हम हैं कलम के सिपाही
हम हैं कलम के सिपाही
नहीं करते काम में कोई कोताही।
लोग भले ही कहें हमें निकम्मा
लेकिन हम बनते बच्चों की अम्मा।
स्कूल में देते उन्हें खाना पानी दूध फल
बनाते उनका सुनहरा कल।
फिर भी लोग रखते हम पर तिरछी नजर,
जैसे हमी हों बली के बकर।
हमें नहीं इन बातों की फिकर,
ये खूब रखें हम पर तिरछी नजर।
हम हैं कलम के सिपाही
नहीं करते काम में कोई कोताही।
रचयिता
अनवर अहमद,
प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय पिपराव,
विकास खण्ड-मड़िहान,
जनपद-मीरजापुर।
नहीं करते काम में कोई कोताही।
लोग भले ही कहें हमें निकम्मा
लेकिन हम बनते बच्चों की अम्मा।
स्कूल में देते उन्हें खाना पानी दूध फल
बनाते उनका सुनहरा कल।
फिर भी लोग रखते हम पर तिरछी नजर,
जैसे हमी हों बली के बकर।
हमें नहीं इन बातों की फिकर,
ये खूब रखें हम पर तिरछी नजर।
हम हैं कलम के सिपाही
नहीं करते काम में कोई कोताही।
रचयिता
अनवर अहमद,
प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय पिपराव,
विकास खण्ड-मड़िहान,
जनपद-मीरजापुर।
सुन्दर अभिव्यक्ति
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