ऋतु बसंत

ऋतु बसंत ये आया रे,
खलिहानों में छाया रे।

हरे-भरे सब खेत भये हैं,
मन उमंग  से भरे हुए हैं।

ऋतु  परिवर्तन  का  ये शुभदिन,
माँ सरस्वती का मंगल आगमन।

हम पर तेरे अनंत उपकार,
विद्या  धन देती हो अपार।

गुरु गोविंद का ये विवाह पर्व,
मन   मयूर   करे  हर्ष - हर्ष।

ग्रीष्म, वर्षा, शरद, शिशिर, हेमंत,
सब  ऋतुओं  का  राजा  बसंत।

ऋतु राज जब आता है,
संग   सौंदर्य   लाता  है।

धूप सुनहरी खिल-खिल जाए,
सर्दी   डरकर   भागी   जाये।

ऋतु  बसंत  ये  आया रे,
खुशियाँ संग में लाया रे।

रचयिता
नीलम कौर,
सहायक अध्यापिका,
प्राथमिक विद्यालय शाहबाजपुर,
विकास खण्ड-सिकन्दराबाद,
जनपद-बुलंदशहर।

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