नन्हें फूल
जीवन की कठोरता को,
सहज रूप से स्वीकार कर,
खिलते मुरझाते, हँसते रोते
ये नन्हें-नन्हें फूल।
कई रूप रंग के,
कुछ गोरे चिट्ठे खूबसूरत,
कुछ मैले कुचैले बेखबर।
लेकिन सभी ,
मासूमियत से भरपूर।
* * *
अपने तक सीमित,
दुनिया से बेखबर,
जिज्ञासा भरी आँखें,
कुछ समझने को प्रयासरत।
गुरु को सर्वस्व,
न्योछावर करने को तत्पर।
एक क्रोधित दृष्टि से
सिमट जाना व्याकुल होकर,
वात्सल्यमयी मुस्कान से,
खिलना प्रफुल्लित होकर।
* * *
बस! यही इनकी परिभाषा,
यही इनका परिचय
बार बार संतोष प्रदान करता है मुझे,
इनके बीच रहने का निश्चय।
रचयिता
मीनू जोशी,
सहायक अध्यापक,
राजकीय कन्या जूनियर हाई स्कूल चौसाला,
जनपद-अल्मोड़ा,
उत्तराखण्ड।
सहज रूप से स्वीकार कर,
खिलते मुरझाते, हँसते रोते
ये नन्हें-नन्हें फूल।
कई रूप रंग के,
कुछ गोरे चिट्ठे खूबसूरत,
कुछ मैले कुचैले बेखबर।
लेकिन सभी ,
मासूमियत से भरपूर।
* * *
अपने तक सीमित,
दुनिया से बेखबर,
जिज्ञासा भरी आँखें,
कुछ समझने को प्रयासरत।
गुरु को सर्वस्व,
न्योछावर करने को तत्पर।
एक क्रोधित दृष्टि से
सिमट जाना व्याकुल होकर,
वात्सल्यमयी मुस्कान से,
खिलना प्रफुल्लित होकर।
* * *
बस! यही इनकी परिभाषा,
यही इनका परिचय
बार बार संतोष प्रदान करता है मुझे,
इनके बीच रहने का निश्चय।
रचयिता
मीनू जोशी,
सहायक अध्यापक,
राजकीय कन्या जूनियर हाई स्कूल चौसाला,
जनपद-अल्मोड़ा,
उत्तराखण्ड।
Nice wordings
ReplyDelete