पानी रे पानी

तर्ज- यहाँ-वहाँ सारे जहाँ में तेरा राज है

यहाँ-वहाॅ॑ सारे जहाँ में तेरी माँग है,
यहाँ-वहाॅ॑ सारे जहाँ में तेरी माँग है।
          पानी रे पानी तू कितना मूल्यवान है,
           पानी रे पानी तू कितना मूल्यवान है।
तेरे ही सहारे तो ये सारा संसार है,
तू ही तो धरती पे जीवन का आधार है।
          पानी रे पानी तू कितना मूल्यवान है,

          पानी रे पानी तू कितना मूल्यवान है।
चाहे पशु-पक्षी हो, चाहे इंसान हों,
तेरे ही सहारे तो सभी की जान है,
तेरे ही होने से बनता खान-पान है।
          पानी रे पानी तू कितना मूल्यवान है,
           पानी रे पानी तू कितना मूल्यवान है।
निराकार है तू और तू ही साकार है,
जिस बर्तन में रख दो, उसी का आकार है,
कोई माने या न माने तू ही तो भगवान है।
         पानी रे पानी तू कितना मूल्यवान है,
          पानी रे पानी तू कितना मूल्यवान है।

रचयिता
डॉ0 रचना सिंह, 
प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय कटरी पीपरखेड़ा
विकास खण्ड-सिकन्दरपुर कर्ण, 
जनपद-उन्नाव।

Comments

Total Pageviews