी कल्पना चावला बनकर,
सबका विश्वास बढ़ाती बेटी।
कोई कहे मुरली की धुन है,
कोई कहे अज़ान है बेटी।
लक्ष्मी, पदमिनी, पन्ना बनकर,
स्वर्ण इतिहास बनाती बेटी।
कष्ट सहे पर धैर्य न छोड़े,
देश का अपने मान है बेटी।
कितनी प्यारी माँ की दुलारी,
सारे जग से न्यारी बेटी।

रचयिता
आसिया फ़ारूक़ी,
प्रधानाध्यापिका,
प्राथमिक विद्यालय अस्ती,
नगर क्षेत्र-फतेहपुर,
जनपद-फतेहपुर।

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