समझदारी

लेकर हल्की सी मुस्कान
मिल लेना  ऐ  इंसान
कलुषता मिटाकर अपने मन की
समझदारी का दे प्रमाण

रख न तू किसी से आस
मेहनत पर कर विश्वास
उम्मीदों के पंख लगाकर
मंजिल को कर अपने पास

दुख भरा हो जीवन कितना
ज्ञान  से तुम इसको भरना
मधुर वाणी का कर प्रयोग सदा
समझदारी का प्रदर्शन करना

जीवन हो चाहे व्यस्तता भरा
समय अपनों को तुम दो जरा
नहीं आएँगे लौटकर ये पल
समय अनमोल है जाए गुजरा

रचयिता
प्रतिभा चौहान,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय गोपालपुर,
विकास खंड-डिलारी,
जनपद-मुरादाबाद।

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